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Скачать или смотреть 500 वर्ष बाद भारत में सब से बड़ा हिंदू उत्सव | ram mandir pran partishtha in ayodhya .

  • वैदिक धारा। Vedic dhara
  • 2024-01-22
  • 443
500 वर्ष बाद भारत में सब से बड़ा हिंदू उत्सव | ram mandir pran partishtha in ayodhya .
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Описание к видео 500 वर्ष बाद भारत में सब से बड़ा हिंदू उत्सव | ram mandir pran partishtha in ayodhya .

(भारत में सब से बड़ा हिंदू उत्सव)

500 वर्षों के लंबे इंतजार और संघर्ष के बाद विक्रमी संवत 2080, पौष द्वादशी तिथि , यानि 22 जनवरी 2024 सोमवार का दिन इतिहास के पन्नों में सुनहरी अक्षरों में लिखा गया। इस शुभ दिन अयोध्या में प्रभु राम के जन्म स्थान पर भव्य मंदिर बनाने का सपना साकार हुआ और प्रभु राम अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गए । इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और मृगशिरा नक्षत्र और विष्णु मुहूर्त था, जो 41वर्ष बाद आया है.रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्टीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत जैसी गणमान्य हस्तियां उपस्थिति हुई . सालों तंबू में रहे राम लला की अपने महल में प्रतिष्ठा का उत्सव इतना भव्य और अभूतपूर्व रहा कि देवता भी आकाश से इस देखे बिना रह नहीं पाए होंगे!
इस दिन को देखने के लिए अनेक पीढ़ियां तरसती रही परंतु उनकी आंखो को यह अलौकिक अवसर देखने का सौभाग्य प्राप्त नही हुआ। लगभग 25 पीढ़ियों के बलिदान, त्याग और समर्पण के बाद बने इस भव्य राममंदिर की साक्षी हमारी पीढ़ी बनी है, जिन्होंने वर्तमान के संघर्ष और विजय को प्रत्यक्ष देखा है। इसलिए इस समय धरती पर जीवित हर हिंदू परम भाग्यशाली है जो इस महान घटना को देख -सुन और अनुभव कर रहा है। परंपरागत नागर शैली में बना अयोध्या का राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। इस मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट है. मंदिर में 20 - 20 फीट ऊंची तीन मंजिलें हैं , कुल 392 खंभे व 44 द्वार है जिन में से गर्भगृह सहित 14 द्वार स्वर्ण के हैं जिन पर मन मोहिनी नक्काशी की गई है . मुख्य गर्भगृह में राम लला की बालरूप प्रतिमा स्थापित की गई है, प्रथम तल पर राजा श्रीराम दरबार बनाया गया है. मंदिर में नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप बनाए गए हैं। मंदिर के खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं जिस से मंदिर किसी भव्य महल का तरह प्रतीत होता है. मंदिर के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण हुआ है. दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर है. मंदिर के पास बना पौराणिक काल का सीताकूप ज्यों का त्यों रखा गया है. परिसर में श्रीराम के जीवनकाल से जुड़े महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित मंदिर भी होंगे . मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही अयोध्या में आम जनता को श्रीरामलला के चिर प्रतीक्षित दर्शन अब नियमित होने शुरू हो गए हैं . श्रीराम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा, भारत के इतिहास का एक गौरवशाली और अविस्मृणीय दिवस है जिस ने हर धर्मआत्मा का मन हर्षित कर दिया है। इस अवसर को भारत में पुनीत त्यौहार की तरह मनाया गया। इस घटना ने भारत सहित दुनिया भर में रहने वाले करोड़ो सनातन धर्मियों को अपने अपने घरों और मंदिरों में दीपमाला कर इस गौरवशाली परंपरा को मनाने और अपनी वैदिक संस्कृति पर गर्व करने का अवसर दिया है। क्योंकि 500 वर्षों के इंतजार के बाद भारत में सब से बड़ा हिंदू उत्सव मनाया जा रहा है जिस ने पूरे भारत को राममय कर दिया है .........
सनातन धर्म प्रेमियों के लिए यह शुभ घड़ी ऐसे ही नही आ गई , अयोध्या की धरती और पवित्र सरयू नदी का जल अनेक उतार चढ़ाव के मूक साक्षी हैं। इस धरती पर श्रीराम जन्मभूमि के महलों को मंदिर का स्वरूप देने वाले प्रतापी सम्राट भी आए और इन मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद का रूप देने वाले क्रूर हमलावर भी आए, अनेक वीर राजाओं और संन्यासी योद्धाओं ने श्रीराम जन्मभूमि की रक्षा के लिए लड़ते- लड़ते अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया.....
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"जय श्री राम"


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