अमराणो अमरावती धरा सुरंगी धाट सोढा बिराजे मानवी बधो परमारां पाट प्रथ्वी वडो परमार प्रथ्वी परमारां तणी ऐक ऊजेणी धार दूजो आबु गढ बेसणो हरसिध्दि देवी अरिगंज खांडो साखा माधवसेन अगनवंश ऊजाविया खुद आबु कुल खेत पग लाखीणी मोजडी भलहल भालो हाथ आयो राणो खिवरो सदा सुरंगी साथ IS MAHAN VANSH ME RAJA VEER VIKARAMADITAYA RAJA GANDHRABSEN RAJA SINDHURAJ RAJA BHOJ PARMAR RAJA BHARATHRI RAJA JAGDEV PARMAR RAJA DHARNIVARAH RAJA BAHADRAO JII RAJA CHAHADRAO JI RAJKUMAR SODHA JII RANA AMARSINGH RANA OF AMARKOT RANA KHIVRAAJI RANA DURJANSAAL JII RANA PRASAAD SINGH RANA HANSRAJSINGH OF PARKAR RANA RATANSINGH RANA CHANDRASINGH JI RANA HAMMER SINGH JI(PRESENT RANA OF DHAT) SODHA LAKSHMAN SINGHJI CHACHROO RAM SINGH SODHA BIG LAWYER RAJ RAJOJI SINDHAL SODHA KHADIR SANGRAAMSINGH SODHA SACHIYAPURA BIKANER HARISINGH SODHA MITHDAU JESALMER AND NETSINGH MAHASINGH JI SODHA DEVI SACHIYAY MATA DEVI MALANMATA DEVI VANKAL MATA DEVI HARSHIDHI MATA DEVI DEWAL MATA PIR PITHORAJI RANO KACHBO RANA MAHENDRA AND MUMAL. ROYAL RACE. 🌴सोढा परमार का इतिहास 🌴
परमार कूल मे राजा सिधूराज हूवे ( राजा धधमार ) ऊनके नो पुत्र हुवे , धरणीवराह, आलपाल, भोजराज, हासूजी, जोगराज, अजेसिंह, गजमाल, सामंत, भाण,
इन नो भाई ओ ने नवकोटी मारवाड राजधानी स्थापित की इनका ऐक दोहा,
हुवो लूधरवे भाण, मंडोवर हूवो सामंत
गढ़ पूंगल गजमाल, अजमेर अजेसिंह
जोगराज घरढाट (अमरकोट) , हूवो हंसो पारकर
आलपाल अरबध, भोजराज जालोर
नवकोट केराणु परमार थाप्यो
धरणीवराह घरभाया बांट जु जु कियो
धरणीवराह परमार की पीणी मे बाहडराय परमार हूवे, उनहो ने संवत 1196 मे बाडमेर राज्य की स्थापना की, बाहडराय परमार शिव भक्त थे ऊनहो ने कोट केराडु मे शिव मंदिर की स्थापना की ओर आबावाडी मे महल भी बनवाया,
बाहडराय परमार के तीन पुत्र थे, छाडराय , संग्रामराय , चामणराय, उनके वंशज केरवाडा परमार से जाने जाते हे.
छाडराय परमार ने अपनी राजधानी शिवकोटडा मे स्थापित की ,
कर्म संजोग छाडराय परमार का विवाह इन्द्र की परी पहुंपावती से हूवा, जिनसे सोढा जी, सांखला जी, ओर देवी शक्ति सच्चियाय ( कल्याण कुंवर _केसर कुंवर ) का जन्म हुवा,
परमार वंश मे सोढा जी परमार से सोढा साख चली,
उस समय बाडमेर के राजा को कोढ की बिमारी हूवी बहोत दवाइ या की पर कुछ फर्क नही हुवा, तभी कुछ ज्योतिष विदवानो ने कहा बाडमेर राज्य मे भुताण नाम का ऐक कुवा हे वहा हर पूनम को भुतो का मेला लगता हे, पर कोइ शूरवीर ही उस कूवे का पानी ले आ सकता हे. ओर उस पानी से राजा की बिमारी नाबूद होगी,
ये बात छाडराय परमार को पता चली ओर उन्होंने ये बीडा उठाया ,
पूनम के दिन छाडराय परमार अपने झालरीया जाती के ऊठ पर सवार होकर निकले तब भुताण कुवे के आगे ऐक सरोवर के पास तीन परी ओने ऊनको बुलाया ओर छाडराय की परीक्षा की ओर पुछा आप कहा जा रहे हो, तब छाडराय परमार ने सारी बात बताई, ये शून कर परीओ ने कहा हमे राजा इन्द्र से श्राप मिला हे की मृत्यु लोक के मानव से विवाह का आप हम तीन मे से ऐक परी से विवाह करे तो हमे श्राप से मुक्ति मिले, तभी छाडराय परमार ने पहुंपावती परी पर हाथ रख कहा मे इस से विवाह करुगा,
ओर वहा से छाडराय परमार परी ओ को वचन देकर निकले, जब वो भुताण कुवे के पास पहुंचे वहा मानो ऐक नगर हो वहा कही भुत पिचास थे, निडर होकर छाडराय कूवे के पास पहुंचे, ओर पानी भरकर वहा से निकल पडे,
सरोवर के पास आकर देखा तो पहुंपावती बुढी ओरत के रुप मे खडी थी ओर दो परी ने कहा परमार ये तो बूढीया हे तुम इस से केसे विवाह करोगे, हम दोनो मे से ऐक से विवाह करो,
तब छाडराय ने कहा मे परमार वंश का राजपूत हु मेरा वचन धर्म रजपूती हे मेरा वंश राजपूत हे मे केसे फिरू मेरे वचन से , ये सुनकर पहुंपावती अपने अशली स्वरूप मे आ गइ ओर कहा मे आपसे विवाह करूगी पर मेरे तीन वचन आप याद रखना
1 मेरे लिऐ ऐक अलग महल बनवाए ओर ऊस महल के आगे कोइ स्त्री पुरुष आऐ नही
2 आप जब भी महल मे आवो आवाज लगाके आवो
3 मेरी खबर ओर लोगो को हुवी तो मे वचन अनुसार इन्द्र लोक चली जावुगी,
भुताण कूवे का पानी से बाडमेर के राजा की बिमारी नाबूद हो गई,
ओर वहा से आकर छाडराय परमार ने परी पहुंपावती से विवाह किया,
ओर आसपास मे कहा इस महल के करीब कोइ आऐ नही मे साधना कर रहा हू.
ओर ऐक अलग महल बनवाया
छाडराय परमार को परी रानी पहुंपावती से सन्तान हुवे
सोढा जी, सांखला जी, वांघोजी ,जेतसी, जेसंगदेव, परब, शक्ति सच्चियाय देवी ,
महल मे सोढा जी ओर सांखला जी खेल रहे थे
इन कुंवरो को आसपास के लोगो ने देखा , महल मे तो जा नही सकते इस लिए जिज्ञासा हेतु जानने के लिऐ ऐक युक्ति की ये बच्चे किसके है,
तभी उन लोगो ने ढढेरा पीटवाया की अश्व शाणा मे से धोडे निकल गये हे अपने अपने बच्चो को संभाल ना,
ये सुनकर पहुंपावती ने महल मे से हाथ लबा कर के दोनो बच्चो को ऊठाकर महल मे ले लिया,
ये चमत्कार आसपास के लोगो ने देख लिया,
ये ढढेरा सुनते महल मे जल्दी बाजी मे महल मे छाडराय परमार पहुंपावती को बीना आवाज कीऐ महल मे दाखिल हूवे,
बिना आवाज दाखिल हूवे छाडराय परमार को देख परी रानी पहुंपावती ने कहा मेरा वचन पूरा हूवा ,
मे अब इन्द्र लोक जावुगी,
छाडराय परमार ने बहुत विनती की पर वचन अनुसार पहुंपावती इन्द्र लोक चले गये, ओर जाते समय वचन दिया मे मेरे पुत्र परिवार मे आशिर्वाद देने आवुगी,
ओर इस तराह छाडराय परमार जी के पुत्र सोढा जी से परमार वंश मे सोढा साख चली
सोढा जी के दो पुत्र हूवे चामक देव जी, ओर सिंधल जी ओर आज इनी दो भाई ओ का परिवार आज सोढा परमार से जाना जाता हे. प्रथ्वी परमारां तणी प्रथ्वी तणो परमार एक आबु गढ़ बेसणो दूजो ऊजैणी धार
पुत्री सच्चियाय सती स्वरूप होकर शक्ति हूवे,
✍🏻 राजूभा डी सिंधल
(राजराजोजी ).
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