Ayushman Bhava: ऑस्टियोपोरोसिस | Osteoporosis | हड्डियों की कमज़ोरी

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ऑस्टियोपोरोसिस का शाब्दिक अर्थ पोरस बोन्स है। यानी वो बीमारी, जिसमें हड्डियों की गुणवत्ता और घनत्व कम होने लगता है। कई बार हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि मामूली चोट से भी फ्रैक्चर हो सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस के दौरान रीढ़ की हड्डी, नितंब, पसली और कलाई की हड्डियों में फ्रेक्चर होना आम बात हो जाती है। इसके अलावा भी शरीर की बाकी हड्डियों में भी फ्रैक्चर होने की आशंका बढ़ जाती है। आमतौर पर 35 साल की उम्र के आस-पास हड्डियां कमजोर होनी शुरू हो जाती है और ऐसे में कैल्शियम की कम खुराक हड्डियों के घनत्व को और भी कम कर देती हैं। जिससे ये कमजोर होने लगती हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस काफी खतरनाक बीमारी है। हड्डियों से संबंधित इस बीमारी का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि जब तक हड्डियां मुलायम होकर टूटने लगती हैं। तब तक इसके लक्षणों का पता नहीं चलता। इस वजह से इसे साइलेंट किलर कहा जाता है।ऑस्टियोपोरोसिस को महिलाओं की बीमारी के रूप में माना जाता है। लेकिन अब पुरुष भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में हर आठ पुरुषों में से एक पुरुष को और तीन महिलाओं में से एक महिला को ओस्टियोपोरोसिस की समस्या है। यह आंकड़ा ही इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।वैसे तो ऑस्टियोपोरोसिस दुनिया भर के देशों की एक गंभीर समस्या है, लेकिन भारत में इसका प्रभाव थोड़ा ज्यादा ही देखने को मिलता है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में इस समय लगभग तीन करोड़ लोग ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार हैं। आमतौर पर 30 से 60 वर्ष के लोग इस बीमारी के शिकार होते हैं।
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Guest Doctors:
Dr Rajesh Malhotra, HOD, Department of Orthopaedics, AIIMS
Dr Adarsh Kumar, Asst Director, Central Council for Research
in Ayurvedic Sciences, Ministry of Ayush
Dr Archana Narang, HOD, Dr BR Suri Homeopathic Medical College, Hospital & Research Centre

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