SANGHARSH | Hindi Rap Song | LUCKE | Danveer Karn | Prod. by CJCHIRAAG

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Sangharsh Gatha Karn Ki - Hindi Rap Song | LUCKE

Guys we are back with another new rap song Sangharsh Gatha Karn Ki which is based on the life events of the Warrior Suryaputra Karn the pain he felt in his life, the sacrifices he made, and the power he had inside him, which was so incredible that Naryan himself appreciated it. There were lots of name he was called like Radhe Karn, Angraj Karn, Danveer Karn, Radheya, Sutaputra, Kaunteya, Maharathi Karn, Vasusena, Vaikartana, Vrisha, Vijayadhari,Adhirathi, and Parshuram Sishya Karn. but his favourite was Radhe Karn and, in this rap, you will understand the why this name he chose and how we got that name.

We always try to tell our younger generation the beauty of our #sanatandharma is so here are we again with this beautiful rap for you. Which you will definitely like it.

We love your all guy's Thanks a lot for your support ❤️
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So get ready to listen to another masterpiece that will give you goosebumps.

We assure you that you will like this song as much as you liked the Duvidha song.

Credits

Rap and Lyrics by lucke
  / iamlucke_  

Music and mix master by CJ CHIRAAG

  / cjchirag_official  

Recorded and Arranged at Dhun Recording Studio, Indore by Mitwan Soni

  / dhunrecordingstudio  

Spotify
https://open.spotify.com/track/1MeQVl...


Lyrics

मैं कुंती पुत्र कर्ण
आज दास्तान अपनी गाता हूं।
मैंने क्या क्या देखा जीवन मैं
आज तुम सबको दिखलाता हुं।।

दुर्वासा ऋषि की माया से
मां कुंती को वरदान मिला।
माता का वरदान भी मुझपे
श्राप बनके हावी हुआ।।

बाल्यकाल में कुंती मां ने
क्यू मुझको यूं त्याग दिया।
अबोध से उस बालक ने
ना जाने क्या अपराध किया।।

मेरी माता भी मजबूर थी
कर्तव्य का निर्वाह किया।
लाड़–प्यार मिलना था मुझे
मां गंगा का प्रवाह मिला।।

समय ने रुख यूं बदल लिया
था मां कुंती की गोद में।
निद्रा से आंखे खोला तो
पाया गंगा के शोर में।।

उस ठोकर खाते बालक को
जब राधा मां ने ढूंढ लिया।
मैं कुंती पुत्र कौंतये अब
राधेय भी कहलाने लगा।।

अब जैसे जैसे बड़ा हुआ
मुझे धनुर्धारी बनना था पर।
सूत पुत्र राधेय को
विधा पाना भी मुश्किल था।।

अब धनुर्विद्या पाने हेतु
गुरु द्रोण के पास गया।
वो राजवंश को देते शिक्षा
सूत को इनकार दिया।।

उदासीनता चेहरे पर
मुस्कान को मैं तरस गया।
मैं दानवीर मैं सूर्यपुत्र
जैसे जीते जी मर गया।।

पिता श्री का कवच मिला पर
मां का आंचल छूट गया।
जो कुछ पाया जीवन में
धीरे धीरे सब छूट चला।।

अब क्या करता में हारा था
मेरे सारे रास्ते बंद थे।
मैं हर तरफ से मारा था
टूटे सारे संबंध थे।।

पहले कुंती मां ने त्याग दिया।
फिर राधा मां से दूर गया।
भगवान से पाई विद्या को भी
अंत समय में भूल गया।।

कवच कुंडल भी छूट गए
मेरी पत्नी से भी दूर गया।।
क्या ही किस्मत मानोगे तुम
जब विद्या को ही भूल गया।।

छल से पाई विद्या थी
किया कोई ना पाप था।
है परशुराम भगवान आपने
दे दिया क्यूं श्राप था।।

अगर ना दिया होता वो श्राप
ना इतना कुछ मैं भोगता।
उस कुरुक्षेत्र भूमि का मंजर
अलग दिशा में मोड़ता।।

प्रचंड बाणों के वेग से
प्रलय रक्त की ला देता।
प्रतंच्या खीचके धनुष की
मैं त्राहि त्राहि मचा देता।।

वो तो(स्वयं) वासुदेव थे सारथी
ध्वजा विराजे हनुमान थे।
हिला देता था रथ को भी
मेरे बाणों के प्रहार से।।

मैं सूर्यदेव का अंश था
भीषण गर्मी मेरे बाण में।
ना धंसता पहिया धरती में
कर देता सबको राख मैं।।

पर क्या करता मैं यारो मैं तो
अपनो से ही हारा था।
संघर्ष में ना साथ मिला
ना किसी का सहारा था।।

सूर्यदेव का पुत्र था पर
अंधकार में जीवन बीता था।
दुनिया को देते रोशनी
क्यूं मेरे मैं अंधेरा था।।

दुर्योधन ने था दिया साथ
मतलब से राज्य अंग दिया।
मित्रता का देके झांसा
विद्या गिरवी रख लिया।।

खैर किसी का कोई दोष नहीं
सब अपनी जगह ठीक थे।
मां कुंती का ना दोष था
परशुराम भी सटीक थे।।

ना गुरु द्रोण की गलती थी
ना कान्हा से नाराज था।
मेरी मौत का असली जिम्मेदार
जाती में बंटा समाज था।।

वर्णों मैं बटे समाज को क्यों
जात–पात में बांट दिया।
इस कुंती पुत्र राधेय को
तुमने ही जिंदा मार दिया।।

ज्येष्ठ पुत्र मां कुंती का मैं
अनुज के हाथो मारा गया।
किस्मत से मारा बदकिस्मत
अधर्म तरफ हार गया।।

कवच को भी छोड़ दिया
कुंडल भी मेने दान किए।
वासुदेव के कहने पर मैंने
प्राण भी अपने त्याग दिए।।

समाज ने ठुकराया था मुझे
मेरे ज्ञान का ना मोल मिला।
गांडीव के प्रहार से
संसारी दुनिया छोड़ चला।।



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Jai Shree Ram

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