बहुत ही प्यारा प्रसंग ! एक बार अवश्य सुने | Shabri Mata Story Devi Chandrakala Ji

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बहुत ही प्यारा प्रसंग ! एक बार अवश्य सुने | Shabri Mata Story Devi Chandrakala Ji

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Video Title :- बहुत ही प्यारा प्रसंग ! एक बार अवश्य सुने | Shabri Mata Story
legvej :- Hindi

एक दिन शबरी की मां जब उसके बाल बना रही थी, तो उसने मां से पूछा, “इतने सारे जानवर हमारे घर क्यों लाए गए हैं।”

मां ने जवाब दिया, ‘बेटी, तुम्हारा विवाह होने वाला है, इसलिए तुम्हारी शादी के दिन ही बलि प्रथा होगी और इसे भोजन बनाकर सबको परोसा जाएगा।’ यह सब सुनकर शबरी दुखी हो गई। काफी देर तक शबरी ने उन जानवरों को आजाद करने के बारे में सोचा।

और इसी सोच के साथ जानवरों को खोल देती हूं, उसके बाद शबरी जंगल भागते-भागते मतंग ऋषि की कुटिया में पहुंची। वो चुपचाप उसी जंगल में एक हिस्से में किसी तरह से रहने लगी। शबरी रोजाना कुटिया के आगे झाड़ु लगाती और हवन के लिए लकड़ियां भी लाकर रख देती। ऋषि-मुनियों को समझ नहीं आ रहा था कि जंगल में उनके काम अपने आप कैसे हो रहे हैं।

एक दिन शबरी को किसी ऋषि ने देख लिया। और मतंग ऋषि को सबरी ने बताया कि वो उनसे गुरु दीक्षा लेना चाहती है। उन्होंने खुशी-खुशी उसे अपने गुरुकुल में रहने दिया और भगवान से जुड़ा ज्ञान देते रहे। शबरी ने भी अपने गुरु मतंग ऋषि की सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वो गुरुकुल के भी सारे काम करती थी। शबरी से खुश होकर मतंग ऋषि ने उसे बेटी मान लिया था।

समय के साथ मतंग ऋषि का शरीर बूढ़ा हो गया। उन्होंने एक दिन शबरी को अपने पास बुलाया और कहा, ‘बेटी मैं अपना देह त्यागना चाह रहा हूं। बहुत साल हो गए इस शरीर में रहते-रहते।’

शबरी ने दुखी मन से कहा, ‘आपके ही सहारे मैं इस जंगल में रह पाई हूं। आप ही चले जाएंगे, तो मैं जीकर क्या करुंगी। आप अपने संग मुझे भी ले जाइए। मैं भी देह त्याग दूंगी।’

मतंग ऋषि ने जवाब दिया, ‘बेटी, तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। राम तुम्हारी चिंता करेंगे और ध्यान भी रखेंगे।’

शबरी ने ‘राम’ का नाम सुनने के बाद पूछा, ‘वो कौन हैं और उन्हें मैं किस तरह से ढूढूंगी।’

मंतग ऋषि ने बताया, ‘राम कोई और नहीं भगवान हैं। वो तुम्हें सारे अच्छे कर्मों का फल देंगे। तुम्हें उन्हें ढूंढने की कोई जरूरत नहीं है। वो एक दिन खुद तुम्हें खोजते हुए इस कुटिया में आएंगे और तु्म्हें उनके हाथों ही मोक्ष मिलेगा। तब तक तुम इसी आश्रम में रहो।’ इतना कहते ही मंतग ऋषि ने अपना शरीर त्याग दिया।

शबरी रोज भगवान राम से मिलने के लिए बाग से अच्छे-अच्छे फूल लाकर पूरा आश्रम सजाती और भगवान के लिए बेर तोड़कर लाती। भगवान के लिए बेर चुनते हुए शबरी उन्हें चख लेती थी, ताकि भगवान वो सिर्फ मीठे बेर ही दे।

रोजाना शबरी इसी तरह भगवान के दर्शन की आस में फूल और बेर इकट्ठा करती रहती थी। इसी तरह इंतजार में कई साल बीत गए। शबरी का शरीर एकदम वृद्ध हो गया।

कई सालों तक शबरी इंतजार करती और एक दिन भगवान राम अपनी पत्नी सीता के हरण के बाद उन्हें ढूंढते हुए आये

कथावाचिका - मानस विदुषी देवी चन्द्रकला जी
निवासी - श्री अयोध्याधाम

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