श्री कृष्ण जी का हुआ जन्म | Janmashtami Special Katha

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भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!

Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here -    • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...  

कंस का अत्याचार बढ़ चुका था, सभी लोग कंस से बहुत दुःखी थे। कंस के अत्याचार के कारण श्री हरी के पास सभी देवता जाते हैं और उनसे विनती करते हैं की वो पृथ्वी पर अवतार लेकर कंस के अत्याचारों से सभी को मुक्ति दिलाएँ। श्री हरी उनकी बात मान लेते हैं और कंस की बहन देवकी के आठवें पुत्र के रूप में जनम लेने की बात कहते हैं। कंस को जब यह आकाशवाणी सुनाई देती है की उसका वध देवकी का पुत्र करेगा तो वो उन्हें अपने पास कारागार में डाल देता हैं। कंस एक एक करके देवके के छः पुत्रों के जनम के तुरंत बाद मार देता है। श्री हरी देवकी और वासुदेव को दर्शन देते हैं और उन्हें कहते हैं की वो अब उनके आठवें पुत्र के रूप में जनम लेने वाले हैं और कंस का वध वही करेंगे। श्री हरी देवकी और वासुदेव को उनके पुनर जनम के तप के बारे में भी बताते हैं की उन्होंने तप करके श्री हरी को अपने पुत्र के रूप में माँगा था, इसलिए वो इस जनम में उनके पुत्र के रूप में जनम ले रहे हैं। देवकी और वसुदेव यह सब सुन कर श्री हरी को प्रणाम करते हैं। श्री हरी देवकी के गर्भ में अपने अवतार को स्थापित कर देते हैं। श्री कृष्ण के जनम के बाद देवी माया प्रभु की आज्ञा से वासुदेव को अपनी माया से जगती हैं और कृष्ण को कंस से बचाने के लिए गोकुल भेजते हैं जहां यशोदा ने एक कन्या को जनम दिया था जो की माँ शक्ति थी। वासुदेव कृष्ण को टोकरी में लेकर चल पड़ते हैं देवी माया कारागार के सभी दरवाज़ खोल देती हैं और सभी सैनिकों को भी बेहोश कर देती हैं। वासुदेव कृष्ण को लेकर अपने साथ निकल पड़ते हैं रस्ते में वो यमुना नदी पार करते हैं तो बारिश होने लगती है। शेष नाग क्षीर सागर से आते हैं और श्री कृष्ण को बारिश से बचाने के लिए अपने फ़न को को फैला देते हैं। देवी यमुना जी भी जल का स्तर बढ़ा देती हैं और उन्हें रोक देती हैं और श्री कृष्ण से विनती करती हैं की उन्हें अपने चरण चुने का मौक़ा दे। श्री कृष्ण यमुना जी की प्रार्थना स्वीकार कर लेते हैं और यमुना जी कृष्ण के चरण छूकर उन्हें प्रणाम करने के बाद नदी का स्तर काम कर देती हैं। वासुदेव नदी पार करके गोकुल पहुँच जाते हैं और यशोदा के पास लेती कन्या के साथ कृष्ण को बदल लेते हैं और वहाँ से वापस आ जाते हैं। वापस आने के बाद देवी माया वासुदेव को यह सारे वाक्य को मिटा देती हैं। जैसे ही भोर होती है बचे की रोने की आवाज़ से सैनिक वहाँ पहुँच जाते हैं और देवकी के आठवें पुत्र के जनम की जगह पुत्री की खबर कंस को देते हैं। कंस यह सुन वह पहुँच जाता है और उनसे पूछताछ करने लगता है। कंस देवकी से पुत्री को छिन लेता है और मारने कोशिश करता है माँ भगवती अपने असली रूप में आ जाती है और कंस को उसकी मृत्युु करने वाले के जनम हो चुका है ये बताती हैं, जिससे कंस बोखला उठता है। यशोदा नंदराय के घर में श्री कृष्ण जनम की ख़ुशियाँ मनायी जाती हैं।

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