माँ काली मंगलवार व्रत सम्पूर्ण जानकारी | Maa Kali | Maa Ka Ashirwad

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माँ काली मंगलवार व्रत सम्पूर्ण जानकारी | Maa Kali | Maa Ka Ashirwad

माँ काली कथा:
यह बात उस समय की है, जब एक दारुण नामक राक्षस ने परम पिता ब्रह्मा की भयंकर तपस्या की और उन्हें वरदान देने के लिए विवश कर दिया।

दारुण राक्षस तीनों लोकों पर राज करना चाहता था। इसलिए उसने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान प्राप्त करना चाहा।

किन्तु ब्रह्मा जी ने यह कहकर मना कर दिया कि इस संसार में जिसने भी जन्म लिया उसकी मृत्यु अटल निश्चय है।

इसलिए तुम कोइ और वरदान मांगो। अंततः दारुण ने वरदान मांगा कि हे! ब्रह्मदेव मुझे इस संसार में असुर, नाग, देव, दानव मानव कोई भी ना मार सके

मुझे सिर्फ स्त्री ही मार सकती हो ऐसा मुझे वरदान दीजिए। ब्रह्मा जी ने दारुण को यह वरदान दे दिया और अंतर्ध्यान हो गए।

अब दारुण अपने वरदान के मद में आकर पृथ्वी वासियों,राजाओं स्त्रियों ऋषि-मुनियों पर अत्याचार करने लगा।

दारुण की राक्षसी सेना ने समस्त पृथ्वी पर अधर्म अनीति का साम्राज्य फैला दिया। कहीं दारुण की राक्षसी सेना ऋषि मुनियों को परेशान करने लगी

तो कहीं किसी राजा से युद्ध। दारुण के अत्याचार बढ़ते ही जा रहे थे। अंततः दारुण ने स्वर्ग लोक पर आक्रमण करने का निश्चय किया

दारुण और देवराज इंद्र के बीच भयंकर युद्ध हुआ। किंतु इस युद्ध में देवराज इंद्र हार गए और सभी देवता दारुण के भय से इधर-उधर भागने लगे।

देवताओं ने गुप्त स्थान पर छुप कर अपनी जान बचाई। कुछ समय बाद सभी देवता हिम्मत बांध कर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे

और इस करुण स्थिति के बारे में ब्रह्मा जी को अवगत कराया। तब ब्रह्माजी ने बताया कि दारुण का वध एक स्त्री ही कर सकती है।

इसलिए तुम सभी भोलेनाथ महादेव के पास जाओ महादेव अवश्य कोई ना कोई रास्ता निकालेंगे। इसके बाद सभी देवी देवता महादेव के पास पहुँचे और उन्हें दारूण के भयंकर अत्याचार के बारे में बताया।

तभी भोलेनाथ ने देवी पर्वती की ओर इशारा किया और देवी पार्वती ने अपने शरीर में से एक शक्ति का अंश निकला जो महादेव के कंठ से होता हुआ सीधा उनके शरीर में प्रवेश कर गया।

इसके पश्चात महादेव की तीसरी आँख खुली जिससे तीनों लोक कांपने लगे और तीसरी आंख में से उत्पन्न हुई मां काली जिन का स्वरूप देखकर सभी देवी देवता डर गए।

माँ काली अमावस्या की रात जैसी काली उनकी जीभ एकदम लाल और चेहरे पर भयानक रौद्र रूप था हाथ में तलवार त्रिशूल शोभायमान हो रहे थे।

मां काली ने कैलाश पर्वत से प्रस्थान किया और दारुण को युद्ध के लिए ललकारा। दारुण और मां काली के बीच भयंकर युद्ध हुआ अंततः दारुण पराजित हुआ और मृत्यु को प्राप्त हो गया।

मां काली की भयंकर क्रोध की ज्वाला में अन्य कई राक्षस भी मृत्यु को प्राप्त हो गए। मां काली ने शुंभ, निशुंभ सुंड, मुंड, रक्तबीज आदि का वध किया

किंतु उनका क्रोध शांत नहीं हुआ और वह राक्षसों को ढूंढ ढूंढ कर मारने लगी। जिससे सारी सृष्टि मैं भयंकर भूचाल उत्पन्न होने लगा।

सूर्य, चंद्र की गति रुकने लगी हवाओं ने अपना रुख बदल दिया। इस विकराल स्थिति को देख सभी देवी देवता चिंतित हो उठे और अंततः महादेव माता काली के रास्ते में आ कर लेट गए

जैसे ही मां काली ने उनके छाती पर पैर रखा और नीचे देखा मां काली की छीँख निकल गई और उनका गुस्सा शांत हो गया और जीभ बाहर आ गई। और माँ काली फिर से पार्वती रूप में वापस आ गई।

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