अपूर्ण प्रतियोगिता किसे कहते हैं,अर्थ, परिभाषा व उसकी विशेषता.पूर्ण प्रतियोगिता का अर्थ.अर्थशास्त्र

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पूर्ण प्रतियोगिता

अर्थ- वह बाजार जिसमें क्रेता व विक्रेता
के बीच वस्तु का क्रय-विक्रय प्रतियोगिता
के आधार पर होता है.इस बाजार में प्रत्येक
स्थान(परिवहन व्यय) पर समान होता है.
क्रेता व विक्रेता को बाजार का पूर्ण ज्ञान
होता है. विक्रेताओं की संख्या ज्यादा
होती है

पूर्ण प्रतियोगिता की दशाएं

1- वस्तु का समरुप होना-

2- क्रेताओं व विक्रेताओं की अधिक संख्या

3- फर्मों का स्वतंत्र प्रवेश व बहिर्गमन

4- वस्तु की मांग व पूर्ति का पूर्ण ज्ञान

5- यातायात लागतों की अनुपस्थिति

अपूर्ण प्रतियोगिता

पूर्ण प्रतियोगिता

अर्थ- वह बाजार जिसमें क्रेता व विक्रेता
के बीच वस्तु का क्रय-विक्रय प्रतियोगिता
के आधार पर होता है.इस बाजार में प्रत्येक
स्थान(परिवहन व्यय) पर समान होता है.
क्रेता व विक्रेता को बाजार का पूर्ण ज्ञान
होता है. विक्रेताओं की संख्या ज्यादा
होती है

अपूर्ण प्रतियोगिता का अर्थ

यह ऐसे बाजार को कहते हैं जहाँ एक ही
समय में एक ही वस्तु के अनेक मूल्य होतें
हैं क्रेता तथा विक्रेताओं में पूर्णतः स्वतंत्र
प्रतियोगिता नहीं पाई जाती. ऐसे बाजार में
विक्रेताओं की संख्या कम होती है व उनको
मूल्य सम्बन्धी पूर्ण जानकारी नहीं होती.

अपूर्ण प्रतियोगिता की परिभाषा

1- श्रीमती जाॅन राॅबिन्सन के अनुसार-
"जब पूर्ण प्रतियोगिता की दशाओं में से
किसी भी दशा का अभाव हो जाता है
तब अपूर्ण प्रतियोगिता की दशा उत्पन्न हो
जाती है "

2- प्रो॰ लर्नर के अनुसार -
" अपूर्ण प्रतियोगिता तब पाई जाती है
जब एक विक्रेता अपनी वस्तु के लिए
एक गिरती हुई मांग रेखा का सामना
करता है "

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