Monohybrid cross in hindi | Mendel's experiment monohybrid cross | एकसंकर संकरण (Monohybrid Cross)

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मेण्डेल द्वारा सम्पादित एकसंकर संकरण (Monohybrid Cross Done by Mendel) के अंतर्गत मेण्डेल के एकसंकर संकरण में लम्बेपन के प्रभावी लक्षण को T' से तथा बौनेपन के अप्रभावी लक्षण को 't' से प्रदर्शित किया गया है। कोशिकाओं में लक्षण युग्मों या जोड़ों (pairs) में पाये जाते हैं, इसलिए प्रत्येक लक्षण को यहाँ भी जोड़े में माना गया है। इस प्रकार शद्ध लम्बे पौधे की कोशिका को TT से तथा शद्ध बौनेपन के लक्षण को 11 से प्रदर्शित करते हैं। जनन कोशिकाओं में अर्द्धसूत्री विभाजन के पश्चात् युग्मक (gametes) बनते हैं, जिनमें गुणसूत्रों की संख्या आधी होती है। इस प्रकार TT कोशिकाओं से T प्रकार के तथा 'tt' कोशिकाओं से t प्रकार के युग्मक बनते हैं। इन युग्मकों के मिलने से Tt लक्षण वाले पौधे उत्पन्न होते हैं। पहली पीढ़ी (F1) के सभी पोधों में Tt कारक उपस्थित होते हैं तथा लम्बापन (T) प्रभावी गुण होने के कारण इस पीढ़ी के सभी पौधे लम्बे होते हैं। इन पौधों में जनन के समय दो प्रकार के युग्मकों का निर्माण होता है। इस प्रकार जितने युग्मक बनते हैं उनमें से आधे T लक्षण वाले तथा अन्य आधे t लक्षण वाले होंगे। इन पौधों में स्वपरागण द्वारा निषेचन कराने पर तीन प्रकार के कारक युग्म वाले (TT, Tt तथा tt) पौधे प्राप्त होते हैं, परन्तु बाह्य आकारिकी (phenotype) के अनुसार लम्बे तथा बौने पौधों में 3 (लम्बे) : 1 (बौने) का अनुपात प्राप्त होता है जबकि कारकों (जीन) के आधार (genotype) पर शुद्ध लम्बे (TT), संकर लम्बे (Tt) तथा शुद्ध बौने (tt) पौधों में 1: 2:1 का अनुपात होता है।

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