निरंकार देवता की पुजाई-2024 | नेत्रहीन बांकी लाल की आवाज में कथा | In Baman Gaon| Tehri Garhwal |

Описание к видео निरंकार देवता की पुजाई-2024 | नेत्रहीन बांकी लाल की आवाज में कथा | In Baman Gaon| Tehri Garhwal |

सभी मित्रों को सादर प्रणाम एवं हार्दिक अभिनन्दन
आप सभी का स्वागत है मेरे यूट्यूब चैनल पर। इस रोचक वीडियो में,
मेरी कलम से -
प्रभात को पर्व जाग, गौ स्वरुप पृथ्वी जाग।
सतलोक जाग , इंद्र लोक जाग, मृत्यु लोक जाग।
जाग रे बाबा जाग ब्रहमा को वेद जाग, पयालु पाणी जाग।
सोन पंखी गरुड़ जाग, भानुपंखी गरुड़ जाग।

ओमे नमो निरंकार देवाय नमो नमः

श्री गणेशाय नमः श्री गुरु चरण कमलेभ्य नम: ओम नमो गुरु को अदेस गुरु को जुवार विद्वमाता कु नमस्कार उत्तराखंड की संस्कृति में, यह जागर एक कला है जिसमें यह माना जाता है कि देवता लोगों पर आते हैं और उनके कष्टों को दूर करते हैं। शायद इसीलिए उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है।

प्यारे दोस्तों आप सभी के लिए प्रस्तुत है ये सुंदर सा गढ़वाली जागर / उत्तराखंडी लोक जागर उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगा... और भी विडियो के लिए सब्सक्राइब करें हमारे YouTube चैनल को ‪@pradeepshahshivaay‬

देवता के धामी- मकान सिंह जी ग्राम-कापड़,पौड़ी गढ़वाल

हमारे निराकार ब्रह्म के आवाहन पर ज्यादातर किया जाता है। यह अक्सर तब होता है जब पहाड़ों में पूजा के महीने होते हैं और वहां का जनमानस देवताओं की पूजा का आवाहन करते हैं। तब चाहे डौंर थाली हो या ढोल दमाऊं इन पर अक्सर नागराजा, देवी मंडाण, निरंकार इत्यादि के बाजे के साथ जागर गायी जाती है। नये नये देवता के अवतरण पर या फिर पारिवारिक मानस की पूर्ति न होने पर अक्सर सेम (दलदली जमीन/ जिसमे पानी का सोता फैला हुआ होता है) पर सम्पूर्ण परिवार गौ बंद (सबके गले में रस्सी डालते हुए) होकर गस-गुमान दूर करने के लिए प्रार्थना करता है ताकि देवता प्रसन्न हो । तब ऐसे समय में अगर दूर कहीं उड़ते हुए या बैठे हुए सोन पंखों या भानुपंखी गरुड़ दिख जाएं तो पूजा सफल मानी जाती है।
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