Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть LANKA STORY/क्या रावण ने शिव-पार्वती से छीनी थी लंका?

  • Dharm Darpan
  • 2021-07-13
  • 33
LANKA STORY/क्या रावण ने शिव-पार्वती से छीनी थी लंका?
Dharm DarpanLankaRavnaShivKuberVishnuLaxmi
  • ok logo

Скачать LANKA STORY/क्या रावण ने शिव-पार्वती से छीनी थी लंका? бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно LANKA STORY/क्या रावण ने शिव-पार्वती से छीनी थी लंका? или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку LANKA STORY/क्या रावण ने शिव-पार्वती से छीनी थी लंका? бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео LANKA STORY/क्या रावण ने शिव-पार्वती से छीनी थी लंका?

रावण की लंका की भव्यता देखते बनती थी। कहा यह जाता है कि लंका रावण ने कुबेर से छीनी थी लेकिन यहां का भव्य महल पार्वती जी ने बनवाया था जिसे रावण के पिता ऋषि विश्रश्रवा ने छल से दान में ले लिया था। कहते हैं इससे कुपित पार्वती ने उनको श्राप दिया था कि जिस सोने की लंका को आपने दान में लिया है वह एक दिन जल कर भस्म हो जायेगी। कहते हैं कि उनके श्राप के चलते ही हनुमान जी ने लंका को जलाया था। हनुमान जी तो मात्र माध्यम बने मुख्य कारण था माता पार्वती का श्राप।
पार्वती जी ने कैसे भव्य महल बनवाया इसकी कथा कुछ इस प्रकार है। एक बार शंकर पर्वती जी ने विष्णु और लक्ष्मी को कैलाश पर्वत पर आमंत्रित किया। दोनों आये तो लेकिन लक्ष्मी को कैलाश की ठंड सहन नहीं हुई वे कांपने लगीं। इस पर वे पार्वती से बोलीं आप तो राजकुमारी हैं आपका निवास तो वैसा ही होना चाहिए। इसके साथ ही लक्ष्मी जी ने शिव पार्वती को बैकुंठ आने को आमंत्रित किया। बैकुंठ का वैभव और ऐश्वर्य देख पार्वती चकित रह गयीं। कैलाश लौटकर उन्होंने बैकुंठ की तरह का महल बनवाने का शिव जी से आग्रह किया। सिव जी ने पहले तो बहुत समझाया लेकिन जब पार्वती नहीं मानीं तो उन्होने देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा से एक अद्भुत और भव्य महल बनाने के लिए कहा। अपने इस स्वर्ण महल को देखने के लिए माता पार्वती ने देवी देवताओं के साथ ही विष्णु और लक्ष्मी को आमंत्रित किया।वास्तुप्रतिष्ठा की पूजा के लिए रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा को बुलाया गया। पूजा संपन्न कराने के बाद विश्वश्रवा ने दान में उस महल को ही मांग लिया। बाध्य होकर वह महल उसे देना पड़ा लेकिन इससे पार्वती बहुत क्रुद्ध हो गयीं और उन्होने श्राप दे दिया कि जाओ तुम्हारा यह महल एक दिन भस्म हो जायेगा। कहते हैं कि पार्वती के इस श्राप को पूरा करने का माध्यम हनुमान बने।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या सचमुच लंका सोने की थी। अगर तार्किक रूप से देखा जाए तो इसका शाब्दिक अर्थ नहीं लिया जाना चाहिए। रामायण एक काव्य है और काव्य में उपमा, अलंकर तथा वस्तुओं को अतिरंज्त ढंग से प्रस्तुत किया जाना स्वाभाविक बात है। अक्सर आपने देखा होगा कि किसी की संपन्नता का बखान करने के लिए कह दिया जाता है उनकी तो चांदी कट रही है इसका अर्थ नहीं कि अगला चांदी के ढेर पर बैठा है। इसी तरह कह दिया जाता है कि उनका क्या वे तो सोने-चांदी से खेल रहे हैं। इसके शाब्दिक अर्थ में ना जाकर यह जानना चाहिए कि जिसकी चर्चा की जा रही है वह बहुत संपन्न है। इसी तरह जब रावण की लंका की बात आती है तो, वहां इतनी संपन्नता थी कि कहा जाने लगा कि लंका तो सोने की थी। शब्द के तीन रूप होते हैं-अभिधा, लक्षणा और व्यंजना। लंका को सोने का बताना भी व्यंजना में कही गयी बात है। लंका संपन्न थी पर सोने की नहीं थी। रावण के दस सिर नहीं थे वह प्रकांड पंडित था अकेले दल व्यक्तियों की बुद्धि रखता था इसलिए उसके लिए भी व्यंजना में दस सिर की उक्ति प्रचलित हो गयी। उसके बीस भुजाओं वाली बात भी यह प्रकट करती है कि वह महाबलशाली था।
रावण के दस और बीस भुजा वाली बात में भी ऐसा ही है. वह इतना बुद्धिमान था कि उसमें दस व्यक्तियों के बराबर बुद्धि थी।. शक्तिशाली इतना था कि उसमें बीस हाथों के बराबर बल था।
एक कथा में ऐसा उल्लेख भी मिलता है कि पार्वती के कहने पर भगवान विश्वकर्मा और कुबेर ने मिल कर सोने की लंका का निर्माण किया। एक बार जब रावण उधर से गुजर रहा था तब वह सोने का महल देख कर मोहित हो गया। महल पाने के लिए उसने एक ब्राह्मण का रूप धारण किया और भगवान शिव के पास पहुंचा। उसने शंकर भगवान से भिक्षा में सोने की लंका मांगी। भगवान शंकर पहले ही समझ गये थे कि यह ब्राह्मण के रूप में रावण है। लेकिन वह उसे खाली हाथ नहीं लौटाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सोने की लंका रावण को दान कर दी। जब माता पार्वती को यह बात पता चली तो वह बहुत क्रोधित हुईं और उन्होंने कहा कि सोने की लंका एक दिन जल कर भस्म हो जाएगी। इस श्राप के कारण हनुमान जी ने लंका में आग लगाकर उसे राख कर दिया।
इस तरह से जिस सोने की लंका को रावण ने लालच में आकर छलपूर्वक भगवान शिव से मांगा था, माता पार्वती के श्राप के कारण एक दिन वह सोने की लंका जलकर भस्म हो गयी।
राम-रावण के युद्ध और लंका के जलने की घटना पर जिन्हें विश्वास नहीं वे श्रीलंका जाकर इसके प्रत्यक्ष प्रमाण देख सकते हैं। वहां अशोक वाटिका के प्रमाण मिले हैं। लंका जलायी गयी थी जमीन खोदने पर उसकी राख मिलती है। श्रीलंका सरकार ने रामाय़ण से जुड़ें स्थलों को सहेज, संभाल कर रखा है। कहते तो यहां तक हैं कि पहाड़ की एक गुफा में रावण का शव सुरक्षित रखा हुआ है।

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]