ईश्वर-जीव-प्रकृति अनादि है ~स्वामी विवेकानंद जी

Описание к видео ईश्वर-जीव-प्रकृति अनादि है ~स्वामी विवेकानंद जी

ईश्वर, जीव और प्रकृति के अनादित्व में प्रमाण

(प्रश्न) इसमें क्या प्रमाण है।
(उत्तर)
द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया समानं वृक्षं परि षस्वजाते ।
तयोरन्यः पिप्पलं स्वाद्वत्त्यनश्नन्नन्यो अभि चाकशीति।।१।।
-ऋ०मं० १। सू० १६४। मं० २०।।
शाश्वतीभ्यः समाभ्यः ।।२।। -यजुः० अ० ४०। मं० ८।।
(द्वा) जो ब्रह्म और जीव दोनों (सुपर्णा) चेतनता और पालनादि गुणों से सदृश (सयुजा) व्याप्य व्यापक भाव से संयुक्त (सखाया) परस्पर मित्रतायुक्त सनातन अनादि हैं और (समानम्) वैसा ही (वृक्षम्) अनादि मूलरूप कारण और शाखारूप कार्ययुक्त वृक्ष अर्थात् जो स्थूल होकर प्रलय में छिन्न भिन्न हो जाता है वह तीसरा अनादि पदार्थ इन तीनों के गुण, कर्म और स्वभाव भी अनादि हैं (तयोरन्यः) इन जीव और ब्रह्म में से एक जो जीव है वह इस वृक्षरूप संसार में पापपुण्यरूप फलों को (स्वाद्वत्ति) अच्छे प्रकार भोक्ता है और दूसरा परमात्मा कर्मों के फलों को (अनश्नन्) न भोक्ता हुआ चारों ओर अर्थात् भीतर बाहर सर्वत्र प्रकाशमान हो रहा है। जीव से ईश्वर, ईश्वर से जीव और दोनों से प्रकृति भिन्न स्वरूप; तीनों अनादि हैं।।१।।
(शाश्वती०) अर्थात् अनादि सनातन जीवरूप प्रजा के लिये वेद द्वारा परमात्मा ने सब विद्याओं का बोध किया है।।२।।
अजामेकां लोहितशुक्लकृष्णां बह्वीः प्रजाः सृजमानां सरूपाः।
अजो ह्येको जुषमाणोऽनुशेते जहात्येनां भुक्तभोगामजोऽन्यः।।
यह उपनिषत् का वचन है।
प्रकृति, जीव और परमात्मा तीनों अज अर्थात् जिन का जन्म कभी नहीं होता और न कभी जन्म लेते अर्थात् ये तीन सब जगत् के कारण हैं। इन का कारण कोई नहीं। इस अनादि प्रकृति का भोग अनादि जीव करता हुआ फंसता है और उस में परमात्मा न फंसता और न उस का भोग करता है।
(सत्यार्थ प्रकाश अष्टम सम्मुलास- स्वामी दयानन्द सरस्वती)


सनातन महान वैदिक ज्ञान विज्ञान प्रवाह ....... बिना ज्ञान के ध्यान अधुरा ही होता है । जैसे मनुष्य को छोटे से छोटे काम सीखने, किसी न किसी से देखना सीखना पडता है, सुखी रहने का आखरी उपाय मोक्ष रुप साधन भी किसी आध्यात्मिक गुरु या शिक्षक से सीखना प़डता है तभी लाभ होता है । योगाभ्यास आध्यात्म व ध्यान योग विषयक, विस्तार से उचित शिक्षा पाने के लिए हमें follow करें :-
इस लिंक मे जाएँ- www.darshanyog.org हमारे वेवसाइट देखें- अधिक videos देखने के लिए हमारे को subscribe अवश्य करें और इस link पर click करके https://www.youtube.com/channel/UC9uC... playlist मे जाएं- पुस्तक व विडिओ download इस लिंक मे जाएँ - https://www.darshanyog.org/download.php फेसबुक के लिए link इस मे जाएँ -   / darshanyog.  .

संपर्क करें -
दर्शनयोग महाविद्यालय,
महात्मा प्रभु आश्रित कुटिया, सुन्दरपुर, रोहतक -124001, Mob-7027026175, 7027026176
Email : [email protected]

Комментарии

Информация по комментариям в разработке