कचरे की तरह उगती है यह करोड़ों की वनस्पति औषधीय गुणों से भरपूर हैं 🌿😱|| चक्रमर्द या पवाँड
पवाँड का औषधीय गुण Medicinal Properties of Pavaand in Hindi चक्रमर्द या पवाँड भारत के उष्ण प्रदेशों में अधिकांस चक्रमर्द के पौधे वर्षा ऋतू आने पर अपने आप उग जाते है | इसे विभिन्न क्षेत्रों में अलग – अलग नामों से जाना जाता है जैसे – चकवड, पंवार, पवाड, कराटी एवं चाकुंदा आदि | इसका पौधा 5 फीट तक लम्बा हो सकता है | अधिकतर लोग इसे खरपतवार के रूप में देखते है लेकिन यह एक औषधीय पौधा है जिसका इस्तेमाल त्वचा विकार , रक्त विकार एवं विष विकृति में किया जाता है चक्रमर्द के औषधीय गुण रक्त विकृति, विष विकृति, त्वचा विकार, कफ की समस्या एवं हृदय की समस्या आदि में इसके औषधीय गुण चमत्कारिक स्वास्थ्य लाभ देते है | रक्त की अशुद्धि में चक्रमर्द तीव्रता से कार्य करता है साथ ही इसके बीजों का लेप बना कर त्वचा पर लगाने से त्वचा भी कांतिवान एवं निरोगी बनती है | चक्रमर्द अपने औषधीय गुणों के कारण वात विकार एवं कफज विकार जैसे – श्वास, कास आदि में भी लाभदायक परिणाम देता है | more.... पवाड़ को पवाँर, जकवड़ आदि नामों से पुकारा जाता है। वर्षा ऋतु की पहली फुहार पड़ते ही इसके पौधे खुद उग आते हैं और गर्मी के दिनों में जो-जो जगह सूखकर खाली हो जाती है, वह घास और पवाड़ के पौधे से भरकर हरी-भरी हो जाती है। इसके पत्ते अठन्नी के आकार के और तीन जोड़े वाले होते हैं।
भाषा भेद से नाम भेद : संस्कृत- चक्रमर्द। हिन्दी-पवाड़, पवाँर, चकवड़। मराठी- टाकला। गुजराती- कुवाड़ियों। बंगला- चाकुन्दा। तेलुगू- तागरिस। तामिल- तगरे। मलयालम- तगर। फरसी- संग सबोया। इंगलिश- ओवल लीव्ड केशिया। लैटिन- केशिया टोरा। गुण : यह हलकी, रूखी, मधुर, शीतल, हृदय को हितकारी, तीनों दोषों का शमन करने वाली, श्वास, खाँसी, कृमि, खुजली, दाद तथा चर्मरोगनाशक होती है। इसका फल (बीज) कड़वा एवं गरम प्रकृति वाला होता है और कोढ़, विष, वात, गुल्म, कृमि, श्वास इन सब रोगों को नष्ट करने वाला होता है। परिचय : वर्षाकाल में पवाड़ का पौधा अपने आप सब तरफ पैदा हो जाता है। यह दो प्रकार का होता है- चक्र मर्द और कासमर्द। त्वचा पर दाद गोलाकार में होती है अतः दाद को अंग्रेजी में रिंग वार्म कहते हैं। चक्र मर्द नाम का पौधा दाद के गोल-गोल घेरे (चक्र) को नष्ट करता है, इसीलिए इसे संस्कृत में चक्र मर्द यानी चक्र नष्ट करने वाला कहा गया है। चक्रमर्द शब्द का अपभ्रंश नाम ही चकवड़ हो गया। इसके पत्ते मैथी के पत्तों जैसे होते हैं। इसी से मिलता-जुलता एक पौधा और होता है, जिसे कासमर्द या कसौंदी कहते हैं। यह पौधा चक्र मर्द से थोड़ा छोटा होता है और इसकी फलियाँ पतली व गोल होती हैं। यह खाँसी के लिए बहुत गुणकारी होता है, इसलिए इसे कासमर्द यानी कास (खाँसी) का शत्रु कहा गया है।
दाद-खुजली : इसके बीजों को पीसकर करंजी के तेल में मिलाकर मल्हम बनाकर दाद पर लगाने से दाद ठीक हो जाते हैं।
फोड़ें-फुंसी : इसकी पतियों को पीसकर लुग्दी बनाकर और पुल्टिस तैयार कर फोड़े पर बाँधने से फोड़ा पककर फूट जाता है, चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।
कब्ज व कृमि : इसके पत्तों को चार कप पानी में डालकर उबालें। जब पानी एक कप बचे तब उतार कर छान लें। इस काढ़े को 1-1 चम्मच, आधे कप कुनकुने पानी में घोलकर सुबह शाम पीने से पेट साफ होता है, कब्ज दूर होता है और पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।
दाँत निकलना : छोटे शिशु को दाँत-दाढ़ निकलते समय इसके पत्तों का काढ़ा पाव-पाव चम्मच सुबह-शाम थोड़े पानी में मिलाकर पिलाने से दाँत आराम से निकलते हैं।
मात्रा : इसमे काढ़े की मात्रा शिशु के लिए चौथाई चम्मच, बड़ी उम्र के बच्चों के लिए आधा चम्मच और बड़े स्त्री- पुरुषों के लिए 1-1 चम्मच है। चूर्ण की मात्रा शिशुओं के लिए आधा ग्राम, बच्चों के लिए एक ग्राम और बड़े लोगों के लिए 2-3 ग्राम है। पत्तों के रस की मात्रा काढ़े की मात्रा के समान है। Related searches चकवड़ का पौधा पवार का पौधा दिखाइए कासमर्द का पौधा काश मर्द का पौधा पवार का पौधा फोटो प्रेमवती का पौधा कैसा होता है Chakramarda जोंकमारी के बारे में
कोशंदी का पौधा (वैज्ञानिक नाम : Kalanchoe pinnata) आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा माना जाता है। इसे अलग-अलग जगहों पर पथरचट्टा, पानफुटी, अफ़्रीकन मिरेकल लीफ, या जीवन पत्ती भी कहा जाता है। इसकी पत्तियों, फूलों और रस का प्रयोग कई रोगों के उपचार में होता है।
🌿 आयुर्वेदिक फायदे
किडनी स्टोन (पथरी) में लाभकारी
पत्तियों का रस पीने से मूत्रमार्ग की पथरी टूटकर बाहर निकलने में मदद मिलती है।
जख्म भरने में मदद
ताज़ी पत्तियों को पीसकर लेप लगाने से घाव जल्दी भरता है और संक्रमण का खतरा कम होता है।
सूजन और जलन में आराम
पत्तियों का रस या लेप सूजन, जलन और चोट में आराम देता है।
खून साफ़ करने में सहायक
नियमित सेवन से रक्त शुद्ध होता है, जिससे त्वचा संबंधी रोगों में लाभ मिलता है।
बुखार में उपयोगी
इसका काढ़ा या रस पीने से बुखार और शरीर की गर्मी कम होती है।
लीवर को मजबूत बनाना
आयुर्वेद में इसे लीवर की कार्यक्षमता सुधारने के लिए टॉनिक माना गया है।
दांत और मसूड़ों की सूजन में आराम
पत्तियों को चबाने से मसूड़ों की सूजन और दांत के दर्द में राहत मिलती है।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।
अगर आप चाहें तो मैं आपको कोशंदी के पौधे के इस्तेमाल की सही मात्रा और सेवन विधि भी बता सकता हूँ ताकि यह सुरक्षित और असरदार रहे।
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