यह न मेरा राष्ट्र का है । Yah na mera rashtra ka hai
यह न मेरा राष्ट्र का है, राष्ट्रहित ही सब समर्पित,
मंत्र माधव यह तुम्हारा, निज हृदय में कर प्रतिष्ठित।
मंत्र से अभिभूत हम भी, कोटि हृदयों को करेंगे,
हम तुम्हारी जन्मशती में, आज यह संकल्प लेंगे।
यह न मेरा राष्ट्र का है, राष्ट्रहित ही सब समर्पित ।।१।।
स्फूर्ति पाई तव वचन से, साधना से प्रेरणा,
स्नेहमय व्यवहार पाया, मार्गदर्शक योजना।
आपसे ऋषिवर मिला जो, हम सभी वितरित करेंगे,
हम तुम्हारी जन्मशती में, आज यह संकल्प लेंगे।
यह न मेरा राष्ट्र का है, राष्ट्रहित ही सब समर्पित ।।२।।
पार्थ केशव नै तुम्हें जो, कर्म की गीता सिखाई,
सूक्ष्म ईश्वर की जनों में, सर्व व्यापकता दिखाई।
दृष्टि वह पाकर तुम्हीं से, कर्म पथ पर हम बढ़ेंगे,
हम तुम्हारी जन्मशती में, आज यह संकल्प लेंगे।
यह न मेरा राष्ट्र का है, राष्ट्रहित ही सब समर्पित ।।३।।
शील सद्गुण आपसे ही, राष्ट्र-अर्पित भावना,
आप सी निर्मोह वृत्ति, आत्मीय संवेदना।
कष्ट सहकर रात दिन भी, प्राप्त यह सब हम करेंगे,
हम तुम्हारी जन्मशती में, आज यह संकल्प लेंगे।
यह न मेरा राष्ट्र का है, राष्ट्रहित ही सब समर्पित ।।४।।
आत्मविस्मृत हिन्दू को, हिंदुत्व की अनुभूति दी,
और विघटित राष्ट्र को, एकात्मता की दृष्टि दी।
संघ को व्यापक किया, हम और भी विस्तृत करेंगे,
हम तुम्हारी जन्मशती में, आज यह संकल्प लेंगे।
यह न मेरा राष्ट्र का है, राष्ट्रहित ही सब समर्पित ।।५।।
गायक : ॐकार केळकर
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