सुगंध दशमी व्रत कथा | Sugandh Dashmi Vrat Katha | Dhoop Dashmi katha | धूप दशमी व्रत कथा | Jain Vrat

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दिगंबर जैन की मान्यताओं में सुगंध दशमी व्रत का काफी महत्व है और स्त्रियाँ हर वर्ष इस व्रत को करती हैं। धार्मिक व्रत को विधिपूर्वक करने से अशुभ कर्मों का क्षय, शुभास्रव और पुण्यबंध होता है तथा स्वर्ग मोक्ष की प्राप्ति होती है।सुगंध दशमी व्रत भी वैसा ही है। साथ ही सांसारिक दृष्टि से उत्तम शरीर प्राप्त होना भी इसका व्रतफल बताया गया है।यह व्रत भाद्रपद शुक्ला दशमी को किया जाता है।
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सुगंध दशमी व्रत विधि
सुगंध दशमी के दिन हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह इन पाँच पापों के त्यागरूप व्रत को धारण करते हुए चारों प्रकार के आहार का त्याग, निराग्रह आदि का परिमाण करके मंदिर में जाकर भगवान की पूजा, स्वाध्याय, धर्मचिंतन-श्रवण, सामयिक आदि में अपना समय व्यतीत करें। दस पूजाएँ करें। सायंकाल में दशमुख वाले घट में दशांग धूप आदि का क्षेपण कर रात्रि को भजन आदि में समय लगाएँ।
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