Documentry Of Patna Sahib Gurudwaraपटना साहिब सिख धर्म के दसवें गुरु गुरुगोबिंद सिंह जी की जन्मस्थली

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पटना साहिब का इतिहास, भूगोल, और जीवनी भारतीय उपमहाद्वीप के धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिदृश्य में गहरा महत्व रखते हैं। सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की जन्मस्थली के रूप में विख्यात पटना साहिब, न केवल सिखों के लिए बल्कि समस्त भारतीयों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है। इस आलेख में, हम पटना साहिब के विस्तृत इतिहास, भूगोल, और यहाँ के महान व्यक्तित्वों के जीवन का गहराई से अध्ययन करेंगे।

पटना साहिब का इतिहास
प्राचीन पाटलिपुत्र से पटना तक
पटना साहिब का इतिहास प्राचीन पाटलिपुत्र के इतिहास से जुड़ा हुआ है। पाटलिपुत्र, जिसे आज के समय में पटना के नाम से जाना जाता है, प्राचीन भारत का एक प्रमुख शहर था और यह कई महान साम्राज्यों की राजधानी रहा है। मौर्य, गुप्त, और नंदा साम्राज्यों की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध पाटलिपुत्र भारतीय इतिहास में राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है।

पाटलिपुत्र का उल्लेख महाभारत और बौद्ध ग्रंथों में भी मिलता है। यह शहर मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में अपनी चरम सीमा पर पहुँचा और यहाँ से सम्राट अशोक ने अपने साम्राज्य का विस्तार किया। पाटलिपुत्र का सुव्यवस्थित नगर निर्माण, इसके चारों ओर की खाई, और इसके शक्तिशाली दुर्ग प्राचीन काल में इस शहर की महत्ता को दर्शाते हैं।

सिख धर्म का आगमन
पटना का धार्मिक महत्व 17वीं शताब्दी में बढ़ा जब सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी, यहाँ आए। उन्होंने यहाँ कुछ समय बिताया और उनके पुत्र, गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना साहिब में हुआ। यह घटना पटना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिससे यह स्थल सिख धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र बन गया।

गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्म के बाद, उनके माता-पिता, गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी जी, उन्हें पटना में छोड़कर पंजाब लौट गए। गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रारंभिक जीवन पटना में बीता, जहाँ उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और अपनी माँ और नानी के संरक्षण में बड़े हुए। पटना साहिब में गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्मस्थान, जिसे तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब के नाम से जाना जाता है, आज सिख धर्म के पांच प्रमुख तख्तों में से एक है।

गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रारंभिक जीवन
गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन के प्रारंभिक वर्षों में, उन्हें "गोबिंद राय" के नाम से जाना जाता था। उनके बचपन के दिनों में, उन्होंने कई धार्मिक और साहित्यिक गतिविधियों में भाग लिया। पटना में ही उन्हें संस्कृत, फारसी, और गुरुमुखी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त हुआ। वे शस्त्र विद्या में भी निपुण थे और उन्होंने बचपन से ही वीरता और धार्मिकता का पाठ सीखा।

गुरु गोबिंद सिंह जी का बचपन कई महत्वपूर्ण घटनाओं से भरा हुआ था। उनके पिता, गुरु तेग बहादुर जी, ने दिल्ली में मुगल सम्राट औरंगजेब के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई और अंततः शहीद हो गए। इस घटना ने गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला और उन्हें एक योद्धा और आध्यात्मिक नेता के रूप में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब का निर्माण
गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मस्थान पर एक छोटे से मंदिर का निर्माण उनके जीवनकाल में ही शुरू हो गया था, लेकिन इसका विस्तार और मौजूदा संरचना का निर्माण बाद के समय में हुआ। 19वीं शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह ने इस गुरुद्वारे का पुनर्निर्माण और विस्तार किया। तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब सिख धर्म के पांच प्रमुख तख्तों में से एक है और यह सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।

यह गुरुद्वारा अपनी भव्य वास्तुकला और धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है। गुरुद्वारे के भीतर, गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन से जुड़ी कई वस्तुएँ और धार्मिक ग्रंथ संरक्षित हैं, जिनमें उनका तलवार, कलम, और पवित्र गुरुग्रंथ साहिब शामिल हैं। पटना साहिब के मुख्य भवन के अलावा, इसके परिसर में कई अन्य धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का भी महत्व है, जैसे गुरु का बाग, गुरु का जनम स्थान, और गुरु का घर।

आधुनिक काल और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
पटना साहिब ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, सिख समुदाय ने इस पवित्र स्थल का उपयोग स्वतंत्रता संग्राम की रणनीतियों के लिए किया। सिखों के कई प्रमुख नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों ने पटना साहिब का दौरा किया और यहाँ से स्वतंत्रता आंदोलन को बल दिया।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, पटना साहिब सिख धर्म के पुनर्जागरण और समाज सुधार आंदोलनों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा। आज, पटना साहिब न केवल सिखों के लिए बल्कि सभी धर्मों और जातियों के लोगों के लिए एक पवित्र स्थल है। यहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और इस पवित्र स्थल की महत्ता को अनुभव करते हैं।

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