इस तरह करें आलु की खेती में सिंचाई का सही प्रबंध | Shobha Ram

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इस तरह करें आलु की खेती में सिंचाई का सही प्रबंध | Shobha Ram

आलू की खेती में सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली सिंचाई प्रणालियों में टपकन सिंचाई, छिड़काव प्रणालियां, ऊपरी रेन गन, और बूम सिंचाई शामिल हैं। ज्यादा उत्पादन के लिए, जलवायु के अनुसार 120 से 150 दिन की फसल के लिए 500 से 700 मिमी पानी की जरुरत होती है। पौधे के विकास के शुरूआती चरणों के दौरान आमतौर पर आलू के पौधों के लिए पानी की जरूरतें काफी कम होती हैं और पौधा बड़ा होने पर और कंद के विकास के आगे के चरणों में पानी की जरुरत धीरे-धीरे बढ़ती है।

Query:
1. रेतीली मिट्टी में भारी मिट्टियों की तुलना में ज्यादा सिंचाई करनी पड़ती है
2. आलू की खेती में मिट्टी का हर समय गीला होना जरुरी है
3. सर्दियों में किसान ज्यादा सिंचाई न करें

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फार्मर द जर्नलिस्ट के पीछे का मुख्य मकसद किसानों की समस्याओं को उन्ही के माध्यम से प्रशासन तक पहुँचाना है. इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है कि कैसे वह खबर या फिर वीडियो तैयार कर भेज सकते हैं. फार्मर द जर्नलिस्ट का उद्देश्य किसानों की समस्याओं को उन्ही से समझकर उसे आगे बढ़ाना है ताकि उन्हें नजर अंदाज ना किया जा सके. इसके लिए किसानों को कृषि जागरण की तरफ से ट्रेनिंग दी जाती है

किसानों की समस्या का आंकलन तभी किया जा सकता है जब हम खुद उससे जुड़े हो. किसानों को कब किस समस्या का सामना करना पड़ता है या आने वाले समय में क्या होने वाला है यह एक किसान से बेहतर और कोई नहीं बता सकता. ऐसे में किसानों की समस्या को जड़ से समझकर उसका समाधान निकालने के लिए कृषि जागरण और उसकी पूरी टीम ने आज से कुछ समय पहले एक सफल प्रयास की शुरुआत की थी. जिसको हम सब “फार्मर द जर्नलिस्ट” के नाम से जानते हैं. कृषि जागरण द्वारा शुरू की गई इस कड़ी में किसानों को शिक्षित किया जाता है कि कैसे वह अपनी समस्याओं को खबर के रूप में या फिर वीडियो बना कर हमें भेज सकते हैं. यह ही है “फार्मर द जर्नलिस्ट”

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