Chanderi Fort ! Chanderi ka kila !आखिर क्यों मुगल,मराठा राजपूत इस किले को जीतना चाहते थे !

Описание к видео Chanderi Fort ! Chanderi ka kila !आखिर क्यों मुगल,मराठा राजपूत इस किले को जीतना चाहते थे !

Chanderi Fort ! Chanderi ka kila!आखिर क्यों मुगल,मराठा राजपूत इस किले को जीतना चाहते थे !

‪@tourvlogger3841‬

चंदेरी का किला का इतिहास

चंदेरी का किला भी बुन्देलखण्ड क्षेत्र का सुप्रसिद्ध किला है, तथा इसका भी प्राचीनतम इतिहास है। यहाँ अनेक स्थल ऐसे उपलब्ध होते है। जिनसे भारतीय इतिहास गरिमा मण्डित होता है। कहते है कि जब मुगल सम्राट बाबर ने चंदेरी का किला जीता उस समय उसने अपने लिये गाजी की पदवी धारण की, गाजी का तात्यपर्य धर्म युद्ध करने वाले व्यक्ति से होता है। जिसे मृत्यु के उपरान्त स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

बाबर ने यह दुर्ग 1588 में जीता था बाबर तैमूर लंग का वंशज था। और उसके वंश के लोग समर कन्द में निवास किया करते थे। वह काबुल होता हुआ भारतवर्ष आया तथा उसने पानीपत के युद्ध में सन्‌ 1526-27 में राणासांगा को परास्त किया।

जिस समय बाबर भारतवर्ष आया उस समय चन्देरी नरेश और राणा सांगा के मस्तिष्क में ये विचार आया कि राजपूतो को आजाद रखने के लिये बाबर से किसी प्रकार की कोई सन्धि न की जाय। बाबर के आक्रमण के समय चन्देरी किले का परकोटा सुरक्षित नही रह सका और वह तोपो के द्वारा नष्ट कर दिया गया। हजारो की संख्या में राजपूत सैनिको ने लड़ते हुये अपने प्राणों की आहुति दी और वहाँ की औरतों में जौहर वृत किया। इस विजय के पश्चात बाबर दिल्‍ली लौट गया। चन्देरी राज्य की स्थापना 10वीं शताब्दी में हुई थी और तभी इस चंदेरी के किले का निर्माण हुआ।


यह दुर्ग प्रतिहार नरेशो के नियन्त्रण में रहा इस दुर्ग के पूर्व में एक कृत्रिम झील है जिसका नाम कीर्ति सागर है। सम्भवतः इसका निर्माण कीर्तिपाल ने कराया था तथा यहाँ के दुर्ग का नाम कीर्ति दुर्ग है। दुर्ग के चारो और लम्बा परकोटा है।

तेहरवीं शताब्दी में चंदेरी का पतन पांच बार हुआ। दिल्ली और मालवा के सुल्तानो ने इस दुर्ग में अपना अधिकार किया। यहाँ अनेक स्थलों में मुस्लिम वास्तु शिल्प के दर्शन होते है। मालवा के सुल्तानों ने दिल्ली से स्वतन्त्र होकर अपनी स्वतन्त्र राज्य सत्ता यहाँ स्थापित की और 30 वर्षों तक लगातार शासन किया। यहाँ का स्वतन्त्र प्रशासक महमूद खिलजी था। उसके शासन के दौरान यहां अनेक सुन्दर इमारतों का निर्माण यहाँ हुआ। सन्‌ 1445 में उसने कुशल महल का निर्माण कराया इसमें चार कक्ष थे, सात छज्जे, एवं अनेक मन्दिरों के अवशेष उपलब्ध होते है। इस महल की ऊँची-ऊँची दीवारे है इसमें अनेक झरोखो लगे हुए है इसी के समीप जामा मस्जिद, और बादल महल, दुर्ग वास्तु शिल्प, के उत्कृष्ठ नमूने है इसी स्थल पर अनेक मकबरे भी है जिनका निर्माण गुजराती शैली पर हुआ है। बाबर के पश्चात 7 बार यहाँ युद्ध हुए थे। युद्ध मुस्लिम अफगान राजपूत और अंग्रेजों से हुए यहाँ पर अनेक स्थल युद्ध स्मारक के रूप में उपलब्ध होते है।


तथा इसी के समीप जैन तीर्थाकरों की मूर्तियाँ उपलब्ध होती है ये खडी मुद्रा में है और तीन मूर्तियाँ बैठी मुद्र में है ये मूर्तियाँ एक गुफा में है। चन्देरी कभी एक वैभवशाली नगर था, तथा यहाँ बडे-बडे यात्री और व्यापारी रहा करते थे उनके मकान और महल जिन्हे हवेली के नाम से पुकारा जाता था आज भी यहां देखने को मिलते है। इस स्थान में रेशम और जरी की साड़ियाँ बहुत अच्छी किस्म की बनती थीं इसके अतिरिक्त भी कपड़े का बहुत सुन्दर कार्य होता था। कपडे के लिये यह स्थान दूर-दूर तक प्रसिद्ध था।


#chanderi
#chanderifort
#chanderikakila
#madhyapradeshheritage
#fortofindia
#tourvlogger
#चंदेरी_का किला
#chanderihistory
#chanderikila

Комментарии

Информация по комментариям в разработке