राधा अष्टमी व्रत कथा | राधा अष्टमी मंत्र| पूजा विधि| Radha ashtami ki kahani | Radha ashtami 2024|

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भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर को रात 11 बजकर 12 मिनट पर आरंभ होगी। वहीं इसका अंत अगले दिन यानी 11 सितंबर को रात 11 बजकर 45 मिनट पर होगा, पूजा का मुहूर्त सुबह 11:04 से दोपहर 01:34 के बीच रहेगा. आप पारन पूजा के बाद भी कर सकते हैं, और अगर सक्षम हैं अपने शक्ति के अनुसार शाम में आरती पूजा के बाद फल ग्रहण करें ओर अगले दिन सुबह पूजा के बाद पारन करें।
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भक्तगण , आप सभी का धार्मिक अमृतवाणी में स्वागत है, आज हमलोग राधा अष्टमी की व्रत कथा, पूजा विधि, राधा रानी की पूजा मंत्र एवं महत्व के बारे में जानते हैं । भाद्र मास के शुक्‍ल पक्ष की अष्‍टमी को राधा अष्‍टमी यानी राधा रानी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। द्वापर युग में इस पावन तिथि पर देवी राधा का जन्‍म हुआ था। इस दिन व्रत रखने से एक हजार एकादशी व्रत के बराबर का फल मिलता है । इस दिन व्रत रखें और राधा अष्टमी व्रत कथा अवश्य सुनें, पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि राधाजी का जन्‍म माता के गर्भ से नहीं बल्कि वृषभानु जी की तपोभूमि से प्रकट हुई थीं। आइये सुनते हैं राधा अष्टमी की कथा । राधा जी श्रीकृष्ण के साथ गोलोक में निवास करती थीं। एक बार देवी राधा गोलोक में नहीं थीं, उस समय श्रीकृष्ण अपनी एक सखी विराजा के साथ गोलोक में विहार कर रहे थे। राधाजी यह सुनकर क्रोधित हो गईं और तुरंत श्रीकृष्ण के पास जा पहुंची और उन्हें भला-बुरा कहने लगीं। यह देखकर कान्हा के मित्र श्रीदामा को बुरा लगा और उन्होंने राधा को पृथ्वी पर जन्म लेने का शाप दे दिया। राधा को इस तरह क्रोधित देखकर विराजा वहां से नदी रूप में चली गईं
आगे विडियो में है कृपया कथा पूर्ण सुनें

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