रागी मडुआ की खेती की पूरी जानकारी 🌱🌴 maduwa ki kheti kaise karen | maduwa ki kheti ki puri jankari

Описание к видео रागी मडुआ की खेती की पूरी जानकारी 🌱🌴 maduwa ki kheti kaise karen | maduwa ki kheti ki puri jankari

रागी / मडुआ / मकरा की सफल खेती | fingar millet cultivation methods | ragi ki kheti in hindi
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रागी / मडुआ / मकरा की सफल खेती | fingar millet cultivation methods | ragi ki kheti in hindi

topic covered in this video
1- रागी की खेती कैसे करें
2- रागी की खेती कब होती है
3- रागी की खेती कहां होती है
4- रागी की खेती कैसे की जाती है
5- fingar millet cultivation
6- मंडुआ की खेती कैसे करें
7- मंडुआ की खेती कहां होती है
8- मंडुआ किसे कहा जाता है
9- मंडुवा की खेती कब और कैसे करें
10- मकरा की खेती कब और कैसे करें

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रागी की खेती: कम सिंचाई में अधिक उत्पादन || Ragi cultivation || Finger Millet cultivation in India

Description

रागी की खेती: कम सिंचाई में अधिक उत्पादन || Ragi cultivation || Finger Millet cultivation in India

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नमस्ते किसान भाइयों आपका स्वागत है हमारे यूट्यूब चैनल #Hariyar_ulgulan_Trust_ पर। इस वीडियो में बात करने वाले है रागी (#Finger_millet) की फसल के बारे में जिसे 'मड़ुआ' भी कहते है। यह मोटे अनाज की श्रेणी में आता है। यह कम सिंचाई में अधिक आमदनी वाली फसल है। किसान भाइयों यदि आपको वीडियों पसंद आए तो वीडियों को लाइक और शीयर जरूर करे।
|| धन्यवाद ||
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अन्य जानकारी :-
सूखा सहन करने की क्षमता रखने वाली मडुवे की पैदावार प्राचीन समय से ही राज्य के पर्वतीय अंचलों में होती रही है। इसकी खेती ढालू, कम उपजाऊ व बारिश पर आश्रित भूमि पर की जाती है। मडुवा विपरीत परिस्थितियों में भी पैदा किया जा सकता है, यही कारण है कि सिंचाई के साधनों के अभाव वाले क्षेत्रों में किसान इसकी उपज आसानी से कर सकते हैं। -.

मडुआ बच्चों से लेकर वृद्धजनों तक सभी के लिये समान रूप से उपयोगी है। जापान में तो इससे शिशुओं के लिये खास तौर पर पौष्टिक आहार तैयार किया जाता है। उत्तराखंड सरकार ने भी सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मडुआ के बने व्यंजन देने की व्यवस्था की थी। कहने का मतलब यह है कि मडुआ को छह माह के बच्चे से लेकर गर्भवती महिलाओं, बीमार व्यक्तियों और वृद्धजनों तक सभी को दिया जा सकता है। इससे उन्हें फायदा ही होगा।

इसमें कैल्सियम, फासफोरस, आयोडीन, विटामिन बी, लौह तत्वों से भरपूर होता है। इसमें चावल की तुलना में 34 गुना और गेंहू की तुलना में नौ गुना अधिक कैल्सियम पाया जाता है। प्रति 100 ग्राम कोदा में प्रोटीन 7.6 ग्राम, वसा 1.6 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 76.3 ग्राम, कैल्सियम 370 मिग्रा, खनिज पदार्थ 2.2 ग्राम, लौह अयस्क 5.4 ग्राम पाया जाता है। इसके अलावा इसमें फास्फोरस, विटामिन ए, विटामिन बी.1 यानि थियामाइन, विटामिन बी.2 यानि रिबो​फ्लेविन, विटामिन बी.3 यानि नियासिन, फाइबर, गंधक और जिंक आदि भी पाया जाता है।

कैल्सियम और फास्फोरस हड्डियों और दांतों को मजबूत करते हैं। इसमें कैल्सियम और फास्फोरस उचित अनुपात में होने के कारण यह बढ़ते बच्चों के लिये बेहद लाभकारी होता है।

मधुमेह के रोगियों के लिये तो मडुवा वरदान साबित हो सकता है। इसमें पाये जाने वाले काबोहाइड्रेट जटिल किस्म के होते हैं जिनका पाचन धीरे धीरे होता है और ऐसे में ये रक्त में शर्करा की मात्रा को सं​तुलित बनाये रखते हैं।

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