यह वीडियो एक तीखी और ज़रूरी बहस छेड़ता है—क्या भारत में आज़ादी के बाद वाकई वो बदलाव आए जिसकी संविधान में कल्पना की गई थी?
हम हर साल संविधान दिवस मनाते हैं, संसद में घंटों भाषण दिए जाते हैं, लेकिन कभी भी ये चर्चा नहीं होती कि संविधान का असली उद्देश्य क्या है, और उसे प्राप्त कैसे किया जाए?
🧭 संविधान का लक्ष्य – सिर्फ़ किताबों में?
भारत का संविधान 1950 में लागू हुआ। उसके प्रास्तावना (Preamble) में लिखा गया कि भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनेगा, जहाँ हर नागरिक को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व मिलेगा।
लेकिन क्या आज भारत में ये मूल्य सच में ज़मीन पर हैं?
संप्रभुता की चर्चा संसद में नहीं होती।
लोकतंत्र कैसे मजबूत हो, इस पर चर्चा नहीं होती।
सोशल और पॉलिटिकल जस्टिस कैसे आए, संसद में कोई बहस नहीं होती।
फ्रीडम ऑफ़ थॉट, एक्सप्रेशन, स्पीच कैसे मिले, कोई योजना नहीं बनती।
Equal Opportunity का रास्ता क्या हो, इस पर मौन छाया रहता है।
🧨 1950 से पहले और बाद के घटिया कानून
कई ऐसे कानून जो ब्रिटिश राज ने गुलाम भारत को दबाने के लिए बनाए थे, वो आज भी वैसा ही लागू हैं।
👉 222 अंग्रेजों के बनाए कानून आज भी चल रहे हैं।
इतना ही नहीं, आज़ादी के बाद भी कई ऐसे कानून बने जो सीधे तौर पर संविधान की आत्मा के खिलाफ़ हैं, लेकिन उन्हें न तो सुधारा गया, न ही हटाया गया। संसद में इस पर कभी गंभीर चर्चा नहीं होती।
कुछ उदाहरण:
Representation of People Act (1950-51): जिसके कारण गुंडे, माफिया, अपराधी विधायक-सांसद बन जाते हैं।
Drugs & Cosmetics Act (1954): मिलावटखोरी धड़ल्ले से चल रही है, लेकिन सजा कमजोर है।
Essential Commodities Act (1955): कालाबाजारी बढ़ रही है, लेकिन कानून वही पुराना है।
Citizenship Act (1955): देशद्रोही, घुसपैठिए, आतंकी – किसी की नागरिकता नहीं जाती।
Ancient Monuments Act (1958): विदेशी आक्रांताओं के मकबरे आज भी सरकारी खर्च पर सुरक्षित।
Arms Act (1959): जिसके कारण हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन समाज निहत्था हो गया है।
Customs Act, Unlawful Activities (1962): जिसमें 'अनलॉफ़ुल' की परिभाषा तक तय नहीं।
NDPS Act (1985): नशेड़ी युवा, बर्बाद परिवार, लेकिन ड्रग माफिया को फांसी नहीं होती।
Prevention of Corruption Act (1988): बड़े-बड़े घोटाले हुए, लेकिन किसी की ज़मीन, प्रॉपर्टी, नागरिकता तक नहीं गई।
🚨 भ्रष्टाचार, अपराध और पलायन: जनता क्यों भाग रही है?
भारत के युवा क्यों अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया भाग रहे हैं?
क्यों भारत में डर, असुरक्षा, भ्रष्टाचार और अन्याय फैला हुआ है?
क्योंकि कानून कमज़ोर हैं, और संसद उसे बदलना नहीं चाहती।
जब तक संसद में अच्छे लोग नहीं आएंगे, अच्छे कानून नहीं बनेंगे। और अच्छे लोग तब आएंगे जब कानून ही बदले जाएंगे।
🛡️ कानून बनते क्यों नहीं?
इस वीडियो में बताया गया है कि कैसे:
संसद में सिर्फ़ आरोप-प्रत्यारोप होता है।
गंभीर विषयों पर बहस नहीं होती।
नूरा कुश्ती, बयानबाज़ी और “तू चोर, मैं सिपाही” चलता रहता है।
न किसी की फांसी होती है, न संपत्ति जब्त होती है, न ही नागरिकता रद्द होती है।
📢 बदलाव कैसे होगा?
बदलाव होगा जब:
संसद में घटिया कानूनों को हटाने की बहस होगी।
Election Reforms होंगे, ताकि अच्छे लोग चुनकर आएं।
कानूनों में कड़ी सजा, 100% प्रॉपर्टी जब्ती, नागरिकता रद्द जैसे प्रावधान लाए जाएंगे।
नैतिक शिक्षा, राष्ट्रवाद और जन-जागरूकता को बढ़ावा मिलेगा।
🗣️ आपसे एक सवाल
क्या आप मानते हैं कि 1950 से पहले और बाद के सड़े हुए कानून भारत की प्रगति में बाधा हैं?
क्या आप चाहते हैं कि संसद इन विषयों पर चर्चा करे, और कानूनों में ठोस बदलाव लाए?
अगर हाँ, तो इस वीडियो को शेयर करें, कमेंट करें, और अपना समर्थन ज़रूर दें।
#OutdatedLawsIndia #IndianConstitution #CorruptionInIndia #LawReform #PoliticalReformIndia #OneNationOneLaw #IndianParliament #IndianJusticeSystem #IndiaLegalSystem #ConstitutionalCrisis #SystemChange #fypシ #fypシviralシ2024 #virals
Информация по комментариям в разработке