श्री कृष्ण लीला कंस वध कथा श्रीमद भागवत कथा रंजीतपुर भाऊपुर कानपुर उत्तरप्रदेश Shri Krishna KansVadh

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आप श्रवण कर रहे है परम् पूज्य श्री राधा कृष्ण शुक्ला सरल जी महाराज जी के मुखारविंद से श्रीमद भागवत कथा रंजीतपुर भाऊपुर कानपुर उत्तर प्रदेश भगवान श्रीकृष्ण जन्म कथा, श्रीमद् भागवत पुराण में वर्णित है. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में मथुरा में हुआ था.
उनका जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था.
श्रीकृष्ण के पिता का नाम वासुदेव और माता का नाम देवकी था.
देवकी, कंस की चचेरी बहन थीं.
कंस ने अपने पिता राजा उग्रसेन को गद्दी से हटाकर खुद राजा बन लिया था.
कंस ने देवकी का विवाह वासुदेव से कराया था.
एक आकाशवाणी के मुताबिक, देवकी के गर्भ से पैदा होने वाली आठवीं संतान कंस की मौत का कारण बनेगी.
कंस ने देवकी को मारने का फ़ैसला किया और वासुदेव-देवकी को कैद कर लिया.
देवकी ने सात बच्चों को जन्म दिया, लेकिन कंस ने उन सभी का वध कर दिया.
वासुदेव ने कृष्ण को एक टोकरी में रखकर यमुना नदी पार करके वृंदावन ले गए.
वहां यशोदा और नंद ने कृष्ण का पालन-पोषण किया.
कृष्ण ने कंस के अत्याचारों को खत्म किया और धर्म की स्थापना की.
महाभारत के युद्ध के बाद कृष्ण ने द्वारका पर 36 सालKans Vadh: भगवान श्रीकृष्ण (ShriKrishna) ने अपने ही मामा कंस का वध (Kans Vadh) कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन किया था. यही वजह है कि इस तिथि को कंस वध के तौर पर भी जाना जाता है. कृष्ण जी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक मामा कंस का वध भी है. भगवान श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन लीलाओं से भरा हुआ है. उनके जन्म से लेकर अंतिम वक्त तक सभी कुछ उनकी लीला ही नजर आती है. कृष्ण जी का जन्म भी विकट परिस्थितियों में हुआ था जिसकी वजह दुष्ट मामा कंस ही था. एक भविष्यवाणी की वजह से राजा कंस अपने ही भांजे श्रीकृष्ण को मारना चाहता था, इसके लिए उसने कई प्रयास भी किए लेकिन आखिर में उसका अंत भगवान श्रीकृष्ण के हाथों ही हुआ.

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