सम्राट पृथ्वीराज चौहान | Samrat Prithviraj Chauhan - पराक्रमी हिन्दू ह्रदय सम्राट की पूरी कहानी

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Prithviraja III, popularly known as Prithviraj Chauhan or Rai Pithora was a king from the Chahamana (Chauhan) dynasty. He ruled Sapadalaksha, the traditional Chahamana territory, in present-day north-western India. He controlled much of the present-day Rajasthan, Haryana, and Delhi; and some parts of Punjab, Madhya Pradesh and Uttar Pradesh. His capital was located at Ajayameru (modern Ajmer), although the medieval folk legends describe him as the king of India's political centre Delhi to portray him as a representative of the pre-Islamic Indian power.

Early in his career, Prithviraj achieved military successes against several neighbouring Hindu kingdoms, most notably against the Chandela king Paramardi. He also repulsed the early invasions by Muhammad of Ghor, a ruler of the Muslim Ghurid dynasty.

सम्राट पृथ्वीराज चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे। उत्तर भारत में 12 वीं सदी के उत्तरार्ध में उन्होंने अजमेर और दिल्ली पर राज किया था। सम्राट पृथ्वीराज चौहान का जन्म साल 1166 में अजमेर के राजा सोमेश्वप चौहान के घर हुआ था। गुजरात में जन्में सम्राट पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही प्रतिभा दिखाई देती थी। दिल्ली के राजा अनंगपाल द्वितीय की इकलौती बेटी कर्पूरी देवी पृथ्वीराज चौहान की मां थीं। पिता की मृत्यु के बाद 13 साल की उम्र में ही उन्होंने अजमेर के राजगढ़ की गद्दी संभाल ली।

बचपन में ही कुशल योद्धा रहे सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने युद्ध के कई गुण सीख थे। बाल्य काल में ही उनके अंदर योद्धा बनने के सभी गुण आ गए थे। दिल्ली के शासक और पृथ्वीराज चौहान के दादा अंगम ने पृथ्वीराज चौहान के साहस और बहादुरी की कहानियां सुनी तो बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद उन्होंने पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली के सिंहासन का उत्तराधिकारी बनाने का एलान कर दिया। पृथ्वीराज की एक कहानी प्रचलित है कि वह इतने शक्तिशाली थे कि एक बार बिना किसी हथियार के शेर को मार दिया था।

पृथ्वीराज चौहान की तरह ही उनकी सेना भी बलवान थी। इतिहासकारों के मुताबिक, 300 हाथी तथा 3,00,000 सैनिक पृथ्वीराज की सेना में शामिल थे। इनमें बड़ी संख्या में घुड़सवार भी शामिल थे। भारतीय इतिहास के सबसे प्रसिद्ध हिन्दू राजपूत राजाओं में से एक पृथ्वीराज चौहान का राज्य राजस्थान और हरियाणा तक फैला था। साहसी और युद्ध कला में निपुण सम्राट पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही तीर कमान और तलवारबाजी पसंद करते थे। पृथ्वीराज चौहान को कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी संयोगिता से प्रेम हो गया था।
इसके बाद वह संयोगिता को स्वयंवर से ही उठा ले गए और गन्धर्व विवाह किया। हालांकि संयोगिता के पिता राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान की आपस में नहीं बनती थी। शादी के लिए जयचंद राजी नहीं थे। संयोगिता को उठा ले जाने के बाद जयचंद ने पृथ्वीराज से दुश्मनी मान ली।
चंदबरदाई और पृथ्वीराज चौहान बचपन के दोस्त थे। इसके बाद चंदबरदाई एक कवि और लेखक बने थे। उन्होंने महाकाव्य पृथ्वीराज रासो लिखा है। प्रथम युद्ध में सन 1191 में मुस्लिम शासक सुल्तान मुहम्मद शहाबुद्दीन गौरी ने पृथ्वीराज चौदान को कई बार हराना चाहा, लेकिन उसको सफलता नहीं मिली। पृथ्वीराज चौहान ने युद्ध में मुहम्मद गौरी को 17 बार हराया। इसके अलावा वह इतने दरियादिली थे कि मुहम्मद गौरी को कई बार माफ कर दिया और छोड़ दिया।
अठारहवीं बार मुहम्मद गौरी ने जयचंद की मदद ली और युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया। इसके बाद उन्हें बंदी बना लिया और अपने साथ लेकर चला गया। पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई दोनों को ही कैद कर लिया गया। मुहम्मद गौरी ने सजा के तौर पर पृथ्वीराज की आखों को गर्म सलाखों से फोड़वा दिया।
मुहम्मद गौरी ने चंदबरदाई से पृथ्वीराज चौहान की अंतिम इच्छा पूछने के लिए कहा, क्योंकि चंदबरदाई और पृथ्वीराज आपस में मित्र थे। पृथ्वीराज चौहान शब्दभेदी बाण चलाने में माहिर थे। मुहम्मद गौरी को इस बात की जानकारी दी गई जिसके बाद उसने कला प्रदर्शन के लिए इजाजत दे दी।
पृथ्वीराज चौहान को जहां पर अपनी कला का प्रदर्शन करना था वहां पर मुहम्मद गौरी भी मौजूद था। पृथ्वीराज चौहान ने चंदबरदाई के साथ मिलकर मुहम्मद गौरी को मारने की योजना पहले ही बना ली थी। महफिल शुरू होने वाली थी तभी चंदबरदाई ने एक दोहा कहा- 'चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान'।
चंदबरदाई ने पृथ्वीराज चौहान को संकेत देने के लिए इस दोहे को पढ़ा था। इस दोहे को सुनने के बाद मोहम्मद गोरी ने जैसे ही शाब्बास' बोला। वैसे ही अपनी आंखों को गवा चुके पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी को अपने शब्दभेदी बाण से मार दिया। हालांकि सबसे दुख की बात यह है कि इसके बाद पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई ने दुर्गति से बचने के लिए एक दूसरे को मार दिया। ऐसे पृथ्वीराज ने अपने अपमान का बदला ले लिया। पृथ्वीराज के मरने की खबर सुनने के बाद संयोगिता ने भी अपनी जान दे दी।

इस वीडियो में बताये गए तथ्य विभिन्न श्रोतों से लिए गये हैं. इसके साथ ही साथ इस वीडियो में जो इमेजेज(छवियाँ), पिक्चर्स(चित्र) और वीडियो क्लिप्स दिखाये गये हैं वो भी कई श्रोतों से लिए गए हैं और उनका प्रयोग केवल कहानी को समझने के लिए किया गया है.
ये चैनल इन तथ्यों की प्रमाणिकता का कोई दावा नहीं करता.

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