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Скачать или смотреть मकर संक्रांति 2024 पूजा शुभ मुहूर्त,मकर संक्रांति कब है 14 या 15 जनवरी 2024

  • Aacharya Guruji
  • 2023-12-09
  • 13764
मकर संक्रांति 2024 पूजा शुभ मुहूर्त,मकर संक्रांति कब है 14 या 15 जनवरी 2024
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Описание к видео मकर संक्रांति 2024 पूजा शुभ मुहूर्त,मकर संक्रांति कब है 14 या 15 जनवरी 2024

मकर संक्रांति 2024 पूजा शुभ मुहूर्त,मकर संक्रांति कब है 14 या 15 जनवरी 2024 #MakarSankranti
घोड़े पर सवार होकर आ रही है मकर सक्रांति
धनु राशि से मकर राशि में सूर्य का प्रवेश 14 /15 जनवरी 2024 सोमवार को मध्यरात्रि 2 :44 पर होगा
मकर सक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी 2024 सोमवार को प्रातः से सूर्यास्त तक रहेगा मकर सक्रांति का महापर्व 15 जनवरी 2024 सोमवार को मनाया जाएगा सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर सक्रांति कहलाता है इसी दिन से सूर्य उतरायण हो जाते हैं शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा गया है इस तरह मकर सक्रांति एक प्रकार से देवताओं का प्रभात काल है मकर सक्रांति के दिन स्नान दान जप तप श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व होता है शास्त्रों के अनुसार इस दिन किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है मकर सक्रांति के दिन सूर्य अपनी कक्षाओं में परिवर्तन कर दक्षिणायन से उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं जिस राशि में सूर्य की कक्षा का परिवर्तन होता है उसे संक्रमण य सक्रांति कहा जाता है 14 जनवरी गुरुवार को सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश भारतीय मानक समय के स्थानीय समय के सूर्य के मकर राशि में प्रवेश होते ही मकर सक्रांति का पुण्य काल प्रारंभ हो जाता है 15 जनवरी को प्रातः से सूर्यास्त तक मकर सक्रांति का पुण्य काल रहेगा
धर्म सिंधु धार्मिक ग्रंथ के अनुसार मकर सक्रांति का पर्व काल सक्रांति होने से 40 घड़ी तक रहता है किंतु रात्रि में स्नान निषेध होने से प्रातः से सूर्यास्त पूर्व तक पर्व काल रहेगा मकर सक्रांति पर स्नान दान जप तप पूजन श्राद्ध का विशेष महत्व होता है भारतीय ज्योतिष के अनुसार मकर सक्रांति के दिन सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना जाता है मकर सक्रांति से दिन बड़े होने लगते हैं और रात्रि की अवधि कम होती जाती है स्पष्ट है कि दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा और रात्रि छोटी होने से अंधकार की अवधि कम होगी सूर्य ऊर्जा का अजस्त्र स्त्रोत है
उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी कहते हैं इसलिए इस दिन खिचड़ी खाने तथा खिचड़ी तिल दान देने का विशेष महत्व है बताया जाता है कि मकर सक्रांति से सूर्य तिल तिल बढ़ते हैं इसी कारण मकर सक्रांति पर तिल का उबटन लगाकर स्नान करने तिल दान करने एवं तिल खाने का विशेष महत्व होता है
इस वर्ष मकर सक्रांति का वाहन अश्व घोडा है इसी कारण घोड़े पर सवार होकर मकर सक्रांति आ रही है सक्रांति काउप वाहन सिंह है सक्रांति का आगमन काले वस्त्र धारण पाटली कुंचकी धारण किए वृद्धावस्था मैं हल्दी लेपन कर,सोने की अंगूठी पहन कर,खंजर आयुष शस्त्र धारण किए हुए पत्र पात्र मैं अन्य ग्रहण करते हुए दक्षिण दिशा को दृष्टिगत किए हुए पूर्व दिशा की ओर गमन करते हो रहा है
इस वर्ष की मकर सक्रांति देश में सुख समृद्धि करने बाली है
सक्रांति का फल- देशभर में सफेद वस्तुएं चांदी चावल दूध शकर आदि के भावों में वृद्धि होगी राजा के प्रति विरोध की भावना बदलती रहती रहेगी ब्राह्मण वर्ग का सम्मान बढ़ेगा सन्यासियों व किसानों को कष्ट रहेगा महामारी के प्रसार में कमी आएगी
मकर सक्रांति दान का महत्व- धर्म शास्त्रों के अनुसार मकर सक्रांति पर खिचड़ी तिल गुड घृत वस्त्र अन्न स्वर्ण तांबे पीतल दान करना चाहिए एवं किसी तीर्थ स्थान में स्नान करने का भी विशेष महत्व होता है उत्तर प्रदेश में खिचड़ी तिल महाराष्ट्र में तेल कपास नमक बंगाल में तिल दक्षिण में पोगल आसाम में बिहू राजस्थान में 14 की संख्या में वस्तुएं दान की जाती है पंजाब एवं जम्मू कश्मीर में लोहडी के नाम से पर्व मनाया जाता है सिंधी समाज लाल लोही के रूप में मकर सक्रांति का पर्व मनाते हैं,मकर सक्रांति के दिन गंगा यमुना सरस्वती के संगम पर प्रयाग में मकर सक्रांति के दिन सभी देवी देवता अपना रूप बदलकर स्नान करने आते हैंमकर सक्रांति को गंगा जी स्वर्ग से उतर कर भागीरथ के पीछे पीछे चल कर कपिल मुनि के आश्रम में जाकर सागर में मिल गई थी गंगा जी के पावन जल से ही राजा सगर के साठ हजार श्राप ग्रस्त पुत्रों का उद्धार हुआ था इसी कारण गंगा सागर तीर्थ विख्यात हुआ था,राशियों के अनुसार मकर सक्रांति का फल
मेष लाभ वृषभ कष्ट - मिथुन सम्मान - कर्क तनाव - सिंह लाभ - कन्या अशांति - तुला उन्नति - वृश्चिक धन आगमन खुशी- धनु धन लाभ,यश - मकर हानि - कुंभ लाभ- मीन परिवर्तन प्रतिष्ठा में वृद्धि
राशियों के अनुसार दान
मेष तांबे की वस्तु चादर तिल लाल वस्तु
वृषभ चांदी की बनी वस्तु सफेद वस्त्र तिल
मिथुन हरी सब्जियां चादर छाता
कर्क सफेद ऊनी वस्त्र मोती साबूदाना
सिंह गुड गेहूं लाल वस्तु कंबल
कन्या खिचड़ी मूंग दाल हरे वस्त्र उड़द
तुला सात प्रकार के अन्य सफेद वस्त्र चावल शकर घी
वृश्चिक लाल रंग के कपड़े तांबे का पात्र स्वर्ण मसूर
धनु पीले वस्त्र पीतल स्वर्ण चने की दाल धार्मिक ग्रंथ
मकर काले रंग का कंबल तिल से बनी वस्तु
कुंभ घी तिल साबुन अन्य
मीन धार्मिक ग्रंथ पीली वस्तुओं का दान चने की दाल पीले वस्त्र,मकर राशि का स्वामित्व शनि ग्रह के पास है। मकर संक्रांति से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र से मिलने उनके घर जाते है। यह सर्वविदित है कि सूर्य भगवान शनि देव के पिता है, और पिता व पुत्र दोनों में शत्रुवत संबंध है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य-शनि का एक साथ होना, भाव की शुभता और विशेषताओं में कमी करता है। फिर भी सूर्य का शनि ग्रह की राशि में जाने पर पुत्र को पिता का सम्मान, आदरभाव करने का अवसर प्राप्त होता है, और सूर्य-शनि से संबंधित अशुभ योगों में कमी करने के लिए यह सबसे उपयुक्त दिन माना जाता इस दिन देवी गंगा जी भागीरथ जी के साथ सागर से मिली थी। इसी के साथ गंगा जी की यात्रा पूर्ण हुई थी। इसके अतिरिक्त इसी दिन भागीरथ जी ने अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए तर्पण कार्य

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