वैश्विक बुलियन बाज़ार में हाल ही में सोने और चांदी की कीमतों में अभूतपूर्व गिरावट (unprecedented crash) देखी गई है। कई महीनों तक लगातार रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँचने के बाद, यह गिरावट आई है।
सोने के दाम में पिछले 12 साल का रिकॉर्ड टूट गया है, जो 2013 के बाद से एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है। सोने की कीमतें एक ही दिन में 5% से 6.5% तक गिर गईं। यह लगभग $4,400 प्रति औंस के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से गिरकर लगभग $4,000 से $4,082 प्रति औंस तक आ गया है। चांदी और भी अधिक अस्थिर (volatile) रही, जिसने एक दिन में 8% से अधिक की गिरावट देखी, और दो दिनों में कुल 12% से भी अधिक की गिरावट दर्ज की। चांदी $55 प्रति औंस से गिरकर 47–49 की सीमा में आ गई है।
भारत में, दिवाली से पहले सोने की कीमत ₹1,32,000 प्रति 10 ग्राम थी, जो घटकर लगभग ₹1,28,000 हो गई है, यानी ₹4,000 की गिरावट आई है।
इस वीडियो में हम इस भारी गिरावट के मुख्य कारणों का विस्तार से विश्लेषण करेंगे और देखेंगे कि आगे क्या हो सकता है:
गिरावट के मुख्य कारण (Main Causes of the Crash)
1. मुनाफा वसूली (Profit Booking): इस साल गोल्ड में 50% से अधिक की तेजी के बाद, कई व्यापारियों ने अपने मुनाफे को सुरक्षित करने के लिए अचानक से बेचना शुरू कर दिया, जिससे बाज़ार में गिरावट आई।
2. सुरक्षित निवेश (Safe Haven) की माँग में कमी: यूएस और चीन के बीच व्यापार तनाव कम होने और ट्रंप तथा शी जिनपिंग के बीच संभावित बैठक की ख़बरों से वैश्विक बाज़ार का विश्वास बढ़ा है। निवेशक सुरक्षित संपत्ति (safe assets) जैसे गोल्ड से पैसा निकालकर इक्विटीज़ (शेयरों) और बॉन्ड्स जैसी जोखिम भरी संपत्तियों की ओर बढ़ रहे हैं।
3. अमेरिकी डॉलर का मज़बूत होना (Strengthening US Dollar): डॉलर के मज़बूत होने से अन्य मुद्राओं के खरीदारों के लिए सोना महंगा हो जाता है, जिससे मांग घट जाती है। इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में बड़ी कटौती न करने की अपेक्षाओं के कारण, गैर-लाभकारी संपत्ति (non-yielding assets) गोल्ड के मुक़ाबले अन्य संपत्ति अधिक आकर्षक हो गईं।
4. तकनीकी कारक और लिक्विडेशन (Technical Factors and Liquidation): सट्टेबाजी (speculation) और ओवर-लिवरेज्ड लॉन्ग पोज़िशन्स (buying positions) के कारण बड़े पैमाने पर लिक्विडेशन शुरू हो गया। इसके अलावा, ETF (Exchange Traded Funds) में भी आउटफ्लो बढ़ा, जिसके कारण उनकी बिक्री में वृद्धि हुई।
आगे का सिनेरियो और आउटलुक (Future Scenario and Outlook)
विश्लेषकों का मानना है कि सोने का दीर्घकालिक मौलिक आधार (long-term fundamentals) अभी भी मज़बूत है। केंद्रीय बैंक (Central Banks) लगातार चार वर्षों से सोने के भंडार को बढ़ा रहे हैं, जिसमें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) भी शामिल है। संस्थागत निवेशक भी गोल्ड ईटीएफ में भारी निवेश कर रहे हैं।
सोने की कीमत के लिए $4,000 एक बड़ा मनोवैज्ञानिक स्तर (psychological mark) है। यदि डॉलर स्थिर होता है और केंद्रीय बैंकों की खरीद जारी रहती है, तो कीमतें वापस $4,200 प्रति औंस तक रिकवर हो सकती हैं। हालांकि, यदि सोना $4,000 के नीचे जाता है, तो एक गहरा करेक्शन $3,500 या $3,600 तक भी आ सकता है। भारत में भौतिक खरीदारों (Physical Buyers) के लिए, यह गिरावट एक अस्थायी अवसर (temporary opportunity) हो सकती है।
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परिचय: सोना-चाँदी के दामों में अचानक आई बड़ी गिरावट
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गिरावट का पैमाना: 12 साल का रिकॉर्ड टूटा; गोल्ड (4000)औरसिल्वर(47-$49) का स्तर
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कारण 1: बड़ा मुनाफा वसूली (Profit Booking) और सट्टेबाजी
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कारण 2: सुरक्षित निवेश (Safe Haven Demand) में कमी और वैश्विक तनाव में सुधार (US-China)
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कारण 3: अमेरिकी डॉलर का मज़बूत होना और ब्याज दर की उम्मीदें
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कारण 4 & 5: तकनीकी कारक (Technical Factors), ओवर-लिवरेज्ड पोज़ीशन का लिक्विडेशन और ETF आउटफ्लो
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ऐतिहासिक संदर्भ: 2013 की गिरावट और 1979-80 का 70% क्रैश
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आगे क्या? भविष्य का आउटलुक, $4,000 का महत्वपूर्ण स्तर और केंद्रीय बैंक की भूमिका
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निवेशकों पर असर: लंबी अवधि के लिए सकारात्मक अवसर
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