Dera Kapal Mochan | Guru Ravidas mandir | हरियाणा का सबसे बड़ा गुरु रविदास मंदिर | डेरा कपाल मोचन

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गुरु रविदास जयंती: खुरालगढ़ जाते समय यमुनानगर के कपालमोचन में एक रात रूके थे गुरु रविदास, ग्रंथों में भी वर्णन


कपालमोचन में जिस जगह पर आज गुरु रविदास जी का भव्य मंदिर है वहां कभी चूने से बना आश्रम होता था। आज यह मंदिर श्रद्घालुओं की आस्था का केंद्र है।


संत शिरोमणी गुरु रविदास एक रात हरियाणा के यमुनानगर में कपालमोचन स्थित मंदिर में रूके थे। उस वक्त यहां पर मंदिर नहीं था। गुरु रविदास मंदिर सभा के प्रबंधक अमरनाथ ज्ञासड़ा ने बताया कि 1515 ईश्वी में जब गुरु रविदास काशी से पंजाब के जिला होशियारपुर स्थित खुरालगढ़ साहिब गए थे



तब वह एक रात के लिए कपालमोचन में इसी जगह पर रूके थे। इसका वर्णन ग्रंथों में भी है। उन्होंने खुरालगढ़ में चार साल दो माह 11 दिन तक तप किया था। जिस जगह पर गुरु जी ने अपने चरण रखे हों वहां अपने आप ही लोगों की आस्था बढ़ जाती है।



गुरु रविदास जी ने गड्ढा खोद कर पीया था पानी
मंदिर के प्रांगण में एक कुंआ है। करीब सात साल पहले जब मंदिर में नए भवन के निर्माण के लिए जब खुदाई की जा रही थी तो जेसीबी से एक जोरदार आवाज आई। फावडे़ से उस जगह की साफ सफाई की गई तो वहां पर पानी का गहरी कुंआ था। मंदिर के महंत निर्मल दास ने बताया कि जब गुरु रविदास जी इस जगह पर एक रात के लिए रूके थे तो उन्होंने पानी पीने के लिए इस जगह पर गड्ढा खोदा था। कुंई के नाम से मंदिर सभा की तरफ से इसके पास एक शिला लगाई गई है। श्रद्धालु इसी इस कुंई से पवित्र जल का आचमन करते हैं। यहां तक की इसके जल को लोग बर्तनों में भर कर घर भी ले जाते हैं।

चूने के आश्रम से बना भव्य मंदिर
कपालमोचन में जिस जगह पर आज गुरु रविदास जी का भव्य मंदिर है वहां पर पहले 10 गुणा 10 फीट का चूने का एक कमरा होता था। आश्रम का यह कमरा आज भी मंदिर में सुरक्षित है। मंदिर के पहले महंत कृपा दास जी इस आश्रम में रहते थे। आश्रम के चारों तरफ जंगल हुआ करता था।

यहां तक की मंदिर के सामने से साढौरा जो सड़क जाती है वह भी नहीं हुआ करती थी। महंत कृपा दास के बाद महंत लाल दास, महंत जमन दास, महंत मूल दास, महंत सुखदेव दास, महंत सूरज दास के बाद राम दयाल महंत बने। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद अब निर्मल दास मंदिर के महंत है।

भव्य सजेगा कपालमोचन रविदास मंदिर, लाखों श्रद्घालु होंगे नतमस्तक
कपालमोचन स्थित गुरु रविदास मंदिर, डेरा बाबा लाल दास श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। गुरु रविदास जयंती के बाद जो पहला रविवार आता है उस दिन मंदिर में प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।



जीसमें दो लाख से अधिक श्रद्धालु मंदिर में आकर नतमस्तक होते हैं। नवंबर माह में हर साल गुरु नानक देव जयंती लगने वाले मेले के बाद यह कपालमोचन में दूसरा मौका होता है जब यहां इतनी बड़ी संख्या में जनसैलाब उमड़ता है। 


कार्यक्रम में यमुनानगर के अलावा प्रदेश के कई जिलों के साथ-साथ देहरादून, बिजनौर, पंजाब, चंडीगढ़ व राजस्थान से भी श्रद्धालु शिरकत करेंगे। इसके लिए 10 हजार कार्ड छपवा कर विभिन्न गांवों की गुरु रविदास मंदिर सभाओं को निमंत्रण भेजा गया है।

मंदिर में उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए 15 जगहों पर भंडारे का आयोजन किया जाता है इसमें 500 से अधिक गांवों के लोग ट्रैक्टर ट्रालियों में झांकियां लेकर हिस्सा लेने पहुंचते हैं।

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