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Скачать или смотреть रबी न्यूनतम समर्थन मूल्य और गर्मी की मूंग में कीट रोग नियंत्रण और मौसम का पूर्वानुमान -

  • Farmers and Gardeners
  • 2020-04-19
  • 97
रबी न्यूनतम समर्थन मूल्य और गर्मी की मूंग में कीट रोग नियंत्रण और मौसम का पूर्वानुमान -
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Описание к видео रबी न्यूनतम समर्थन मूल्य और गर्मी की मूंग में कीट रोग नियंत्रण और मौसम का पूर्वानुमान -

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1. जानिए क्या रहेगा इस वर्ष गेहूं, चना, सरसों एवं अन्य रबी फसल का भाव:
गेहूं एवं अन्य रबी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 2020–21 के रबी फसल के लिए केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी कर दिया है | आज कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई है | प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्री समूह की बैठक में वर्ष 2020–21 के लिए रबी फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि किया गया है | किसानों की लागत को ध्यान में रखते हुये मूल्यों में पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष विर्द्धि किए गया है | सबसे ज्यादा वृद्धि मसूर में किया गया है तो वहीं जौ तथा गेहूं में एक सामान वृद्धि की गई है |
आज मे आपको वर्ष 2020 – 21 का न्यूनतम समर्थन मूल्य की पूरी जानकारी लेकर आया है | यह वृद्धि रुपया में इस तरह हैं – मसूर में 325 रुपये , कुसुम में 270 रुपये , सरसों में 225 रुपये , गेहूं में 85 रुपये , जौ में 85 रुपये , चना में 255 रुपये की वृद्धि किया गया है |
वर्ष 2020–21 का रबी न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है

2. मूंग भारत में उगाई जाने वाली दलहनी फसलों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसमें 24 प्रतिशत प्रोटीन के साथ-साथ रेशे एवं लौह तत्व भी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। मूंग की जल्दी पकने वाली एवं उच्च तापमान को सहन करने वाली प्रजातियों के विकास के कारण जायद में मूंग की खेती लाभदायक हो रही है। मूंग की उन्नत तकनीक अपनाकर जायद ऋतु में फसल का उत्पादन 10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक लिया जा सकता है।


गर्मी की मूंग में कीट एवम रोग नियंत्रण

रोग प्रबंधन : मूंग में फफूंदजनित रोगों में चूर्णी कवक, मैक्रोफोमिना झुलसन, सरकोस्पोरा पर्ण दाग तथा एन्थ्रेक्नोज प्रमुख हैं। इन रोगों की रोकथाम के लिये रोगरोधी किस्मों का चयन करें उचित बीजोपचार करें, समय पर नींदा नियंत्रण करें तथा खेत में उचित जल निकास रखें। तथा बुआई के 30 दिन बाद फसल पर कार्बेन्डाजिम दवा की 500 ग्राम मात्रा 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। आवश्यकतानुसार 15 दिन बाद छिड़काव दोबारा कर सकते हैं।
इसके अलावा मूंग में पीला मोजेक या पीली चितेरी रोग अधिक लगता है यह एक विषाणुजनित रोग है जिसका एक पौधे से दूसरे पौधे में संक्रमण सफेद मक्खी द्वारा होता है। सर्वप्रथम नई पत्तियों की नसों के बीच में पीले और हरे रंग के कोणीय धब्बे पड़ते हैं बाद में प्रभावित पत्तियों का पीलापन धीरे-धीरे बढ़ता जाता है और पूरी पत्ती पीली पड़ जाती है। इसकी रोकथाम के लिये रोगरोधी प्रजातियां लगायें। खेत में ध्यान देने योग्य बात यह है कि प्रारंभ में कुछ ही रोगी पौधे होते है जिन्हें लक्षण दिखते ही उखाड़कर नष्ट कर दें और सफेद मक्खी की रोकथाम करें। सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिये इमिडाक्लोप्रिड की 150 मिली या डाइमिथिएट की 400 मिली प्रति हेक्टेयर मात्रा 400 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें और 12-15 दिन में छिड़काव दोहरायें। सफेद मक्खी के पोषक खरपतवारों को खेत की मेड़ों पर या आसपास न रहने दें ।
कीट प्रबंधन : मूंग की फसल पर काटने वाले एवं रसचूसक दोनों प्रकार के कीटों का प्रकोप होता है। भेदक कीटों में पिस्सू भृंग (फ़्ली बीट्ल ), फली भेदक कीट तथा पत्ती मोड़क कीट प्रमुख हैं जिनके नियंत्रण के लिये प्रोफेनोफॉस की 1 लीटर या क्लोरेन्ट्रानिलिट्रोल की 500 मिली या स्पाइनोसैड की 125 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से दो बार छिड़काव करें ।
रस चूसक कीटों जैसे सफेद मक्खी, थ्रिप्स या जैसिड्स के नियंत्रण के लिये इमिडाक्लोप्रिड की 150 मिली या डाइमिथिएट की 400 मिली प्रति हेक्टेयर मात्रा का छिड़काव करें ।
भेदक एवं रसचूसक दोनों प्रकार के कीटों का प्रकोप होने पर प्रोफेनोसाइपर दवा की 1 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर कीटों का नियंत्रण किया जा सकता है ।



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