कलयुग में कैसे रहे स्वामी रामसुखदास जी भाग 1 kalyug me kese rahe swami ramsukhhdaas ji maharaj

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Kalyug me kese rahe के बारे में प्रवचन उच्च कोटि के वीतरागी सन्यासी थे स्वामी जी का जन्म राजस्थान के नागोर जिले के माडपुरा में श्री रुघाराम जी पिड़ावा के यहाँ माघ शुक्ला त्रयोदसी को 1904 में हुवा माता कुन्नीबाई के सहोदर भ्राता सधारामजी राम स्नये सम्प्रदाय के साधु थे 4 साल की उम्र में ही रामसुखदास जी को इन को भेंट कर दिया किसी समय स्वामी कान्नहिराम गांव चाडी जी ने आप को आजीवन शिष्य बनाने के लिए मांग लिया शिक्षा दिक्ष्या के पस्चात सम्प्रदाय छोड़ के विरत सन्यासी हो गये आप ने गीता के मर्म को साक्षता किया और निरंतर और निरन्तर अपने प्रवचनों से वाणी अमृत बहाने लगे आप ने सभी को सदा मनुष्य पूजा से अलग कर परमात्मा की पूजा में ही लगाया और व्यक्ति प्रतिमा पूजा में सदा निषेद्य किया ऐसे अदर्शिस्थापित कर गंगा तट स्वर्गाशर्म में आषाढ़ कृष्ण द्वादसी वि.स.2062 ब्रम्हामूर्त में 3:40 मिनट में भगवत धाम पधारे आप को सत सत नमन। इन प्रवचनों का उदस्य केवल भगवत प्रचार और सन्तो की वाणी को पहुचाना हे कोई स्व अर्थोपार्जन नही है जय श्री नाथ जी नाथ आश्रम सीकर राजस्थान राम राम राम राम राम राम राम राम राम mobile number 9521229943

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