Is video mein Bata ja raha hai ki civil cases kya hote hain aur procedural law kya hai this video covers over all civil process and civil procedure court. सिविल प्रोसीजर कोड 1908 की आपको जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि जीवन में कभी ना कभी प्रत्येक व्यक्ति को कोर्ट कचहरी का पाला पड़ता ही है, आप अपना अधिकार मांगने जाएं या किसी के खिलाफ कोईमामला लग गया हो ,सभी सिविल मामलों में इसमें बताई गई प्रक्रिया के अनुसार सिविल केसेस किसी भी न्यायालय के समक्ष प्रक्रिया अपनाते हैं। यह जानकारी आपको जानना चाहिए।
इस वीडियो में सिविल मामलों के निराकरण के लिए दीवानी मामला सिविल कोर्ट में प्रस्तुत करना होता है ।
सिविल केसेस मॉनेटरी, उधार दिए गए पैसे की रिकवरी, राइट, स्वामित्व कब्जा, अधिकारों तथा कंपनसेशन आदि के लिए सिविल न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं।
सबसे पहले सी पीसीसिविल प्रोसीजर कोड 1859, का इसके बाद इसमें 1877 में संशोधन हुआ ,1882 में संशोधन हुआ ,1908 की सीपीसी वर्तमानलागू है।
सीपीसी में टोटल 158 धाराएं हैं ,तथा 51 आदेश सिविल प्रक्रियासंहिता सिविल मामले में क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी अर्थात प्रक्रिया आत्मक तरीका यह बताती है।
Koi bhi civil dava civil judge class 2 जिसे 5 लख रुपए तक के विवाद को सुनने की अधिकार होता है,
इसके अलावा civil judge class 1 crore tak ke mamle Sun sakte hain।
Additional district judge AVN district judge को असीमित पिक्यूनियरी मामलों को अर्थात आर्थिक क्षेत्राधिकार के मामले सुनने की अधिकारिता रहती है।
जिला न्यायाधीश के ऊपर अपीलीय न्यायालय उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय होताहै।
जहां तक जूरिडिक्शन का प्रश्न है, न्यायालय pecuniary jurisdiction arthat vadya mulya ke hisab se इसके अलावा ज्योग्राफिकल जो भौगोलिक क्षेत्राधिकार कहलाता है ,जहां पर स्थावर संपत्ति स्थिति होती है तथा विषय वस्तु जैसे पारिवारिक मामलों का विवाद फैमिली कोर्टमें ,तथा माल कीगुणवत्तासे संबंधित कंज्यूमर फोरम, आयकर से संबंधित मामले इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल, श्रम संबंधी विवाद लेबर इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल मैं सोने जाते हैं इसी प्रकार बड़े ठेकेदार से संबंधित विवाद आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल में सुने जातेहैं।
कोर्ट केस में जजमेंट ऑर्डर और डिक्री क्या होती है, जब भी कोई कोर्ट केस prastut hota hai Court कोर्ट विवाद के बिंदुओं को तय करती है ,उसे पर एविडेंस लेती है ,जो मौखिक तथा दस्तावेज हो सकती है, दोनों पक्षों की e vidence केउपरांत न्यायालय दोनों पक्षों की बहस सुनकर निर्णय देता है ,और अपने निष्कर्ष निर्णय में अंकितकरता है, हर इश्यू पर कोर्ट किस कारण निष्कर्ष पर पहुंचा उसका कारण उल्लेखित करता है।
दोनों पार्टी की एविडेंस के आधार पर निर्णय आदेश के पक्ष का डिक्री जारी करता है, पार्टी की फेवर में अधिकार दिया जाता है।
फाइनल ऑर्डर के अलावा भी कोर्ट बीच बीच में विविध आवेदनों पर आदेश जारी करता है जो कोर्ट की प्रोसिडिंग में लिखी जाती है।
Decree किसी भी जजमेंट का फॉर्मल एक्सप्रेशन होती है।
जजमेंट लंबे हो सकते हैं जजमेंट में कोर्ट का वर्णित रहता है जिसमें पार्टी के अधिकार से होते हैं।डिक्री के बारे में जानकारी के लिए आदेश 21 सिविल प्रोसीजर कोड 1908 को पढ़ना होगा।
सीपीसी को कैसे पढ़ा जाए, इसमें धाराएं आदेश और रूल्सहै।
सीपीसी की कार्य योजना यानी स्कीम ऑफ़ कोड यह है कि यह कुल158 धाराआ है जिसमें 51 आदेश है। अधिकार और दायित्व की सुरक्षा क्रियान्वयन के लिए इसमें प्रोसीजर बताई गईहै।
धाराओं का अर्थ है न्यायालय का क्षेत्राधिकार कैसेतैय होगा।
जबकि आदेश अर्थात ऑर्डर्स न्यायालय की प्रक्रियाबताता है।
धारा 26सीपीसी में वाद को kaise sansthagit अर्थात पेश किया जाएगा पक्ष क।रो का संयोजन कैसे होगा, आदेश एक सीपीसी पढ़ना होगा।
आदेश 4 सीपीसी, आदेश 6,7 और 8 क्रमशः pleading,plaint, आदेश 8जवाब दावे की अभी वचनों के बारे में बताता है।
न्यायालय में 2 तारीख रजिस्टर रखे जाते हैं एक ए सूट होता है जिसमें सभी प्रकार के दावों का उल्लेख किया जाता है, जबकि भी सूट फॉर रिकवरी का मनी सूट के संबंध में होता है।
दावे की नंबरिंग होने के बाद प्रत्येक वर्ष के अलग अलग रजिस्टर न्यायालय में रखे जाते हैं दावे की जांच की जाती है।
1 जनवरी से 31 दिसंबर तक प्रत्येक वर्ष के अलग रखे जाते हैं जिसमें कैस क्या इंद्राज होता है।
सीपीसी को कैसे याद रखें,और पढ़ें।
इसके लिए सीपीसी की प्रक्रिया अर्थात various stages of civil cases trial of cases ko padhna jaruri hai जिसके लिए आदेश 1, 2, 6 ,7 सीपीसी 1908 में आदेश को पढ़ना होगा
जिस व्यक्ति के अधिकारों का हनन होता है ,वह प्लेंटीf वादी के रूप में प्रतिवादी के विरुद्ध द।वा लाता है, वादि एक से अधिक हो सकते हैं ,
इसके अलावा टॉपिक वाइज पढ़ने से एकदम सीपीसी इतनी आसानी से समझ में नहीं आएगी, इसलिएउसे कैसे दावा प्रस्तुत हुआ कहां तैयार हुआसे26 धारा 15 से 21 तक व।दायर करने के संबंध में प्रतिवादी को कैसे बुलाया जाएगा।
धारा 27 ऑर्डर 5, इसके अलावा जवाब दावा आदेश 6 और 7आदेश 8 जिसमें जवाब दावा 30 दिन और अधिकतम अवधि 90 दिन रखी गई है ,पेश करना आवश्यk होताहै।
आदेश जो में पक्ष कारों की उपस्थिति, अनुपस्थिति का क्या प्रभाव होगा आदेश 10 पक्ष कारों का परीक्षण धारा 89 न्यायालय के बाहर प्रकरणों के निराकरण आदेश 11interogatorries से संबंधित है। जिसमें डिस्कवरी एंड प्रोडक्शन ऑफ़ डॉक्यूमेंट आदेश 14 सीपीसी इश्यूज अर्थात बात प्रश्न के संबंध में जो पीठासीन अधिकारी के द्वारा निर्मित किए जातेहैं। आदेश 16 में विटनेस को बुलाने का क्रम ,आदेश 17 में स्थगन की व्यवस्था ,आदेश 20 में साक्ष्य कैसे अंकित की जाएगी, एग्जीक्यूशन काडिक्री आदेश की सीपीसी में उल्लेखित है जिसका ज्ञान होना आवश्यक है।
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