कर्म शब्द का अक्सर गलत अर्थ लगाया जाता है कि सब कुछ कर्मों के हिसाब से पहले से तय है। सद्गुरु समझाते हैं कि चीज़ों के पहले से तय होने से ठीक उल्टा, कर्म का अर्थ है कि आप अपने जीवन को अपने हाथों में ले सकते हैं। ये जीवन जीने का सबसे गतिशील तरीका है।
English video: • Karma: Can You Control Your Destiny? ...
एक योगी, युगदृष्टा, मानवतावादी, सद्गुरु एक आधुनिक गुरु हैं, जिनको योग के प्राचीन विज्ञान पर पूर्ण अधिकार है। विश्व शांति और खुशहाली की दिशा में निरंतर काम कर रहे सद्गुरु के रूपांतरणकारी कार्यक्रमों से दुनिया के करोडों लोगों को एक नई दिशा मिली है। दुनिया भर में लाखों लोगों को आनंद के मार्ग में दीक्षित किया गया है।
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Transcript:
आप कितने चेतन हैं, इससे तय होता है कि अपने भाग्य का कितना हिस्सा आप तय करते हैं।
कर्म का मतलब है आपका काम। आपका जीवन आपने बनाया है। ये वो सबसे बड़ी ताकत है, जो आप पा सकते हैं।
प्रश्न - [male –elderly] क्या हमारे जीवन में वे लोग आते हैं, जिनका आना हमारी किस्मत या भाग्य में लिखा
होता है?
सद्गुरु - क्या आप हाल ही में किसी से प्यार करने लगे हैं?
प्रश्न – हाँ प्यार हो रहा है।
सद्गुरु – नहीं, क्योंकि मैं रोमांस को खराब नहीं करना चाहता।
देखिए… इसे इस तरह से देखिए। आज सुबह नींद से जागने से लेकर.. इस पल तक। नींद के हिस्से को छोड़ देते हैं। जब आप पूरी तरह से जाग गए, उस पल से लेकर इस पल तक। आपका शरीर अपने काम कर रहा है, है कि नहीं? शारीरिक गतिविधि हो रही है। बाहर और अन्दर भी। हो रही है या नहीं, तभी हम जीवित हैं। मानसिक गतिविधि हो रही है, भावनात्मक गतिविधि हो रही है। ऊर्जा गतिविधि हो रही है।
इन चार आयामों की गतिविधि का कितना हिस्सा आपने चेतनता से किया? आज सुबह नींद से जागने से लेकर.. इस पल तक। आपको क्या लगता है? कितना प्रतिशत?
कितना प्रतिशत?
ये एक प्रतिशत से काफी कम है, मेरा विश्वास कीजिए।
जब आप 1 प्रतिशत से भी कम काम चेतन होकर करते हैं, 99 प्रतिशत से ज्यादा अचेतन है, तो हर चीज़ संयोग लगेगी। है न? हम्म?
सबकुछ ईश्वर का काम लगेगा। क्योंकि आपके 99 प्रतिशत काम अचेतन हैं। एक काम कीजिए, जब आप आज गाड़ी चलाकर वापस जाएं, 99 प्रतिशत समय आँखें बंद करके गाड़ी चलाएं।
आप देखेंगे, कि आप आपको कितने लोग मिलते हैं। लेकिन अगर आप आँखें खोलकर पूरी चेतनता से चलाएं, तो आप किसी से इस तरह धमाके के साथ नहीं मिलेंगे। हम्म?
चीज़ें बिलकुल अलग तरीके से होंगी। आप कितने चेतन हैं, इससे तय होता है कि अपने भाग्य का कितना हिस्सा आप तय करते हैं।
आप कितने अचेतन हैं, इससे ये तय होता है कि आपकी किस्मत कितनी संयोग से चलेगी। सबकुछ संयोग से होता है, हम किसी और शक्ति को इसका कारण बताना चाहते हैं। नहीं, ये रुकना चाहिए।
हमें समझना चाहिए, कि कारण हम हैं। क्या कोई और शक्ति नहीं है? बिलकुल है। ये सृष्टि आपने नहीं बनाई, न ही मैंने बनाई है। ठीक है? आपने ये सृष्टि नहीं बनाई, न ही मैंने बनाई है, एक शक्ति है। लेकिन, वो एक बिलकुल अलग आयाम है। और अभी जो आपके साथ हो रहा है, वो पूरी तरह से आपने बनाया है।
आप जहां से हैं, भारत, ये दुनिया की एकमात्र संस्कृति है, जो आपको लगातार बताती रही है, कि आपका जीवन आपका कर्म है। कर्म मतलब आपका किया हुआ। आपका जीवन आपने बनाया है।
जो भी हो रहा हो, हो सकता है आप तार्किक रूप से उसका कारण समझ पाएं। हो सकता है न समझ पाएं। लेकिन, फिर भी आप एक चीज़ जानते हैं, अगर मेरे साथ ये हो रहा है, तो ये मैंने बनाया है। ये वो सबसे बड़ी ताकत है, जो आप पा सकते हैं।
जब आप समझते हैं कि मेरा जीवन मेरा बनाया हुआ है, तो अब तक जो भी हुआ है उससे फर्क नहीं पड़ता, आप अपना कल कैसे बनाएंगे? मैं पूछ रहा हूँ।
अगर आप बिलकुल साफ़-साफ़ सौ प्रतिशत जानते हैं कि मेरा जीवन मेरा बनाया हुआ है।
तो आप अगला पल कैसा बनाएंगे? आप कल कैसा बनाएंगे? आप भविष्य कैसा बनाएंगे? सबसे खूबसूरत तरीके से। है न?
यही होने की ज़रूरत है।
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