ll हर्षनाथ मन्दिर सीकर llजीण माता llHarshnath mountain ll Harsh Temple sikar ll सम्पूर्ण इतिहास ll

Описание к видео ll हर्षनाथ मन्दिर सीकर llजीण माता llHarshnath mountain ll Harsh Temple sikar ll सम्पूर्ण इतिहास ll

llआखिर औरंगजेब को उल्टे पेर भागकर मांगनी पड़ी माफी जीणमाता से ll
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#इतिहास -हर्षनाथ मंदिर हर्ष या हर्षगिरि पहाड़ी के तलहटी में बसे हर्षनाथ गाँव में स्थित है। यह मंदिर सीकर जिले का एक ऐतिहासिक मंदिर है जो सीकर मुख्य शहर से लगभग 21 किमी दक्षिण-पूर्व में है। हर्षनाथ मंदिर के नाम से मशहूर यह दिव्य स्थान आसपास ही नहीं, पूरे देश के श्रद्धालुओं की गहरी आस्था और अगाध श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है। हर्षनाथ मंदिर के पास बहुत से प्राचीन मंदिरों के खंडहर हैं। ये खंडहर लगभग एक हज़ार वर्ष पुराने हैं।
दीपक के प्रकाश ने खींचा था औरंगजेब का ध्यानः इतिहासकारों का कहना है कि हर्षनाथ के प्राचीन शिव मंदिर पर एक विशाल दीपक जलता था। जिसे जंजीरों व चखियों के जरिये ऊपर चढ़ाया जाता था। इस दीपक का प्रकाश सैंकड़ों किलोमीटर दूर से देखा जा सकता था। जिसके प्रकाश को देखकर औरंगजेब ने खंडेला अभियान के दौरान आक्रमण करके इस मंदिर सहित यहाँ के सभी मंदिरों को विध्वंस करके खंड खंड कर दिया था।
वर्तमान मंदिर हर्षनाथ का वर्तमान मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है। जो औरंगजेब के आक्रमण के बाद विक्रम संवत 1781 में हर्ष पर्वत के ऊपर बना दूसरा शिव मंदिर है। इसका नवनिर्माण सीकर के शासक राव शिवसिंह ने, महात्मा शिवपुरी के आदेश पर, पुराने मंदिर के बचे हुए अवशेषों से करवाया था जिससे यह मंदिर पूर्ववत भव्य व दिव्य लगता है। कहा जाता है कि राव शिव सिंह का जन्म महात्मा शिवपुरी के आशिर्वाद से ही हुआ था।
3000 फीट की ऊंचाई परः
हर्षनाथ मंदिर के निर्माण के लिए इस स्थान का चुनाव बड़ी समझदारी तथा दूरदर्शिता को प्रमाणित करता है क्योंकि मंदिर की नींव रखने के लिए पर्वत के अंतिम भाग को चुना गया है। यह स्थान समुद्रतल से लगभग 914.4 मीटर यानि 3000 फीट की ऊचाई पर स्थित है। यहां से दूर दूर बसे नगर तथा गांव स्पष्ट दिखाई देते है। इस मंदिर से कुछ दूरी पर खारे पानी का एक विस्तृत और तालाब है। जो यहाँ आनेवाले सैलानियों और पर्यटकों को आनंदित करता है।
पंचमुखी मूर्तिः
हर्षनाथ मंदिर में भगवान शिव की जो पंचमुखी मूर्ति विराजित है। वो भगवान शिव की प्राचीनतम व दुर्लभतम मूर्ति है। इस मूर्ति के समान सुंदर, आकर्षक, भव्य, दिव्य व विशाल शिव जी की मूर्ति पूरे विश्व में
कहीं और नहीं है। पुराणों में उल्लेख है कि भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को देखने के लिए भगवान शिव ने अपना यह पंचमुखी रूप धारण किया था।

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