वल्लभाचार्य। शुद्ध अद्वैतवाद। रूद्र (वल्लभ) सम्प्रदाय। राजस्थान में वल्लभ‌ सम्प्रदाय। नाथद्वारा।

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वल्लभाचार्य के पुत्र में भी नाथ का मंदिर औरंगजेब के समय मे 30 सितम्बर 1699 गोद जी मूर्ति को लेकर मेवाड़ राजसिंह गांव में गाव ( 4 ) ( 5 ) वृंदावन दाऊ जी महाराज के नेतृत्व को दामोदर जीव वृंदावन से श्रीनाथ की के राजसिंह के पास फरवरी 1672 को प्रतिष्ठित करवाया । तभी से इसे 10 नाथद्वारा जायद्वारा कहलाने लगा । सम्प्रदाय ( पुष्टिमार्गीय वैष्णवों ) की प्रमुख पीठ है । विटलनाथ के सात पुत्रों ने वल्लग सम्प्रदाय की सात पीहें स्थापित की जिनमें अधिकतर राज बड़े मथुरेश भी कहा जाता है । 115 3 10 मथुरेशजी ( कोटा ) 5 विठ्ठलनाथ ( नाथद्वारा द्वारकाधीश ( कोकरोली -राजसमंद ) गोकुल नाथ ( गोकुल वृंदावन UP ) गोकुलचंड ( कामो भरतपुर ) बालकृष्ण जी ( सूरत ( GJ ) मदनमोहन जी ( कामो भरतपुर ) 1857 की क्रांति के समय इनके मंदिर में ही मेजर बर्तन को मारने की याजना

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