जय श्री माताजी 💕🙏
श्री माताजी सब कुछ जानती हैं, दो अविश्वसनीय चमत्कार
(सहजयोगीनी,विभा दिदी श्रीवास्तव उनके द्वारा यह मिरेकल साभार किया जा रहा है।)
आप सभी स-हजी भाई बहनों से, अपने जीवन में घटित श्री माताजी का एक मिरेकल शेयर करना चाहती हूँ ।
माँ की कृपा से मिरेकल तो बहुत हुये हैं। जो मैं बीच बीच मे शेयर करती रहती हूँ ,उन्हीं में से एक ।
बात निर्मल धाम से दिपावली के दिन हुयी श्री महालक्ष्मी पूजा 2021 को अटेंड करके, वापस रायबरेली घर पहुँचने के बाद की है ।
15 नवंबर 2021 को हम वापस अपने घर रायबरेली पहुँचे । 20 नवंबर 2021 को मेरी बेटी को बी एच यू ( बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ) से, उसे Email आया। कि 25 नवंबर तक ऑफलाइन सारे डॉक्यूमेंट वेरीफाई होने हैं। इसलिए जल्द से जल्द वो बी एच यू पहुँचे ।
क्यूँकि, अब तक ऑनलाइन ही सब कार्य हो रहा था । 22 November को मैं और बेटी कार से, वाराणसी के लिए निकल दिए । पहुँचते पहुँचते तीन बजने लगे । बेटी BHU में कंप्यूटर साइंस से एम एससी कर रही थी, और यह उसका फाइनल वर्ष था। इसलिए ऑफलाइन डॉक्यूमेंट चेक हो रहे थे ।
सीधे हम लोग ऑफिस पहुँचे । बेटी ने बताया कि उसे कॉलेज से ईमेल आया है, इसीलिए उसी काम को करणे हम लोग आए हैं ।
जो वहाँ सारा ऑफिशियल काम देखते हैं, उन्होंने बताया कि हाँ यह मेल हमने ही सब स्टूडेंट को भेजा है । लेकिन ऑफलाइन डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की अंतिम तारीख 25 अक्टूबर थी । यह तो एक माह पहले हमने भेजा था । 25 अक्टूबर को ही एक महीने पहले वेरिफिकेशन का काम पूरा हो चुका है।
इस चीज की, कोई भी जानकारी हम लोगों को नहीं थी । उन्होंने कहा कि ठीक है, मैं आपके सारे डॉक्यूमेंट अभी चेक कर लेता हूं , उन्होंने चेक किया । डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का काम 15 मिनट के अंदर पूरा हो गया। और जो भी बेटी के लाइब्रेरी से संबंधित डॉक्यूमेंट बनने थे , उसके आईडी कार्ड वगैरह बने थे, वह भी सारे बनकर पूरे हो गए । केवल साइन होना बाकी रह गया था, क्योंकि उस दिन उस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर अनुपस्थित थे। इस लिए हमें अगले दिन ही सारे कार्ड मिलते । प्रोफेसर की अनुपस्थिति की वजहें से उस दिन नहीं हो सकता था यह काम। और हमने कहा कि हम रात को यहां पर नहीं रुक सकते, हमें वापस जाना है । ऑफिस की तरफ से प्रोफेसर को फोन किया गया तो, प्रोफेसर जी 10 मिनट के अंदर ही वहां आ गए। और आने के पश्चात उन्होंने तत्काल ही समस्त कार्य पूर्ण कर दिया, और 1 घंटे के भीतर ही सारा कार्य पूर्ण हो गया ।
मेरी बेटी के साथ के सभी एम एस सी फाइनल ईयर्स विद्यार्थियों के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन, 1 महीने पहले ही हो चुके थे।केवल इसी का एकमात्र बचा था ।
श्री माताजी की इतनी बड़ी कृपा हे की, उन्होंने सारे बच्चों के डॉक्यूमेंट को वेरिफाई हो जाने के पश्चात भी,"हेड ऑफ द डिपार्टमेंट" में जाने से रोके रखा। अन्यथा अगर सब का चला गया होता, तो अकेले इसका हो पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता। और जैसे ही इसके सारे डॉक्यूमेंट, सब कुछ क्लियर हो गया, तो हमारे सामने ही इसके साथवाले सभी बच्चों के सारे रिकॉर्ड, "हेड ऑफ द डिपार्टमेंट" को ट्रांसफर कर दिया गया ।
हम लोग तीन भाई बहन थे । मैं अकेली बहन और दो भाई । एक मुझसे दो साल बड़े और एक मुझसे दो साल छोटा । मैं बीच में । सहजयोग में आने से पहले किन्हीं कारणों वश मैंने अपने बड़े भाई को हमेशा के लिए खो दिया और 2016 में वो नहीं रहे । कोरोना समय में 2020 में अचानक छोटे भाई को heart attack आया । दो महीने तक अत्यधिक मानसिक तनाव , कोरोना काल की समस्त परेशानियां , लखनऊ के मेदांता अस्पताल में महंगा इलाज सब कुछ सहने और करने के पश्चात भी उन्हें बचा न सके । जिस हादसे ने जीवन को बहुत झकझोर दिया । मम्मी पापा पहले ही नहीं थे । अब अकेली मैं । छोटे भाई के बच्चे जो काफी छोटे और उसकी पत्नी । मैं श्री माताजी से यही कहती कि मां मेरी राखी सूनी हो गई । जीवन में इस हादसे को भूलकर आगे बढ़ना , आगे देखना बहुत ही कठिन शब्दों से परे । उसकी मृत्यु के दिन से लेकर लगातार चौबीसों घंटे चाहे, मैं जहां भी रहूं या जो भी करती रहूं। तकरीबन बीस से पच्चीस दिनों तक मुझमें से लगातार सुगंध आती रही, जैसे स्वयं ईश्वर ही मुझे संभाल रहे हों ।
परम चैतन्य अपना कार्य किस तरह से करते हैं यह कोई नहीं जान सकता । विधि का अपना विधान है, और ईश्वर के भी अपने नियम और चमत्कार ।
सगे भाई तो नहीं रहे और उनके साथ बेटियां जब मायके जाएं, तो वह सारी रीति रस्म वह सब भी नहीं रहा, सब चला गया ।
लेकिन श्री माताजी का बनाया हुआ, यह अपना अत्यंत खूबसूरत सहज परिवार, और भाई बहन ही अपना परिवार हो जाते हैं । छोटे भाई के रुप में श्री माताजी ने मुझे वासू भैया जैसा बहुत नेक , मेहनती , सहृदय वाले। श्री माताजी के श्री चरणों में पूर्ण रूप से समर्पित, छोटा भाई दे दिया, जो भजन भी गाते हैं । भजन में भी नए नए रागों पर भजन बनाना । निर्मल धाम के पास ही उनका घर है । जब महालक्ष्मी पूजा में जब हम निर्मल धाम गए थे, तो हम पति पत्नी उनके घर पर उनके परिवार से मिले । घर में जब शादीशुदा बेटी अपने पति के साथ आती है, तो उसी प्रकार से वासु भैया जी की पत्नी ने विदाई, और सब किया । मायके की रीति रस्म की उस कमी को, किस प्रकार श्री माताजी ने पूरा किया, कि हृदय भर आया ।
श्री माताजी और श्री गणेश जी की कृपा से ही, छोटे भाई के जाने के दो महीने के बाद से ही, भजन बनने लगे जिसकी कभी मैंने कल्पना भी नहीं की थी । किसी कमी को ईश्वर किस तरह से पूरा करते हैं, इसका उन्होंने मुझे अनुभव कराया । हम सभी सहजी भाई बहनों से श्री माताजी होय सके, जो सेवा हमसे करा लीजिए । 🙏🏻
श्री माताजी आप के श्री चरणों में अनंत कोटि नमन 🙏🏻🙏🏻🌹🌷❤️
🌷🙏🏻 जय श्री माताजी 🙏🏻🌷
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