Namisharanya Tour | Maa Lalita Devi temple | Hanumangarhi | Navratri Special |‎@LBRentertener

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Namisharanya Complete Tour | Maa Lalita Devi temple | Hanumangarhi | Navratri Special |‎@LBRentertener

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Famous Temples In Sitapur: 108 शक्तिपीठों में शुमार है मां ललिता देवी मंदिर, दर्शनमात्र से दूर हो जाते हैं हर रोग-व्याधि

कैसे पहुंचे नैमिषारण्यः नैमिषारण्य रेल व सड़क मार्ग से जुड़ा है। सीतापुर व बालामऊ जंक्शन से नैमिषारण्य के लिए सीधे ट्रेन की सुविधा है। रेल मार्ग पर सीतापुर से नैमिषारण्य 36 किलोमीटर व बालामऊ से 32 किलोमीटर की दूरी पर है। लखनऊ कैसरबाग बस अड्डा से नैमिषारण्य के लिए सीधे परिवहन निगम की बस सुविधा उपलब्ध है। साथ ही सीतापुर, हरदोई बस अड्डे से भी बस सेवा मिलती है। निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ है, जो नैमिषारण्य से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है।
मां ललिता देवी से जुड़ी कुछ खास बातेंः

मां ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी, राजराजेश्वरी, श्रीमाता, श्रीमतसिंहासनेश्वरी जैसे कई नामों से जाना जाता है.

मां ललिता देवी के बारे में कुछ खास बातेंः

देवी भागवत के मुताबिक, देवी सती ने अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ के हवनकुंड में जलकर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी.

जब शिवजी को यह समाचार मिला, तो उन्होंने देवी सती का जला हुआ शरीर उठाकर तीनों लोकों में घुमाया.

भगवान विष्णु ने चक्र से देवी के शरीर के टुकड़े कर दिए थे.

यह 108 टुकड़े धरती में जहां-जहां गिरे, वहां देवी के शक्तिपीठ बन गए.

नैमिषारण्य में देवी का हृदय गिरा था, इसलिए देवी को ललित यानी कोमल माना गया और उनका नाम ललिता देवी पड़ा.

मां ललिता देवी के बारे में कुछ और बातेंः
ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है। 108 शक्ति पीठों में शुमार इस देवी मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं। शारदीय और वासंतिक नवरात्र में तो काफी बहुत भीड़ उमड़ती है। मंदिर का इतिहासः पुराणों में नैमिषारण्य में लिंग धारिणी नाम से देवी का वर्णन है, लेकिन अब यह ललिता देवी के नाम से विख्यात है।
देवी भागवत में भी श्लोक है कि वाराणस्यां विशालाक्षी नैमिषेलिंग धारिणी, प्रयागे ललिता देवी कामुका गंध मादने...। नैमिषारण्य में ललिता देवी का वर्णन 108 देवी पीठाें में आता है। देवी भागवत में लिखा है कि दक्ष द्वारा अपने पति के अपमान को न सह सकीं और आहत होकर अपने प्राणों की आहुति दे दी।
तब शंकर जी ने अपने गणों के साथ यज्ञ को नष्ट कर डाला और सती के शव को लेकर इधर-उधर विचरण करने लगे। उनके नरसंहार से विरत न होते देखकर विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के 108 टुकड़े कर डाले। शव के अंश जिन-जिन स्थानों पर गिरे, वहां पर देवी पीठ बने। नैमिषारण्य में सती जी का हृदय गिरा था, जिससे यह स्थान भी सिद्ध पीठ के नाम से विख्यात हुआ।
मंदिर की विशेषताः मां ललिता देवी के मंदिर में पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इस मंदिर पर पूरे नवरात्र बड़ी संख्या में पुजारी, साधु, संत और श्रद्धालु दुर्गा सप्तशती का अनवरत पाठ करते हैं। नया काम शुरू करने से पूर्व श्रद्धालु यहां आते हैं। इसके अलावा यहां पर मुंडन, अन्नप्रासन आदि संस्कारों कराने भी लोग आते हैं। माता के दर्शन को विभिन्न धर्मों के लोग भी पहुंचते हैं। गर्भ गृह में पूर्व दिशा में मां की प्रतिमा स्थापित है। माता का दर्शन अभीष्ठ फल देने वाला है।

ठहरने का इंतजामः नैमिषारण्य में होटल और धर्मशालाओं में ठहरने की व्यवस्था है। भोजन के लिए कई रेस्टोरेंट भी हैं।

मां ललिता देवी प्रमुख शक्तिपीठों में एक हैं। ललिता देवी का वर्णन देवी भागवत व पुराणों में भी है। मां ललिता दस महाविद्याओं में से एक हैं। सती जी के शरीर का ह्रदय नैमिषारण्य में गिरा था। यहां वर्ष भर देश, विदेश से श्रद्धालुओं का आगमन होता है। माता के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए कल्याणकारी हैं। -लाल बिहारी शास्त्री, पुजारी ललिता देवी मंदिर। Jai mata lalita Devi🙏

नैमिषारण्य स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर को बड़े हनुमान मंदिर के नाम से भी जानते हैं। माना जाता है कि भगवान श्रीराम-रावण युद्ध के समय अहिरावण ने जब राम तथा लक्ष्मण का अपहरण किया। तब हनुमान जी पातालपुरी गए जहां उन्होंने अहिरावण का वध किया और उसके बाद कंधों पर राम और लक्ष्मण को बैठाकर यही से दक्षिण दिशा यानि लंका की ओर प्रस्थान किया। अतः यहां दक्षिणमुखी हनुमान की मूर्ति प्रकट हुई। यहीं पर पाण्डवों ने महाभारत के बाद 12 वर्ष तपस्या की है। जिसे पांड़व किला कहते हैं यह मंदिर दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर के नाम से प्रचलित है, यह अत्यंत दुर्लभ है। यहां पर हनुमान जी की विशालकाय प्रतिमा है। इनका दर्शन श्रद्ालुओं को शांति और सुकून प्रदान करता है। और उसके सभी कष्ट कट जाते हैं। 🙏Jai bajrang bali 🙏
Tri Shakti Dham Andha Ashram, Naimisharanya. Temple
यह स्थान त्रि शक्ति धाम अंध आश्रम, नैमिषारण्य है। मंदिर में भव्य और भव्य निर्माण है जिसमें भगवान विष्णु की बड़ी मूर्ति और देवी दुर्गा की मूर्ति भी शामिल है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है! यह मंदिर वास्तव में एक ऐसी जगह है जहाँ कोई शांति और सुकून के कुछ पल बिता सकता है क्योंकि यह जगह सिर्फ़ प्रार्थना करने के लिए नहीं है बल्कि इसमें प्रकृति का स्पर्श, शांति का स्पर्श और अविश्वसनीय निर्माण का स्पर्श है|
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