वात पित्त कफ तीनो को खराब करता है सरसो का साग। शाक खाने की सहीविधी | Ep167

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Namaskar, Timestamp of 167:वात पित्त कफ तीनो को खराब करता है सरसो का साग। आयुर्वेद में कहा है सबसे खराब:शाक खाने की सहीविधी

00:00. Welcome to Oj Ayurveda (ओज आयुर्वेद में आप सभी का स्वागत है)
Aaj hum iss video mein,Sarson ka saag ko ayurveda mein sabse kharab kyu mana jata hai aur iske prayog se kyu bachna chahiye ke bare mein janenge (आज हम इस वीडियो में, सरसों का साग को आयुर्वेद में सबसे खराब क्यों माना जाता है और इसके प्रयोग से क्यों बचना चाहिए के बारे में जानेंगे)
01:09. Sarson ke bare mein? (सरसों के बारे में?)
01:26. Sarson ka saag kya karta hai? (सरसों का साग क्या करता है?)
01:54. Sarson ka saag ko kharab maan ne ka kaaran? (सरसों का साग को खराब मानने का कारण?)
03:22. Sarson ka saag ke badle mein kya khaye? (सरसों का साग के बदले में क्या खाएं?)
03:58. Ayurveda mein saag ka prayog kaise karna hai? (आयुर्वेद में साग का प्रयोग कैसे करना है?)
05:26. Sarson ka saag ko kharab maan ne ka kaaran modern science mein? (सरसों का साग को खराब मानने का कारण आधुनिक विज्ञान में?)

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Dr Arun Mishra

उत्तर भारत में सरसों का शाक या साग एक लज़ीज़ व्यंजन माना जाता है

जिसे मक्का की रोटी व भरपूर मक्खन के साथ परोसा जाता है.
वनस्पतियों के पत्तों से बनाये गए आहार को शाक या साग कहते हैं.

जिन्हें पत्ती भाजी भी कहा जाता है.

शाक या साग अत्यंत हलके आहार हैं, जिन्हें कमज़ोर पाचन में भी लिया जा सकता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद में सरसों के साग को सबसे निंदनीय बताया गया है?
वैसे यदि देखा जाए तो उत्तर भारत के अतिरिक्त, दुनिया भर में इसे कहीं भी उपयोग नहीं किया जाता है.

सरसों का साग यद्यपि स्वादिष्ट; कटुरसयुक्त, बहुत मल मूत्र कारक होता है.

लेकिन यह भारी, गर्मी व पीड़ा करने वाला, रूखा, तीक्ष्ण, तथा तीनों दोषों को बढ़ाने वाला भी होता है.

शायद इसीलिये, मक्खन का उपयोग इसकी खुश्की अथवा रूखेपन और गर्मी कम करने के लिए ही किया जाता होगा.

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