भारत के स्वाधीनता आंदोलन में अपने प्रमुख सहभागिता निभाने वाले जयप्रकाश नारायण जी 11 अक्टूबर, 1903 में बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा में एक कायस्थ परिवार में जन्में थे।
इनकी मां का नाम फूल रानी देवी था और पिता का नाम हरसु दयाल श्री वास्तव था, जो कि स्टेट गवर्नमेंट के कैनल विभाग में नौकरी करते थे।
जयप्रकाश नारायण ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटना से की। उन्हे्ं शुरु से ही मैग्जीन और किताबें पढ़ने का बेहद शौक था। वहीं अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने कई बड़े लेखकों की पुस्तकें पढ़ी और हिन्दू धर्म के सबसे बड़े महाकाव्य श्री मदभगवदगीता का अध्ययन कर लिया था। वहीं किताबें पढ़ने से इनकी बौद्धिक क्षमता का भी काफी विकास हुआ था।
जब जयप्रकाश नारायण जी स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे तभी से उनके अंदर राष्ट्रभक्ति और देशप्रेम की भावना भरी हुई थी, जिसके चलते उन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में ब्रिटिश शैली के स्कूलों का बहिष्कार कर बिहार विद्यापीठ से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की।
इसके बाद उन्होंने अमेरिका की बरकली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और समाजशास्त्र विषय से अपनी एम.ए की डिग्री हासिल की। इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए कई कंपनियों और होटलों में भी काम किया था।
अमेरिका में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने महान दार्शनिक कार्ल मार्क्स की प्रसिद्ध रचना ”दास कैपिटिल” पढ़ी, और वे मार्क्सवादी विचारधारा से काफी प्रभावित भी हुए।
जयप्रकाश नारायण जी जब पटना में कार्यकार के तौर पर नौकरी कर रहे थे, उस दौरान साल 1920 में ब्रज किशोर प्रसाद की बेटी प्रभावती देवी से उनकी शादी हो गई।
वहीं नौकरी की वजह से दोनों का एक साथ रहना मुमकिन नहीं था। प्रभावती जी और उनके परिवार के महात्मा गांधी जी से काफी अच्छे संबंध थे। इसलिए वे महात्मा गांधी जी के आश्रम में सेविका के रुप में काम करने लगी।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब जयप्रकाश नारायरण स्वदेश लौटे, उस दौरान भारत की आजादी की लड़ाई अपने चरम सीमा पर थी, जिसके बाद जेपी ने स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने का फैसला लिया और साल 1932 में गांधी जी द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ चलाए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई।
जिसके चलते मद्रास में सितंबर, 1932 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारियों ने इन्हें क्रातिकारी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार भी कर लिया और फिर नासिक जेल में डाल दिया, जहां इनकी मुलाकात राम मनोहर लोहिया, अशोक मेहता, मीनू मस्तानी, सी के नारायणस्वामी, बसवोन सिंहा जैसे कई बड़े राजनेताओं से हुई।
वहीं इन नेताओं के विचारों से ही प्रभावित होकर उन्होंने कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी (सी.एस.पी.) का गठन किया गया, जिसके महासचिव जय प्रकाश नारायण को नियुक्त किया गया।
वहीं साल 1942 में जब महात्मा गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन चलाया था। इस दौरान जयप्रकाश नारायण जी ने भारतवासियों को आजादी की लड़ाई में भागीदारी निभाने के लिए प्रेरित किया।
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