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Скачать или смотреть दिन में एक बार सुनो ग्रहदोष शांत, संकट समाप्त — शिव रक्षा स्तोत्र

  • Mantra - Tantra - Yantra ( मंत्र - तंत्र - यंत्र )
  • 2025-12-14
  • 1421
दिन में एक बार सुनो ग्रहदोष शांत, संकट समाप्त — शिव रक्षा स्तोत्र
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Описание к видео दिन में एक बार सुनो ग्रहदोष शांत, संकट समाप्त — शिव रक्षा स्तोत्र

|| ग्रहशांति शिव रक्षा स्तोत्रं ||

नमः शिवाय नित्यं मे, ग्रहदोषहराय च।
सर्वशान्तिप्रदं देवं, रक्ष रक्ष महेश्वर ॥१॥

रविग्रहे यदि क्रोधी, चन्द्रपीडा यदि भवेत् ।
शिवनामस्मृतिः शक्तिः, शान्तिं ददाति नित्यशः ॥२॥

मङ्गलदोषनाशाय, बुधशान्तिप्रदायिन ।
गुरुशुक्रादिदोषघ्न, रक्ष मां श‌ङ्कर प्रभो ॥३॥

शनिदोषभयार्तस्य, राहुकेतुग्रहेपि च ।
शरणागतमेकं मां, पालय त्वं दिनं प्रति ॥४॥

कालसर्पविनाशाय, कुंडलीशुद्धिकारक ।
शिवस्तु परमं ब्रह्म, सर्वदोषहरः सदा ॥५॥

गृहपीडा, ग्रहशापः, वास्तुदोषसमुद्भवः ।
हरस्व यद्यहं नित्यं, पठेयं ते स्तवं विभो ॥६॥

संतानविघ्ननाशाय, वैरिभीति-विनाशन।
शिवकवचयुक्तं मे, स्तोत्रं भवतु दायकम् ॥७॥

नवग्रहैश्च यदि क्लेशो, यंत्रतंत्रविकारकः ।
भवबन्धविनाशाय, रक्ष मां शम्भु सर्वदा ॥८ ॥

शिवध्यानं शिवस्तोत्रं, यः पठेत् श्रद्धयान्वितः ।
तस्य सर्वग्रहाः शान्ताः, पीडाः नश्यन्ति तत्क्षणम् ॥९॥

दुःस्वप्नं च ग्रहविपत्तिः, वंशदोषसमुद्भवम् ।
स्तोत्रपाठेन शम्भोस्तु, सर्व क्षिप्रं विनश्यति ॥१०॥

एतत्तु ग्रहशान्त्यर्थ, शिवस्तोत्रं दिवानिशम् ।
यः पठेत् स भवेन्नित्यं, ग्रहदोषविवर्जितः ॥११॥

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