मूर्ख कालिदास को यहीं ज्ञान प्राप्त हुआ था । Story of Kalidasa in Hindi । Subh Yatra

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मूर्ख कालिदास को यहीं ज्ञान प्राप्त हुआ था । Story of Kalidasa in Hindi ।

विद्द्योत्तमा से विवाह कालिदास के जीवन की प्रमुख घटना थी। ऐसा कहा जाता है कि वह शुरू में अनपढ़ और मूर्ख थे। विद्द्योत्तमा को अपने ज्ञान पर बहुत घमंड था। वह एक राजकुमारी थी। उसने यह प्रतिज्ञा की थी कि जो पुरुष उसे शास्त्रार्थ में पराजित करेगा वह उससे विवाह करेगी। बहुत से विद्वान विद्द्योत्तमा से विवाह करने के लिए आये परंतु पराजित होकर चले गये।सभी विद्वान मन ही मन विद्द्योत्तमा से प्रतिशोध लेने की सोचने लगे। वह किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहे थे जो उसे शास्त्रार्थ में पराजित कर सके। एक दिन उन्हें एक पेड़ पर एक व्यक्ति दिखाई दिया।वह जिस शाखा पर बैठा था, उसी को काट रहा था। विद्वान समझ गए कि यह व्यक्ति बहुत ही मुर्ख है। उसी समय उन्होंने उसका चुनाव विद्द्योत्तमा को पराजित करने के लिए कर लिया। वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि स्वयं कालिदास थे।

कालिदास का शास्त्रार्थ विद्योत्तमा से कराया गया जो मौन होकर ही हुआ। शास्त्रार्थ के दौरान विद्द्योत्तमा ने कालिदास को एक उंगली दिखाई जिसका अर्थ था कि ब्रह्मा एक है परंतु कालिदास ने समझा कि वह कह रही है कि उनकी एक आँख फोड़ देगी। इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने अपनी दो उंगली खड़ी कर दी।

कालिदास का अर्थ था कि यदि वह उनकी एक आँख फोड़ेगी तो वह उसकी दोनों आंखें फोड़ देंगे। परंतु विद्द्योत्तमा समझी की सृष्टि में ब्रह्म और जीव दोनों हैं। इसलिए वह संतुष्ट हो गई। फिर उसने अपनी पांच उंगलियां खड़ी की जिसका अर्थ था कि हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है।कालिदास समझे कि वह उन्हें थप्पड़ मारना चाहती है तो उन्होंने अपनी पांचों उंगलियों को जोड़कर एक मुट्ठी बना दी और संकेत में कहा कि यदि तुम मुझे थप्पड़ मारोगे तो मैं तुम्हें घुसा मारूंगा। परंतु इस उत्तर को विद्द्योत्तमा ने दूसरे प्रसंग में लिया। वह समझी की पांचों तत्व तो अलग अलग है परंतु मन तो एक ही है और मन सभी तत्वों को संचालित करता है।इसलिए विधोत्तमा को यह उत्तर सही लगा और इस तरह धीरे-धीरे कालिदास ने उसे शास्त्रार्थ में पराजित कर दिया। कालिदास का विवाह विद्द्योत्तमा से हो गया। उसे जल्द ही सच्चाई का पता चला कि कालिदास अनपढ़ और मूर्ख हैं, उसने कालिदास को घर से निकाला और कहा कि जब तक पूर्ण ज्ञान और प्रसिद्ध न पा लेना, घर वापस नहीं आना।यह कालिदास के जीवन की महत्वपूर्ण घटना थी। उनके अहम को ठेस पहुंची और उन्होंने ज्ञान प्राप्त करने का निश्चय कर लिया। कालिदास ने काली देवी की आराधना की और अध्ययन करके वे ज्ञानी और धनवान बन गए।

ज्ञान प्राप्ति के बाद जब वे घर लौटे तो उन्होंने दरवाजा खड़का कर कहा – कपाटम् उद्घाट्य सुन्दरी (दरवाजा खोलो, सुन्दरी)। विद्योत्तमा ने चकित होकर कहा — अस्ति कश्चिद् वाग्विशेषः (कोई विद्वान लगता है)। वे अपनी पत्नी को अपना गुरु मानते थे।

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