तिल के आयुर्वेदिक फायदे | til ke benefits
Yoga &, Ayurved
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Dear friend aaj hum til ke fayde, benefits ke bare me janege.
तिल सीधा, 30-60 सेमी ऊँचा, तीखे महक वाला, शाखित अथवा अशाखित, शाकीय पौधा है। इसका तना सूक्ष्म अथवा रोम वाला, ऊपरी भाग की शाखाएं एवं तना चतुष्कोणीय एवं खांचयुक्त होती हैं। इस पौधे पर जगह-जगह स्रावी-ग्रंथियां पाई जाती हैं। इसके पत्ते बड़े, पतले, कोमल, रोमयुक्त, ऊपर के तरफ के पत्ते कुछ लम्बे होते हैं और 6-15 सेमी लम्बे एवं 3-10 सेमी चौड़े होते हैं। इसके फूल बैंगनी, गुलाबी अथवा सफेद बैंगनी रंग के, पीले रंग के चिन्हों से युक्त होते हैं। इसकी फली 2.5 सेमी लम्बी, 6 मिमी चौड़ी, रोमश, सीधी, चतुष्कोणीय तथा 4-खांचयुक्त होती है। तिल के बीज अनेक, 2.5-3 मिमी लम्बे, 1.5 मिमी चौड़े, चिकने भूरे अथवा सफेद रंग के होते हैं। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल अगस्त से अक्टूबर तक होता है।
तिल प्रकृति से तीखी, मधुर, भारी, स्वादिष्ट, स्निग्ध, गर्म तासीर की, कफ तथा पित्त को कम करने वाली, बलदायक, बालों के लिए हितकारी, स्पर्श में शीतल, त्वचा के लिए लाभकारी, दूध को बढ़ाने वाली, घाव भरने में लाभकारी, दांतों को उत्तम करने वाली, मूत्र का प्रवाह कम करने वाली होती है।
कृष्ण तिल सर्वोत्तम व वीर्य या अंदुरनी शक्ति बढ़ाने वाली होती है, सफेद तिल मध्यम तथा लाल तिल हीन गुण वाले होते हैं।
कृष्ण तिल(काली तिल ) श्रेष्ठ होते है।
सफेद तिल मध्यम, अन्य तिल से कम गुणी होता है।
तिल तेल मधुर, पित्तकारक, वातशामक, सूक्ष्म, गर्म, स्निग्ध, पथ्य तथा तीखा होता है।
तिल का पेस्ट मधुर, रुचिकारक, बलकारक तथा पुष्टिकारक होता है।
तिल पिण्याक मधुर, रुचिकारक, तीक्ष्ण, रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहना) तथा आँख संबंधी रोगों को उत्पन्न करने वाली, रूखी, कड़वी, पुष्टिकारक, बलकारक, कफवात को कम करने वाली तथा प्रमेह या डायबिटीज कंट्रोल करने में सहायक होती है।
विशेष: आयुर्वेद में मुख्यतया सफेद व काले तिलों का वर्णन किया गया है परन्तु वानस्पतिक शास्त्र के अनुसार सफेद व काली तिल का एक ही नाम मिलता है। आयुर्वेदानुसार दोनों के गुण व औषधीय प्रयोग अलग-अलग माने गए हैं। सफेद की तुलना में काले तिल को औषधीय उपयोग हेतु अधिक महत्त्वपूर्ण माना गया है।
अन्य भाषाओं में तिल के नाम
तिल का वानस्पतिक नाम Sesamum indicum Linn. (सिसेमम इण्डिकम)Syn-Sesamum orientale Linn. है। इसका कुल Pedaliaceae (पेडालिएसी) है और इसको अंग्रेजी में Sesame Gingelli (सीसेम जिनजली) कहते हैं। इसके अलावा तिल को भारत के विभिन्न प्रांतों में भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है।
Til in-
Sanskrit–तिल, स्नेहफल;
Hindi-तिल, तील, तिली;
Urdu-तिल
Oriya-खसू , रासी
Kannada–एल्लू , येल्लु
Gujrati-तल तिल
Telugu-नुव्वुलु
Tamil-एब्लु नूव्वूलु
Bengali-तिलगाछ तिल
Nepali-तिल
Punjabi-तिल , तिलि
Malayalam–एल्लू , करुयेल्लू
Marathi-तील तिल ।
English-तील ऑयल (Teel oil), तिलसीड (Tilseed);
Arbi-सिमसिम , सिमासिम , शिराज
Persian-कुंजद , कुँजेड , रोगने शिरीन
Disclaimer:-
इस चैनल पर बताई गई सभी जानकारी प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों तथा सालों से चली आ रही हमारी दादा, दादी, नानी या हमारे गुरुजनों के द्वारा बताई या उपयोग किए जाने वाले नुस्खों पर आधारित है यह सही है कि हर एक व्यक्ति का शरीर एक दूसरे से अलग होता है और उनकी तासीर भी भिन्न भिन्न होती है दोस्तों हम आपक उम्र,वजन, परिस्थितियां,बीमारी,समय के बारे में नहीं जानते इसलिए इन वनस्पतियों का उपयोग, समय ,काल परिस्थितिया, उम्र के अनुसार प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं इसलिए इन वनस्पतियों का उपयोग करने से पहले आप अपने चिकित्सक या किसी जानकार व्यक्ति से सलाह जरूर लें खासकर उन वनस्पतियों में जो आंतरिक प्रयोग करने वाली औषधिया है अगर किसी व्यक्ति, सदस्य को किसी प्रकार की कोई परेशानी होती है तो इसका जिम्मेदार हमारा चैनल या हम नहीं होंगे, आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।
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