कॉपी-किताबों को लेकर निजी स्कूलों की मनमानी | आखिर निजी स्कूलों की मनमानी पर कैसे लगेगी लगाम

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कॉपी-किताबों को लेकर निजी स्कूलों की मनमानी | आखिर निजी स्कूलों की मनमानी पर कैसे लगेगी लगाम

निजी विद्यालय के द्वारा हर साल किताब बदलने से जुड़ी समस्या का समाधान | कॉपी-किताबों को लेकर निजी स्कूलों की मनमानी फिर शुरू

The new session has started in the schools and inthe meanwhile the difficulties of the parents have also started increasing. As a matter of fact, private schools have started pressurizing parentsto buy copy-books. The cost of copy-books by private schools ranges from Rs 10,000 to Rs15,000. Whereas, buying from other stores saves up to 30-40%. How the arbitrariness of private schools be curbed? Watch this special discussion of bharat samadhan yatra .

स्कूलों में नया सत्र शुरू हो गया है और इसी बीच माता-पिता की मुश्किलें भी बढ़ने लगी है. दरसहल, निजी स्कूलों ने पेरेंट्स पर कॉपी-किताबे खरीदने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है. निजी स्कूलों द्वारा कॉपी-किताबों का बजट ₹10,000 से 15,000 तक जाता है. जबकि, बाहर से खरीदने पर 30-40% तक की बचत होती है. आखिर, Private Schools सरकारी आदेश को भी अनसुना करने लगे हैं? निजी स्कूलों की मनमानी पर कैसे लगेगी लगाम? देखिए bharat samadhan yatra की ये खास चर्चा.

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