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Скачать или смотреть क्यों दिये थे हनुमान जी ने भीम को 3 बाल | अनसुनी कथा

  • Gyan कथाएं
  • 2024-03-22
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क्यों दिये थे हनुमान जी ने भीम को 3 बाल | अनसुनी कथा
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Описание к видео क्यों दिये थे हनुमान जी ने भीम को 3 बाल | अनसुनी कथा

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क्यों दिये थे हनुमान जी ने भीम को 3 बाल | अनसुनी कथा

हनुमान जी और भीम दोनों ही पवन देवता के पुत्र होने के कारण रिश्ते में एक दूसरे के भाई लगते हैं। आज उनसे जुड़ी एक बहुत ही रोचक पौराणिक कथा का जिक्र करेंगे जिसके बारे में शायद आपने पहले कभी नहीं सुना होगा
महाभारत के युद्ध के बाद पांडव हंसी खुशी अपनी जिंदगी हस्तिनापुर में बिता रहे थे एक दिन स्वर्ग से नारद मुनि राजा युधिष्ठिर से मिलने हस्तिनापुर पधारे उन्होंने कहा कि यहां धरती पर आप सभी खुश है और उधर स्वर्ग में आपके पिता बहुत दुखी हैं
युधिष्ठिर ने इसका कारण जानना चाहा तो नारद मुनि ने बताया कि जब वे जीवित थे तो राजसूय यज्ञ करवाना चाहते थे लेकिन वह करवा नहीं सके और यही उनके गम की वजह है पिता की आत्मा की शान्ति के लिए इस यज्ञ को करवा लेना ही बेहतर है
बस इतना सुनते ही युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ करवाने की ठान ली इस आयोजन को भव्य बनाने के लिए युधिष्ठर ने भगवान शिव के परम भक्त ऋषि पुरुष मृगा को आमंत्रित करने का सोचा ऋषि पुरुष मृगा आधे शरीर से पुरुष थे और उनका पैर मृग का था
ऋषि पुरुष मृगा को ढूंढने और निमंत्रित करने की जिम्मेदारी भीम को दी गयी जब भीम निकलने लगे तो श्री कृष्ण ने उनको बताया क‍ि पुरुष मृगा की गति बहुत तेज है और उनका मुकाबला न कर पाने की स्‍थ‍ित‍ि में वह भीम को मार डालेंगे इस बात को सुनकर भीम को चिन्ता हुई लेकिन बड़े भाई की आज्ञा का पालन करने के लिए वे निकल पड़े
हिमालय की ओर जाते समय रास्ते में उन्हें हनुमान जी मिल गए भीम ने उन्हें पूरी बात बताई भीम के मुंह से पूरा किस्सा जानने के बाद हनुमान जी ने उन्हें आशीर्वाद सहित अपने शरीर के तीन बाल दिए और कहा कि संकट के समय ये काम आएंगे
कुछ दूर जाने पर भीम ने ऋषि मृगा को देखा वे उस वक्त शिव की आराधना में लीन थे भीम ने उनसे मिलकर आने की वजह बताई ऋषि मृगा ने निमंत्रण को स्वीकार किया और भीम के साथ चलने को राजी हो गए हालांकि उन्होंने भीम के सामने एक शर्त रखी
शर्त के अनुसार भीम को उनसे पहले हस्तिनापुर पहुंचना होगा अगर ऐसा नहीं होता है तो वह भीम को खा जायेंगे भीम ने शर्त को स्वीकारा और हस्तिनापुर की तरफ भागे पीछे मुड़कर देखा तो पता चला कि ऋषि मृगा बस उन्हें पकड़ने ही वाले हैं यह देख उन्हें हनुमान जी द्वारा दिए गए तीन बालों के बारे में याद आया
भीम ने उनमें से एक बाल को जमीन पर गिरा दिया देखते ही देखते वहां एक शिवलिंग बन गया चूंकि ऋषि मृगा भगवान शंकर के परम भक्त थे तो उन्होंने पहले रूककर प्रणाम किया फिर दोबारा भीम के पीछे दौड़ें भीम ने जब पीछे देखा तो पता चला कि फिर से ऋषि मृगा उन्हें पकड़ने वाले हैं स्वयं को बचाने के लिए उन्होंने एक और बाल जमीन पर गिरा दिया इस बार एक नहीं बल्कि बहुत से शिवलिंग बन गए ऋषि मृगा शिवलिंग को प्रणाम करने में लग गए और भीम हस्तिनापुर के द्वार तक पहुंच गए लेकिन ऋषि मृगा को हराना इतना आसान नहीं था जैसे ही वह अन्दर घुसने वाले थे ऋषि मृगा ने उन्हें पकड़ लिया
अब शर्त के अनुसार पुरुष मृगा ने भीम को खाना चाहा लेकिन तभी दरवाजे पर श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर पहुंच गए मृगा ने राजा युधिष्ठिर से न्याय करने की मांग की युधिष्ठिर ने कहा कि चूंकि भीम के केवल पांव द्वार के बाहर रह गए थे इसलिए पुरुष मृगा सिर्फ भीम के पैर ही खाने के हकदार हैं युधिष्ठर के न्याय से पुरुषमृगा प्रसन्न हुए और उन्‍होंने भीम को छोड़ द‍िया और राजसूय यज्ञ में भाग लिया
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