Shree Vardhaman-Shakrastav Stotra | श्री वर्धमान-शक्रस्तव स्तोत्र

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श्री वर्धमान शक्रस्तव

तीन लोक के नाथ देवाधिदेव वीतराग प्रभुके "च्यवन तथा जन्म कल्याणोंके" मंगल समये चौसठ इंद्रो के अधिपती सौधर्मेन्द्र इंद्र महाराजाके नाभिकोशमेसे प्रगट हुये अरीहंत प्रभुके विशिष्ट २७३ गुणवाचक विशेषणों का समुह यानी "श्री वर्धमान शक्रस्तव"

इन विशेषणों के माध्यमसे सौधर्मेन्द्र इंद्र महाराजा परमात्मा की विशेष स्तवना द्वारा परमात्मा अरीहंत देव प्रत्ये की विशेष अनुराग की झलक दर्शाते है.

यह संपुर्ण स्तोत्र जिस स्वरुप मे था उसी स्वरुपमे इंद्र महाराजाने खुप प्रसन्नता पुर्वक समर्थवादी कवी शिरोमणि राजा विक्रम प्रतीबोधक आचार्य भगवंत "श्री सिध्दसेन दिवाकरसुरी महाराजा को अर्पण कीया. और उन्ही महापुरुष द्वारा यह स्तोत्र हमारे तक पहोंच पाया है.

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