तंत्र विधा का अनूठा प्रमाण || काला पहाड़ रामनगर मंडला मध्य प्रदेश

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Kala pahad mandla (कला पहाड मंडला)

मंडला. जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर पदमी से रामनगर के बीच स्थित काला पहाड़ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। तीन किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस पहाड़ के पत्थर अपने आप में अलग पहचान रखते हैं। इतिहासकारों का कहना है कि काली भूरी चट्टानों का पहाड़ है। करोड़ों वर्ष पुरानी ऐसी चट्टानें केवल आयरलैंड के उत्तरी भाग में पायी जाती हैं। गोंडकालीन शासक हृदयशाह ने जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर जंगलों के बीच सुरम्य वातावरण में नर्मदा किनारे रामनगर में अपनी राजधानी बनाई थी। राजधानी में कई ऐतिहासिक और शानदार महल एवं इमारतों का निर्माण कराया जो आज भी गाेंडकालीन शासन के विरासत के रूप में पूरी दुनिया में पहचानी जाती हैं। गोंडकालीन राजधानी रामनगर के भव्य महल और इमारतों के साथ एक और वह रहस्मयी स्थान है जिसे काला पहाड़ के नाम से जाना जाता है। आज भी रामनगर का काला पहाड़ अपने आप में कई पहेलियां और अनसुलझे प्रश्न छिपाए हुए है।

पत्थरों के बीच नहीं उगी झाड़ियां
रामनगर से लगभग 4-5 किमी की दूरी पर स्थित अष्टफलकीय काले पत्थरों का पहाड़ है। इसे ही काला पहाड़ के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि राजा हृदय शाह ने अपने तंत्र मंत्र के बल पर काले पहाड़ से पत्थरों को हवा में उड़ाकर यहां लाए थे। जबकि इतिहासकारों की पुस्तकों में बताया गया है कि संभवत: रामनगर के मोतीमहल, रायभगत की कोठी आदि महलों के निर्माण के लिए ये पत्थर अन्य स्थानों से मंगवाए गए थे। महलों के निर्माण के बाद इन पत्थरों को रामनगर राजधानी से कुछ किमी दूर रखवाया गया और अत्यधिक संख्या में होने के कारण ये पहाड़ के रूप में दिखाई पड़ते हैं। इन पत्थरों पर आज तक कोई वनस्पति नहीं पाई गई। यही कारण है कि इन पत्थरों को रहस्यमयी माना जाता है।

गोंड शासकों के तंत्र विद्या की कहानी कहता है काला पहाड़

मान्यता है कि राजा हृदय शाह ने अपने तंत्र मंत्र के बल पर काले पहाड़ से पत्थरों को हवा में उड़ाकर लाए थे और महज ढाई दिनों में ही महलों का निर्माण हुआ था। जबकि इतिहासकारों की पुस्तकों में बताया गया है कि संभवत: रामनगर के महलों के निर्माण के लिए ये पत्थर अन्य स्थानों से बुलवाए गए थे। महलों के निर्माण के बाद इन पत्थरों को रामनगर राजधानी से कुछ किमी दूर रखवाया गया और अत्यधिक संख्या में होने के कारण पहाड़ के रूप में दिखाई पड़ते हैं। इन पत्थरों पर आज तक कोई वनस्पति नहीं पाई गई। यही कारण है कि इन पत्थरों को रहस्यमयी माना जाता है।


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