शुक्र ग्रह का बीज मंत्र। ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम
यह शुक्र ग्रह की शांति का मंत्र है इसका जप शुक्र ग्रह की दशा या अंतर दशा में शुभ फल प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
Shukra Grah Mantra
शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय
शुक्र ग्रह की शांति का मंत्र
शुक्र ग्रह का पौराणिक मंत्र
शुक्र ग्रह का गायत्री मंत्र
शुक्र ग्रह का वैदिक मंत्र
शुक्र ग्रह का बीज मंत्र
शुक्र ग्रह के मंत्र बताए
शुक्र ग्रह के मंत्र कौनसे हैं
शुक्राचार्य या शुक्र देव शुक्र ग्रह के स्वामी है
भृगु ऋषि के पुत्र एवं असुर गुरु शुक्राचार्य का प्रतीक , शुक्र ग्रह है। भारतीय ज्योतिष में इसकी नवग्रह में भी गिनती होती है। यह सप्तवारों में शुक्रवार के स्वामी होते है। यह श्वेत वर्णी होते हैं। इनको ऊंट ,मगरमच्छ , सात अश्वों द्वारा खींचें गये रथ पर सवार दिखाया जाता है। ये हाथों में दण्ड, कमल, माला और कभी-कभार धनुष-बाण भी लिये रहते हैं।
जीवनसाथी -ऊर्जस्वती
माता-पिता -महर्षि भृगु (पिता) ,ख्याति देवी (माता)
भाई-बहन- लक्ष्मी (छोटी बहिन)
अन्य नाम - भार्गव, सित, सूरि, कवि, दैत्यगुरु, वीनस आदि हैं।
शुक्र कुछ-कुछ स्त्रीत्व स्वभाव वाला ब्राह्मण ग्रह है। शुक्रदेव, ऋषि अंगिरस के पास शिक्षा एवं वेदाध्ययन हेतु गये, किन्तु अंगिरस द्वारा अपने पुत्र बृहस्पति का पक्षपात करने से वे व्याकुल हो उठे। तदोपरांत वे ऋषि गौतम के पास गये और शिक्षा ग्रहण की। बाद में इन्होंने भगवान शिव की कड़ी तपस्या की और उनसे संजीवनी मंत्र की शिक्षा ली। यह विद्या मृत को भी जीवित कर सकती है। इनका विवाह प्रियव्रत की पुत्री ऊर्जस्वती से हुआ और चार पुत्र हुए: चंड, अमर्क, त्वस्त्र, धारात्र एवं एक पुत्री देवयानी।
कुछ समय बाद बृहस्पति जी तो देवताओं के गुरु बन चुके थे। मगर शुक्राचार्य ने असुरों का गुरु बनना निश्चित किया और बने भी । इसकी वजह थी, शुक्र की माता का विष्णु भगवान ने वध कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने कुछ असुरों को जिन्हें विष्णु ढूंढ रहे थे उन्हें न सिर्फ शरण दी थी अपितु अपनी संजीवनी विद्या से पुनर्जीवित भी किया था। तब इन्होंने असुरों को देवताओं पर विजय दिलायी थी।शुक्र की माता का विष्णु भगवान ने वध किया था इसी कारण वे विष्णु भगवान और देवताओं से घृणा करते थे । बाद में महर्षि भृगु जो इनके पिता थे उन्होंने अपनी पत्नी को पुनर्जीवित कर दिया था।
ज्योतिष अनुसार शुक्र का महत्त्व
भारतीय ज्योतिष के अनुसार शुक्र लाभदाता ग्रह माना गया है। यह वृषभ एवं तुला राशियों का स्वामी है। शुक्र मीन राशि में उच्च भाव में रहता है और कन्या राशि में नीच भाव में रहता है। बुध और शनि शुक्र के सखा ग्रह हैं जबकि सूर्य और चंद्र शत्रु ग्रह हैं तथा बृहस्पति तटस्थ ग्रह माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार शुक्र जीवनसंगी, प्रेम, विवाह, विलासिता, समृद्धि, सुख, सभी वाहनों, कला, नृत्य, संगीत, अभिनय, रोमांस, कामुकता, शरीर और भौतिक जीवन की गुणवत्ता, धन, विपरीत लिंग, खुशी और प्रजनन, स्त्रैण गुण , चित्रकला और मूर्तिकला का प्रतीक है। जिनकी कुण्डली में शुक्र उच्च भाव में रहता है उन लोगों के लिए प्रकृति की सराहना करना एवं सौहार्दपूर्ण संबंधों का आनंद लेने की संभावना रहती है। हालांकि शुक्र का अत्यधिक प्रभाव उन्हें वास्तविक जीवन मूल्यों के बजाय सुख में बहुत ज्यादा लिप्त होने की संभावना रहती है। शुक्र इन नक्षत्रों का स्वामी है: भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा।
शुक्र के दुष्प्रभाव से त्वचा पर, नेत्र रोग ,यौन समस्याएं, अपच, कील-मुहासे, नपुंसकता, क्षुधा की हानि और त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं।
शुक्र ग्रह के मंत्र
सनातन धर्म में शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन सुख, शोहरत, प्रेम, रोमांस और विवाह के कारक शुक्र ग्रह की भी पूजा की जाती है। शुक्र देव की पूजा करने से साधक को समस्त प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है।
१. शुक्र ग्रह का बीज मंत्र
ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:
२.शुक्र ग्रह का पौराणिक मंत्र
हिमकुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।
अर्थ - जो दैत्यों के परम गुरु है! जिसका स्वरूप बर्फ के चादर की तरह कांतिमय है। जो सभी शास्त्रों के ज्ञाता और प्रवक्ता हैं। ऐसे आचार्य गुरु को दंडवत प्रणाम करता हूं।
३. शुक्र गायत्री मंत्र
“ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात्” ।।
४. शुक्र ग्रह का नाम मंत्र
ऊँ शुं शुक्राय नम:
५. शुक्र ग्रह का वैदिक मंत्र
ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत्क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपान ग्वम् शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतम् मधु।।
ABOUT MANTRA
LYRICS - TREDITIONAL
MUSIC - NIL
SINGER - PANDIT HANUMAN SAHAY SHARMA
CHANNEL - MANTRA SHAKTI AUR SAMADHAN
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