Bhai Ka Pahla Chehlum Hai | Mukhtar Abbas | 20 Safar Chehlum Shohadaye Karbala | Maniyari Sultanpur

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Bhai Ka Pahla Chehlum Hai | Mukhtar Abbas | 20 Safar Chehlum Shohadaye Karbala | Maniyari Sultanpur


Title - Bhai ka pahla chehlum hai
Reciter -- Mukhtar Abbas
Original Nauha Recited by -- Anjuman Sipah e hussaini Bhanauli Sadat Sultanpur
Poet -- Waiz Sultanpuri
20 safar chehlum shohadaye karbala Maniyari Sultanpur





Lyrics - Bhai ka pahla chehlum hai

ज़िन्दान में ज़ैनब रोती है भाई का पहला चेहलुम है
सर अपना झुकाये बैठी है भाई का पहला चेहलुम है

1.
वो नज़्र दिलाये किस तरह पानी भी नही है एक क़तरा
ग़ाज़ी की बहोत याद आती है भाई का पहला चेहलुम है

2.
दिल खोल के रोने न पाई अपने भाई पे माजाई
रोने पे भी पाबंदी है भाई का पहला चेहलुम है

3.
इस तरह कोई मजबूर न हो और इतने ग़मो से चूर न हो
ज़हरा की दुलारी क़ैदी भाई का पहला चेहलुम है

4.
कुलसूम के दिल पे क्या गुज़री ये जान नही पाया कोई
चेहरे पे बहोत मायूसी है भाई का पहला चेहलुम है

5.
अठ्ठारह बरादर की ख़्वाहर किस तरहा रखे दिल पे पत्थर
ज़िन्दान है और लाचारी है भाई का पहला चेहलुम है

6.
ज़िन्दान के अंदर अये वाएज़ है हश्र का मंजर अये वाएज़
ग़ुरबत है अली की बेटी है भाई का पहला चेहलुम है


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Zinda'n me zainab roti hai
Bhai ka pahla chehlum hai
Chehlum noha
Sultanpur Noha 2024
Sipahe hussaini noha
Chehlum shohday karbala
Anjuman Akbariya Maniyari Sultanpur



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