नमो संकटा कष्ट हरनी भवानी

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संकटाष्टक
संकटा प्रथमं नाम, द्वितीयं विजया तथा।
तृतीयं कामदा प्रोक्तं, चतुर्थं दु:खहारिणी।
सर्वाणि पंचमं नाम, षष्ठं कात्यायनी तथा।
सप्तमं भीमनयना, सर्वरोगहराऽष्टमम्।।
नामाऽष्टकमिदं पुण्यं, त्रिसंध्यं श्रद्धयान्वित:।
य: पठेद्पाठयेद्वापि, नरो मुच्येत् संकटात्।।

पद्म पुराण में वर्णित माँ संकटा का यह अष्टक जिसके द्वारा पाण्डवों ने काशी आकर माँ की स्तुति की और माता का अनुग्रह प्राप्त किया, बहुत ही प्रभावशाली और सिद्धिदायक स्तोत्र है। चाहे कैसा भी हो संकट माता के इस पावन नामाष्टक के तीनों संध्याओं में श्रद्धापूर्वक पाठ करने से मनुष्य सभी संकटों से मुक्त होकर सुख, सम्पत्ति और आनंद की प्राप्ति करता है।

नमो संकटा कष्ट हरणी भवानी

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