सेस गनेस सुरेसहु दिनेस सुरेसहु ,,,,,,,,,,,,,,,नाच नचावै

Описание к видео सेस गनेस सुरेसहु दिनेस सुरेसहु ,,,,,,,,,,,,,,,नाच नचावै

सेस गनेस सुरेसहु दिनेस सुरेसहु ,,,,,,,,,,,,,,,नाच नचावै।

।video।kavya khand।hindi।vyakhya।
   / @hindikipathshala01  

#रसखान।
#भक्त कवि रसखान।
#मुसलमान कृष्ण भक्त कवि रसखान।
#रसखान के सवैया।
#रसखान रचनावली।
विद्यानिवास मिश्र।

सेस गनेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
जाहि अनादि अनंत अखंड अछेद अभेद सुबेद बतावै॥
नारद से सुक व्यास रटै पचि हारे तऊ पुनि पार न पावै।
ताहि अहीर की छोहरिया छछिया भरि छाछ पै नाच नचावै॥

शब्दार्थ-सेस=शेषनाग। महेस=शिव।दिनेस=सूर्य!सुरेख=इन्द्र।.अछेद=अछेद्य, अमर। अभेद=अभेद्य, जिसका रहस्य न जाना जा सके। पचि=कोशिश करके ।

अर्थ- कृष्ण की भक्त-वत्सलता एवं लौकिक लीला का वर्णन करते हुए रसखान कहते हैं कि जिस कृष्ण के गुणों का शेषनाग, गणेश, शिव, सूर्य, इन्द्र निरन्तर स्मरण करते है। वेद जिसके स्वरूप का निश्चित ज्ञान प्राप्त न करके उसे अनादि, अनन्त, अखण्ड, अच्छेद्य, अभेद्य आदि विशेषणां से युक्त करते हैं। नारद, शुकदेव और व्यास जैसे प्रकाण्ड पंडित भी अपनी पूरी कोशिश करके जिसके स्वरूप का पता न लगा सके और हार मानकर बैठ गए, उन्हीं कृष्ण को अहीर की लड़कियाँ छछिया-भर छाछ के लिए नाच नचाती है।

Комментарии

Информация по комментариям в разработке