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Скачать или смотреть प्राण त्यागते समय बालि ने दी अपने पुत्र अंगद को ये शिक्षायें, जो बड़े काम की हैं

  • Sensational News
  • 2019-07-06
  • 18
प्राण त्यागते समय बालि ने दी अपने पुत्र अंगद को ये शिक्षायें, जो बड़े काम की हैं
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Описание к видео प्राण त्यागते समय बालि ने दी अपने पुत्र अंगद को ये शिक्षायें, जो बड़े काम की हैं

प्राण त्यागते समय बालि ने दी अपने पुत्र अंगद को ये शिक्षायें, जो बड़े काम की हैं

बालि (Bali) भगवान राम के मित्र राजा सुग्रीव का भाई था जिसने अनीति से अपने भाई का राज छीना और उनकी पत्नी को भी अपने पास रखा जो उस काल और आज भी धर्म के विरुद्ध था। दोस्तों इसी पाप के चलते श्री राम को बालि का अंत करना जरुरी हो गया था।

अपने प्राण छोडते समय बालि ने अपने पुत्र अंगद को अपने पास बुलाया और उसे ज्ञान की तीन बहुत महत्वपुर्ण बातें बताई थीं। ये बातें जो भी अपने जीवन में आत्मसात करके उनका पालन करे तो निश्चय ही वह जीवन में सफल हो सकेगा। अगंद जो बालि के पुत्र था वह एक महान बलशाली और पराक्रमी योद्धा था। उसमें भी हनुमान और सुग्रीव जितना बल था।

अपने बल के आधार और श्रीराम की भक्ति के वल पर ही कोई भी योद्धा उसका पैर नहीं उठा सका था। हनुमानजी, जामवंतजी की तरह ही अंगद भी प्राण विद्या में पारंगत था। इस प्राण विद्या के बल पर ही वह जो चाहे कर सकता था। राम की सेना में अंगद ने बहुत पराक्रम दिखाया था।

एक बार की बात है जब प्रभु श्रीराम ने अंगद के पिता वानरराज बालि का वध कर दिया था तो बालि ने मरते वक्त अपने पुत्र को पास बुलाकर उसे ज्ञान की तीन बातें बताई थी।

देशकालौ भजस्वाद्य क्षममाण: प्रियाप्रिये।
सुखदु:खसह: काले सुग्रीववशगो भव।।-रामायण

बालि ने कहा, पहली बात ध्यान रखना देश, काल और परिस्थितियों को हमेशा समझकर कार्य करना। दूसरी बात यह कि किसके साथ कब, कहां और कैसा व्यवहार करें, इसका सही निर्णय लेना।

अंत में बालि ने तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात कही कि पसंद-नापसंद, सुख-दु:ख को सहन करना और क्षमाभाव के साथ जीवन व्यतीत करना। यही जीवन का सार है।

बालि की यह शिक्षा अंगद के जीवन में बहुत काम आई। बालि के कहने पर ही अंगद ने सुग्रीव के साथ रहकर प्रभु श्रीराम की सेवा की। अंगद ने प्रभु श्री राम के द्वारा सौंपे गए उत्तरदायित्व को बखूबी संभाला।

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