अफ्रीका में GMO के क्या नतीजे होंगे? [Africa, GMOs and Western Interests] | DW Documentary हिन्दी

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पूरे अफ्रीका में लॉबीइंग करने वाले, परोपकारी और व्यवसायी जीन संवर्धित ऑर्गेनिज्म GMO के लिए अफ्रीका का इस्तेमाल करना चाहते हैं. वे कहते हैं कि जीएमओ अफ्रीका की दो सबसे बड़ी दिक्कतें ठीक कर सकता है: सूखा और मलेरिया.

इसमें हिस्सा लेने वाले लोगो में से एक हैं बिल गेट्स, जो दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार हैं और इतिहास के सबसे ताकतवर परोपकारी संस्था के संस्थापक हैं. यह फिल्म दिखाती है कि कैसे बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन अफ्रीका में चल रहे आनुवंशिक प्रयोगों के सबसे बड़े दानदाता बने.

मलेरिया के इलाज में वैज्ञानिक कसावा के पौधों और मच्छरों के आनुवंशिक संशोधन पर चुपचाप काम कर रहे हैं.
यहां यूरोपीय संघ की भूमिका भी संदिग्ध है, जबकि शुरुआत में स्वास्थ्य और पर्यावरण को होने वाले खतरों को लेकर वह जेनेटिक इंजीनियरिंग को लेकर पसोपेश में था. अब यूरोपीय संघ माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक के साथ मिलकर ऐसे गैर-लाभकारी प्रयोगों पर काम कर रहा है, जिनपर यूरोप में प्रतिबंध है.

अफ्रीका में आनुवंशिक संशोधन ताकतवर बनने के साथ-साथ पैसा कमाने को लेकर भी है. यही बात बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन पर शक करने की भरपूर वजह देती है. अफ्रीका में जेनेटिक इंजीनियरिंग प्रयोगों में पैसा लगाकर यह संस्था बड़े पश्चिमी व्यवसाय के हाथों खेल रही है.

मानवीय सहायता में नफा-नुकसान का कड़वा स्वाद मिला हुआ है. अकाल कार्यक्रम अक्सर फसल और जीवों के जीन संवर्धन का कार्यक्रम शुरू करने का बहाना हैं और समाज का पैसा सिर्फ कुछ ही लोगों के हित में काम आ रहा है.

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