जम्मू , कश्मीर और लद्दाख का इलाका।—Hindi Information

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जम्मू , कश्मीर और लद्दाख का इलाका।—Hindi Information

माना जाता है कि कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर पड़ा था। कश्मीर के सभी मूल निवासी हिंदू थे। कश्मीरी पंडितों की संस्कृति लगभग 6000 साल पुरानी है और वे ही कश्मीर के मूल निवासी माने जाते हैं। 14वीं शताब्दी में तुर्किस्तान से आए एक क्रूर मंगोल मुस्लिम आतंकी दुलुचा ने 60,000 लोगों की सेना के साथ कश्मीर पर आक्रमण किया और कश्मीर में धर्मांतरण करके मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना की थी।

दुलुचा ने नगरों और गांवों को नष्ट कर दिया और हजारों हिंदुओं का नरसंहार किया। हजारों हिंदुओं को जबरदस्ती मुस्लिम बनाया गया। सैकड़ों हिंदू जो इस्लाम कबूल नहीं करना चाहते थे, उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। कई वहां से जान बचाकर निकल गए थे। जम्मू, कश्मीर और लद्दाख पहले हिंदू शासकों और फिर बाद में मुस्लिम सुल्तानों के अधीन रहा।

बाद में यह राज्य अकबर के शासन में मुगल साम्राज्य का हिस्सा बन गया। वर्ष 1756 से अफगान शासन के बाद वर्ष 1819 में यह राज्य पंजाब के सिख साम्राज्य के अधीन हो गया। वर्ष 1846 में रंजीत सिंह ने जम्मू क्षेत्र महाराजा गुलाब सिंह को सौंप दिया।

कश्मीर की बात तो सभी कभी करते हैं पर इसके इतिहास के बारे में बहुत कम लोग चर्चा करते हैं। भौगोलिक स्थिति की दृष्टि से जम्मू कश्मीर में पांच समूह हैं। इनका आपस में कोई संबंध नहीं है। डोगरा राजवंश के इन पांच भौगोलिक हिस्सों का एक राज्य में बने रहना एकता की पहचान थी। जबकि इन अलग-अलग पांचों हिस्सों में भाषा, संस्कृति बिलकुल अलग है। आइए आज हम आपको इस राज्य के इतिहास से रूबरू कराते हैं।
जम्मू अथवा डुग्गर प्रदेश

इस राज्य का सबसे खास हिस्सा जम्मू है। भारतीय ग्रंथों के अनुसार जम्मू को डुग्गर प्रदेश कहा जाता है। यह राज्य की शीतकालीन राजधानी भी है।

जम्मू संभाग में दस जिले हैं। जम्मू, सांबा, कठुआ, उधमपुर, डोडा, पुंछ, राजौरी, रियासी, रामबन और किश्तबाड़।

जम्मू का कुल क्षेत्रफल 36,315 वर्ग किमी है। इसके लगभग 13,297 वर्ग किमी क्षेत्रफल पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। यह कब्जा 1947-1948 के युद्ध के दौरान किया गया था।
जम्मू का मीरपुर पाकिस्तान के कब्जे में है। पुंछ शहर को छोडकर बाकी सारी जागीर पाक के कब्जे में है। मुज्जफराबाद भी पाक के कब्जे में है। इस इलाके में कश्मीरी भाषा बोलने वालों की संख्या बहुत कम है। यहां के लोग गुज्जर हैं या फिर पंजाबी।

जम्मू के भिंबर, कोटली, मीरपुर, पुंछ, हवेली, बाग, सुधांती, मुज्जफराबाद, हट्टियां और हवेली जिले पाकिस्तान के कब्जे में हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू प्रांत के हिस्से में डोगरी और पंजाबी भाषा बोली जाती है। मुज्जफराबाद में लहंदी पंजाबी व गुजरी बोली जाती है। पाकिस्तान जम्मू में कब्जा किए गए इसी हिस्से को आजाद कश्मीर कहता है।

डोगरी भाषा और लोग डोगरा

यहां की भाषा डोगरी है। यहां के मूल निवासियों को डोगरा कहते हैं।
यह इलाका संस्कृति के हिसाब से पंजाब व हिमाचल के नजदीक है। शादियां भी पंजाब हिमाचल में होती रहती हैं।

जम्मू को पंजाब-हिमाचल का विस्तार भी कहा जाता है। पंजाब में पठानकोट में रावी नदी के दूसरे किनारे से शुरू हुआ जम्मू का क्षेत्र पीर पंचाल की पहाड़ियों तक है।
जम्मू में हिंदुओं की आबादी 67 फीसदी है। शेष 33 फीसदी में मुसलमान, गुज्जर और पहाड़ी समेत अन्य लोग रहते हैं।

मुसलमानों में राजपूत मुसलमानों की संख्या ज्यादा है। गुज्जर जनजाति समाज का हिस्सा हैं।

इनकी पूजा पद्धति में इस्लाम, शैव, प्रकृति जैसे कई तत्वों को देखा जा सकता है।
कश्मीर संभाग

जम्मू संभाग पीर पंचाल की पर्वत श्रृंखला में खत्म होता है। इस पहाड़ी की दूसरी तरफ कश्मीर शुरू होता है।

पहले इन दोनों संभागों का संबंध गर्मियों में ही जुड़ता था। सर्दियों में बर्फ के कारण दोनों संभाग कटे रहते थे।

कश्मीर का क्षेत्रफल लगभग 16,000 वर्ग किमी है। इसके दस जिले श्रीनगर, बड़गाम, कुलगाम, पुलवामा, अनंतनाग, कुपवाड़ा, बारामूला, शोपिया, गांदरबल, बांदीपोरा हैं।
घाटी के अतिरिक्त बहुत बड़ा पर्वतीय इलाका है, जिसमें पहाड़ी और गुज्जर रहते हैं।
कश्मीर संभाग मुस्लिम बहुसंख्यक है। शिया लोगों की भी एक बड़ी संख्या है। पर्वतीय इलाकों में गुज्जरों की आबादी ज्यादा है। गुज्जरों की ही एक शाखा को बक्करवाल कहा जाता है।

कश्मीरी भाषा केवल घाटी के हिंदू या मुसलमान बोलते हैं। पर्वतीय इलाकों में गोजरी और पहाड़ी भाषा बोली जाती है।

घाटी के मुसलमान सुन्नी हैं। बहावी और अहमदिया भी हैं। आतंकवाद का प्रभाव कश्मीर घाटी के कश्मीरी बोलने बाले सुन्नी मुसलमानों तक ही है।

लद्दाख

लद्दाख एक ऊंचा पठार है जिसका अधिकतर हिस्सा 3,500 मीटर (9,800 फीट) से ऊंचा है।
यह हिमालय और काराकोरम पर्वत श्रृंखला और सिंधु नदी की ऊपरी घाटी में फैला है।
करीब 33,554 वर्गमील में फैले लद्दाख में बसने लायक जगह बेहद कम है। यहां हर ओर ऊंचे-ऊंचे विशालकाय पथरीले पहाड़ और मैदान हैं।

ऐसा माना जाता है कि लद्दाख मूल रूप से किसी बड़ी झील का एक डूबता हिस्सा था, जो कई वर्षों के भौगोलिक परिवर्तन के कारण लद्दाख की घाटी बन गया।
18वीं शताब्दी में लद्दाख और बाल्टिस्तान को जम्मू और कश्मीर के क्षेत्र में शामिल किया गया।
लद्दाख के पूर्वी हिस्से में लेह के आसपास रहने वाले निवासी मुख्यतः तिब्बती, बौद्ध और भारतीय हिंदू हैं। लेकिन पश्चिम में कारगिल के आसपास जनसंख्या मुख्यत: भारतीय शिया मुस्लिमों की है।

प्राचीनकाल में लद्दाख कई अहम व्यापारिक रास्तों का प्रमुख केंद्र था।

लद्दाख मध्य एशिया से कारोबार का एक बड़ा गढ़ था। सिल्क रूट की एक शाखा लद्दाख से होकर गुजरती थी।

दूसरे मुल्कों से यहां सैकड़ों ऊंट, घोड़े, खच्चर, रेशम और कालीन लाए जाते थे। जबकि हिंदुस्तान से रंग, मसाले आदि बेचे जाते थे।

तिब्बत से भी याक पर ऊन, पश्मीना वगैरह लादकर लोग लेह तक आते थे। यहां से इसे कश्मीर लाकर बेहतरीन शॉलें बनाई जाती थीं।

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